ट्रंप के टैरिफ के बाद अब नेपाल में Gen-Z के विरोध प्रदर्शन ने बढ़ाई आगरा के कारोबारियों की टेंशन
आगरा के जूता और हस्तशिल्प उद्योग को एक और झटका लगा है। अमेरिका द्वारा टैक्स लगाने के बाद अब नेपाल में हिंसा के कारण निर्यात रुक गया है। इससे जूता निर्यातकों को लगभग 8-10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है वहीं हस्तशिल्प निर्यातकों को 2-3 करोड़ का नुकसान हुआ है। निर्यातक अब नए बाजारों की तलाश में हैं।

जागरण संवाददाता, आगरा।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैक्स लगाए जाने के बाद से जूता और हस्तशिल्प उत्पाद के निर्यात पर संकट खड़ा हो गया है। अमेरिका जाने वाले सभी आर्डर फंसे हुए हैं। कुछ निरस्त भी हो रहे हैं।
आर्थिक संकट झेल रही दोनों इंडस्ट्री के लिए नई समस्या खड़ी हो गई है। नेपाल में हिंसा भड़की हुई है और हालात बदत्तर हो गए हैं। ऐसे में जूता, हस्तशिल्प, कालीन निर्यात थम गया है और हालात सामान्य होने का इंतजार है।
अमेरिकी अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी होने के बाद भारत पर कुल टैरिफ 50 प्रतिशत लागू हो गया है। ऐसे में पहले से होल्ड आर्डर के निरस्त हो रहे हैं। एजेंट के माध्यम से वैकल्पिक रास्ते तलाशे जा रहे हैं। निर्यात के नए देशों को तैयार करने का प्रयास है।
हस्तशिल्प उत्पाद निर्यातकों ने हाल ही में पेरिस व्यापार मेले में अक्टूबर में होने वाले दिल्ली फेयर के लिए आमंत्रण दिया है। जूता, हस्तशिल्प उत्पाद, कालीन निर्यातक चिंतन में लगे हैं।
अमेरिका होने वाला एक हजार करोड़ से अधिक के नुकसान की भरपाई का रास्ता खोजा जा रहा है। इसके साथ ही यूरोप में व्यापार बढ़ाने पर भी जोर है। इसी बीच नेपाल में हुई हिंसा से नया संकट खड़ा हो गया है।
नेपाल अधिक निर्यात नहीं होता है, लेकिन बड़े संकट के दौर में आठ से 10 करोड़ रुपये जूता निर्यातकों को और झटका लगा है। वहीं दो से तीन करोड़ रुपये के हस्तशिल्प उत्पाद के निर्यात पर संकट खड़ा हो गया है।
कालीन कारोबार के साथ ही गुजरात से कपड़ा मंगाकर नेपाल भेजने वाले कारोबारियों के लिए भी संकट खड़ा है। जूता निर्यातक विवेक नोतनानी का कहना है कि नेपाल हिंसा से पड़ोसी देश का वातावरण तो खराब हो ही रहा है, साथ ही हमें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।
अमेरिका के बाद ये छोटा लेकिन नुकसान है। कालीन निर्यातक संजय अग्रवाल का कहना है कि नेपाल माल जाता है, लेकिन कितना इस ठीक आंकड़ा तो नहीं है। अमेरिका के बाद अब ये दूसरा कारोबारी नुकसान है।
नेपाल में भड़की हिंसा ने वहां होने वाले निर्यात को बाधित कर दिया है। अमेरिका के बाद ये दूसरा झटका है। फिलहाल जूता इंडस्ट्री नए खरीदार तलाशने और नुकसान की भरपाई में जुटी है।
राजीव वासन, उपाध्यक्ष, आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर
जूता इंडस्ट्री पहले से ही अमेरिकी टैरिफ की मार झेल रही थी, लेकिन अब नेपाल हिंसा ने नई मुश्किलें खड़ी कर दी है। पड़ोसी देश में भड़की हिंसा ने माहौल के साथ ही निर्यात को भी प्रभावित किया है।
चंद्रमोहन सचदेवा, जूता निर्यातक
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अमेरिका के टैरिफ ने हस्तशिल्प एवं मार्बल उत्पाद के निर्यात की चाल बिगाड़ दी है। बड़ा नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए दिल्ली फेयर का इंतजार है। नेपाल हिंसा से इस बीच दूसरा झटका दे दिया है।
अनुराग मित्तल, हस्तशिल्प एवं मार्बल उत्पाद निर्यातक
ये है निर्यात का आंकड़ा
हस्तशिल्प की दो हजार छोटी, बड़ी इकाई। |
50 से 75 हजार लोग हैं आश्रित |
35 देशों से अधिक में होता है निर्यात |
एक हजार से 1200 करोड़ का हस्तशिल्प निर्यात |
300 करोड़ का है घरेलू हस्तशिल्प कारोबार |
छह हजार से अधिक है जूते की छोटी, बड़ी इकाई। |
साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को दे रहे रोजगार |
70 देशों को निर्यात में 25 प्रतिशत आगरा की भागीदारी |
65 प्रतिशत से अधिक घरेलू बाजार को जूता आपूर्ति |
चार से पांच हजार करोड़ का सालाना जूता निर्यात |
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