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अमर सिंह राठौड़ ने शाहजहां के भरे दरबार में उतारा था सलाबत खां को मौत के घाट, चाैंसठ खंबा बनाया गया स्‍मारक

दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल के शहर में धरोहरों की कमी नहीं है। इन्हीं धरोहरों में से एक पिता-पुत्र सादिक खां-सलाबत खां का मकबरा है। सिकंदरा के नजदीक है सलाबत खां का मकबरा। एक ही परिसर में स्थित हैं पिता-पुत्र के मकबरे।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 11:32 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 11:32 AM (IST)
अमर सिंह राठौड़ ने शाहजहां के भरे दरबार में  उतारा था सलाबत खां को मौत के घाट, चाैंसठ खंबा बनाया गया स्‍मारक
यह उसी सलाबत खां का मकबरा है, जिसे अमर सिंह राठौड़ ने मौत के घाट उतार दिया था।

आगरा, निर्लोष कुमार। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल के शहर में धरोहरों की कमी नहीं है। इन्हीं धरोहरों में से एक पिता-पुत्र सादिक खां-सलाबत खां का मकबरा है। यह उसी सलाबत खां का मकबरा है, जिसे मुगल शहंशाह शाहजहां के दरबार में अमर सिंह राठौड़ ने मौत के घाट उतार दिया था। हाईवे पर होने के बावजूद यह पर्यटकों के बीच लोकप्रिय नहीं है।

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आगरा-मथुरा हाईवे पर सिकंदरा से खंदारी की तरफ चलने पर गैलाना में सादिक खां-सलाबत खां का मकबरा है। सलाबत खां शाहजहां के मीर बख्शी (शाही कोषाध्यक्ष) थे। सादिक खां के पुत्र सलाबत खां को शाहजहां के दरबार में चार हजार का मनसब मिला हुआ था। उनके मकबरे को चौंसठ खंबा के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण वर्ष 1644-1650 के बीच का माना जाता है। ऊंचे प्लेटफार्म पर रेड सैंड स्टोन से बनी बरादरी में 64 खंबे होने की वजह से इसका यह नाम पड़ा। इसमें 25 वर्गाकार कंपार्टमेंट्स हैं, जिनमें प्रत्येक दिशा में अार्च बने हुए हैं। इसके बेसमेंट में स्थित कक्षों को मलबे से भरकर बंद कर दिया गया है। इसमें कोई गुंबद नहीं है। इसके चारों कोनों पर चार छोटी बुर्जियां बनी हुई हैं। मकबरे का मुख्य मार्ग हाईवे पर खुलता है। एएसआइ ने यहां गेट लगा रखा है। आसपास निर्माण होने की वजह से यह आसानी से नजर नहीं आता। चौंसठ खंबा से कुछ दूरी पर इसी परिसर में सलाबत खां के पिता सादिक खां का मकबरा एक ऊंचे प्लेटफार्म पर बना हुआ है। इसकी सीढ़ियां और पत्थर गायब हैं। यह मकबरा अष्टकोणीय है। इसके ऊपर गुंबद है। भूमिगत कक्ष में एक कब्र का पत्थर हुआ करता था, जो वर्तमान में नहीं है। मकबरे का निर्माण ईंटों और चूने से किया गया है। इसके ऊपर चूने के सफेद प्लास्टर का काम है।

अागरा किला के दीवान-ए-आम में मारा गया था सलाबत खां

राव अमर सिंह राठौड़, जोधपुर के राजा गज सिंह राठौड़ के पुत्र और राजा जसवंत सिंह के बड़े भाई थे। अमर सिंह राठौड़, शाहजहां के दरबार में थे। एएसआइ के रिकार्ड के अनुसार शाहजहां के मीर बख्शी सलाबत खां ने अमर सिंह पर टिप्पणी कर दी थी। इस पर अमर सिंह राठौड़ ने आगरा किला के दीवान-ए-आम में शाहजहां के दरबार में ही सलाबत खां को मौत के घाट उतार दिया था। मुगल सैनिक उन पर टूट पड़े थे, मगर अमर सिंह उन्हें परास्त कर किले से निकलने में सफल रहे थे। उन्होंने घोड़े पर सवार होकर आगरा किला की दीवार से छलांग लगा दी थी। बाद में षड्यंत्र रचकर उनकी हत्या आगरा किला के गेट के पास कर दी गई थी। यह गेट आज अमर सिंह गेट कहलाता है।

सादिक खां थे जहांगीर के मीर बख्शी

सादिक खां मिर्जा ग्यास बेग (एत्माद्दौला) का भतीजा आैर दामाद था। उसने जहांगीर और शाहजहां के दरबार में काम किया था। जहांगीर ने वर्ष 1622 में उसे मीर बख्शी और वर्ष 1623 में पंजाब का गर्वनर बनाया था। शाहजहां ने उसे चार हजार का मनसब प्रदान किया था। सादिक खां का निधन सितंबर, 1633 में हुआ था। गैलाना में उसके मकबरे का निर्माण उसके बेटे सलाबत खां ने वर्ष 1633 से 1635 के बीच कराया था।


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