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    मैं पुनि निज गुरु सन सुनी कथा सो सूकर खेत

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    Updated: Fri, 21 Dec 2012 06:59 PM (IST)

    निज प्रतिनिधि, एटा: तुलसीदास जी ने रामचतिरमानस में लिखा है-

    ''मैं पुनि निज गुरु सन सुनी कथा सो सूकर खेत।

    समधी नहिं तस बालपन, अब अति रहेउं अचेत।''

    रामचरित मानस की इन पंक्तियों के आधार पर तुलसीदास जी के सूकरक्षेत्र सोरों में जन्म को सुदृढ़ आधार मिलता रहा है। परंतु मुख्यमंत्री की ओर से गोंडा की समिति के राजापुर के दावे को स्वीकार करने के बाद क्षेत्र को ऐसा लगा कि तुलसी अपने से पराये कर दिए गए। हालांकि सरकार के कदम खींचने से राहत मिली है। इसके बाद भी विवाद की रेखा मिटी नहीं है। सूकर क्षेत्र महोत्सव में कई आयोजन रद विरोधस्वरूप नहीं हो रहे हैं।

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    सूकर क्षेत्र महोत्सव मार्गशीर्ष मेला लंबे अरसे से अनवरत आयोजित हो रहा है। यह पहला मौका है, जब महोत्सव में राम कथा के अलावा कोई भी कार्यक्रम नहीं किया जा रहा। मेले में कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं, संत तुलसीदास पर आधारित कार्यक्रम होते थे। इस बार सोरों नगर पालिका परिषद ने राजापुर को तुलसी जन्मभूमि बताए जाने के विरोध में सभी कार्यक्रम स्थगित करने की घोषणा कर दी थी। मार्गशीर्ष महीने में तुलसीदास जी के जन्म के उपलक्ष्य में लगने वाला मार्गशीर्ष मेला भी बगैर तुलसी के ही सिमट जाएगा। इस महान संत के नाम पर कोई भी कार्यक्रम न होने से स्थानीय लोग भी निराश हैं। मेले में हर साल आने वाले एटा के व्यवसायी घनश्याम कहते हैं कि पहली बार मेले में ऐसा सूनापन देखा है।

    मेले में सिर्फ उद्घाटन की औपचारिकता पूरी की गई है। रात के वक्त होने वाले कार्यक्रमों में सोरों और आसपास के इलाकों की भीड़ उमड़ती थी। ऐसे में कार्यक्रम न होने से मेला भी बेरौनक हो गया है।

    साक्ष्य बंटोरने में जुटे विशेषज्ञ

    तुलसी जन्मस्थान सोरों में होने के अकाट्य प्रमाणों को नगरपालिका प्रशासन और साहित्यकार इन दिनों जुटा रहे हैं। 27 दिसंबर को सैफई में सोरों के शिष्ट मंडल की मुख्यमंत्री से भेंट होनी हैं। अलीगंज की जनसभा में आए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे तक का समय इस प्रतिनिधि मंडल को दिया है। गंगा भक्त समिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण दीक्षित का कहना है कि अधिक से अधिक साक्ष्य मुख्यमंत्री के समक्ष रखे जाएंगे। भगवान बराह की स्थली इसी सूकरखेत में है। यह एक पुख्ता प्रमाण है। जो यह साबित करता है कि दुनिया में अगर कहीं सूकरखेत है तो वह सोरों में ही है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अखिलेखों में यह स्वीकार कर चुकी हैं कि सोरों ही सूकरखेत है। केंद्र सरकार ने यहां के रेलवे स्टेशन का नाम भी सूकरखेत स्टेशन रखा है। स्थानीय लोग रामचरित मानस में वर्णित तुलसीदास की पंक्तियों को भी प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

    जन्मतिथि पर भी नहीं एकमत

    संत तुलसी दास की जन्मतिथि भी हमेशा से विवादों में रही है। कुछ लोग उनका जन्म 1497 का बताते है तो कुछ 1532 का। इसके अलावा कुछ विद्वान इन का जन्म 1623 तो कुछ 1524 बताते हैं।

    मैं वर्षो से मेले में आ रहा हूं। यहां पहली बार ऐसा सूनापन देखा है।

    घनश्याम, व्यवसायी

    एटा

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