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    Agra News: 6 साल की बच्ची से 70 वर्षीय बुजुर्ग ने किया दुष्कर्म, कोर्ट ने सुनाई 10 वर्ष की सजा

    Updated: Thu, 29 Aug 2024 01:04 PM (IST)

    कोर्ट ने कहा कि आरोपी का कृत्य सामान्य दुष्कर्म नहीं बल्कि वीभत्स प्रकृति का है। घटना जनवरी 2018 की है जब आरोपी ने बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने घर बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता की मां ने जैतपुर थाने में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया और उसे कड़ी सजा सुनाई।

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    Agra News: खबर में सांकेतिक तस्वीर का उपयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। बच्ची से दुष्कर्म में दोषी 70 वर्ष के बुजुर्ग को विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनिका चौधरी ने 10 वर्ष की सजा सुनाई। इसके साथ ही दोषी को 50 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित का कृत्य सामान्य दुष्कर्म के अपराध का नहीं, वीभत्स प्रकृति का है।

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    घटना 24 जनवरी 2018 की है। जैतपुर थाना क्षेत्र की छह वर्ष की बच्ची पास के मकान में छोटे से बच्चे के साथ खेलने गई थी।

    घर से ले जाकर किया दुष्कर्म

    आरोपित भानू प्रताप उर्फ भान प्रताप उसे बहला फुसलाकर अपने घर बुला ले गया। वहां उससे जघन्य कृत्य किया। बच्ची द्वारा घर लौटकर मां को इसकी जानकारी देने पर उन्होंने भानू प्रताप के विरुद्ध जैतपुर थाने में दुष्कर्म एवं पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपित को जेल भेजने के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था।

    साक्ष्यों के आधार पर दस वर्ष की सजा

    मुकदमे के विचारण के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुभाष गिरि और वादी के अधिवक्ता दीपक कुमार शर्मा ने कोर्ट में वादी, पीड़िता, उसकी मां, डा. रूचि रानी, निरीक्षक सुरेंद्र कुमार सागर, दारोगा चंद्र प्रकाश शर्मा, इंस्पेक्टर वीरेंद्र पाल को गवाही के लिए पेश किया। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनिका चौधरी ने साक्ष्यों के आधार पर भानू प्रताप को 10 वर्ष की सजा सुनाई।

    कोर्ट ने कहा आरोपित का कृत्य सामान्य दुष्कर्म का अपराध नहीं

    कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित का कृत्य सामान्य दुष्कर्म के अपराध का नहीं, वीभत्स प्रकृति का है। देश में एक ओर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का अभियान वृहद स्तर पर चल रहा है। दुख का विषय है, कि हम आज भी अपनी अबोध बालिकाओं को लैंगिक हमलों के अपराध से बचाने में पूर्णतया सफल नहीं हो पा रहे हैं। समाज से यह कुरीति मिट नहीं पा रहीं हैं। ऐसे अपराधियो से सख्ती नहीं की गई तो समाज में गलत संदेश जाता हैं।ऐसे अपराधों से पीड़ित बच्चों का संपूर्ण जीवन मानसिक यंत्रणा में व्यतीत होता है।