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    बड़ी खोज, मैनपुरी में मिलीं 3700 से 3800 वर्ष पुरानी ताम्र निधियां, अब टीम करेगी मौके पर जाकर अध्ययन

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 12 Jun 2022 10:35 AM (IST)

    कापर की बनी हुई हैं मानवाकृतियां भाले और तलवारें। 39 ताम्र निधियों के मिलने को माना जा रहा है बड़ी खोज। हरियाणा के भगवानपुरा और इटावा के सैफई में ही ताम्र निधियों के साथ गेरुए रंग के मृद्भांडों के पुरावशेष प्राप्त हुए थे।

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    मैनपुरी में कापर की बनी हुई मानवाकृतियां मिलीं।

    आगरा, जागरण संवाददाता। मैनपुरी में खेत को समतल कराने के दौरान किसान को मिलीं ताम्र निधियों (कापर होर्ड्स) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को उम्मीद की किरण जगा दी है। इनके 3700 से 3800 वर्ष प्राचीन होने का अनुमान है। 39 ताम्र निधियां एक जगह से मिलने को विभाग द्वारा बड़ी खोज माना जा रहा है। मैनपुरी के कुरावली में ग्राम गणेशपुर निवासी बहादुर सिंह फौजी का खेत मलावन रजवाहा की पटरी से लगा है। विगत दिवस वह रजवाहा के किनारे पर मिट्टी के टीले को जेसीबी से समतल करा रहे थे। टीले को ढहाने पर उसके नीचे दबे प्राचीन अस्त्र निकल आए। इन्हें देखने को भीड़ जमा हो गई।

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    शनिवार को पहुंचे एसडीएम बीके मित्तल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इसकी सूचना दी। खेत में मिले अस्त्र तांबे के बने हुए हैं। ताम्र निधियों में चार एंथ्रोमार्फिक फिगराइन (मानवाकृतियां), एंटीना सोर्ड्स (लंबी तलवार) और हारपून्स (भाले) शामिल हैं। भारत में ईसा से 1800 से 1900 वर्ष पूर्व से लेकर 1100 से 1200 वर्ष पूर्व की अवधि (यानि 3700-3800 वर्ष पूर्व से लेकर 3100-3200 वर्ष पूर्व) की ताम्र निधियां विभिन्न स्थलों से मिली हैं।अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल ने बताया कि मैनपुरी में मिलीं ताम्र निधियां 3700 से 3800 वर्ष पुरानी होने का अनुमान है। एक साथ 39 ताम्र निधियां मिलने से यह स्थल हमारे लिए महत्वपूर्ण हो गया है। वहां टीम जाकर अध्ययन करेगी। शायद कोई अन्य महत्वपूर्ण पुरावशेष वहां मिल सकें, जिससे कि इनके बारे में अधिक जानकारी सामने आए।

    दो ही जगह पर साथ में मिले हैं अन्य पुरावशेष

    देश में अब तक हुई खोज में ताम्र निधियों के साथ दो स्थलों को छोड़कर अन्य स्थलों से सांस्कृतिक या अन्य पुरावशेष प्राप्त नहीं हुए हैं। हरियाणा के भगवानपुरा और इटावा के सैफई में ही ताम्र निधियों के साथ गेरुए रंग के मृद्भांडों के पुरावशेष प्राप्त हुए थे। इसके चलते पुरातत्ववेत्ता ताम्र निधियों का इस्तेमाल करने वालेे लोगों के बारे में अधिक कुछ नहीं कह पाए हैं।200 वर्षों में चौथी या पांचवीं बड़ी खोजएएसआइ अधिकारी 200 वर्षों की अवधि में इतनी बड़ी संख्या में ताम्र निधियां मिलने की यह चौथी या पांचवीं बड़ी खोज बता रहे हैं। वर्ष 1822 में कानपुर के बिठूर में सबसे पहले ताम्र निधियां मिली थीं। सबसे अधिक 424 ताम्र निधियां मध्य प्रदेश के गंघेरिया में मिली थीं। इटावा के सैफई, हरियाणा के रेवाड़ी, मदारपुर समेत देश के करीब 90 स्थलों से ताम्र निधियां अब तक मिल चुकी हैं। आज जाएगी टीमभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पुरातत्वविदों का एक दल रविवार को मैनपुरी भेजा जाएगा, जो ताम्र निधियों का परीक्षण करेगा। अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल दिल्ली की टीम के साथ सोमवार को मैनपुरी जाएंगे।