राणा ने भेजा विष का प्याला, पीकर मीरा हांसी
जागरण संवाददाता, आगरा: शिल्पग्राम के मुक्ताकाशीय मंच पर झिलमिलाती रंगीन लाइटों के बीच हुई नृत्य नाटि
जागरण संवाददाता, आगरा: शिल्पग्राम के मुक्ताकाशीय मंच पर झिलमिलाती रंगीन लाइटों के बीच हुई नृत्य नाटिका 'मीरा' देख दर्शक सुध-बुध खो बैठे। राजस्थानी बोली और लहजे में गूंजते गीतों, पदों और नृत्य मुद्राओं के साथ आगे बढ़ती है भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त मीरा के जीवन की कहानी। बचपन के हठ से लेकर राणा के विष देने और कृष्ण नाम का गुणगान करती मीरा की कहानी ने दर्शकों पर जादू सा कर दिया।
ताज महोत्सव में बुधवार की शाम शिल्पग्राम के मुक्ताकाशीय मंच पर संस्कृति एवं कला मंच विभाग, शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस द्वारा नृत्य नाटिका मीरा की प्रस्तुति दी गई। लेखक गजानन वर्मा और डिंपी मिश्रा की परिकल्पना व हर्षिता मिश्रा के निर्देशन में कॉलेज के 70 छात्र-छात्राओं ने दो माह की मेहनत के बाद सफल प्रस्तुति दी। राजस्थानी लोकधुनों से सजी नृत्य नाटिका में मीराबाई के जीवनवृत्त को रोचक तरीके से दर्शकों के समक्ष रखा गया। राजस्थानी वेशभूषा में कलाकारों के सजीव अभिनय को देख दर्शक सुध-बुध भूल मीराबाई के गुण गाते नजर आए। नाटिका की शुरुआत जोगी के पास भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति देख मीरा द्वारा उसे मांगने से होती है। जोगी के इन्कार के बाद मीरा हठ पकड़ लेती हैं। बाल मन की पुकार सुन द्रवित जोगी उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति दे जाता है। मीरा भगवान श्रीकृष्ण को ही अपना सब कुछ मान लेती हैं।
मीराबाई केपद 'मेरो तो गिरधर गोपाल, दूसरा न कोय..' पर दर्शक सुर में सुर मिलाते और ताल देते नजर आए। कहानी आगे बढ़ती है और मीरा का भगवान श्रीकृष्ण से अनुराग और प्रगाढ़ होता जाता है। शादी के बाद अल्प समय में ही मीरा के पति की मृत्यु हो जाती है। अब तो वह कृष्ण भक्ति में मगन हो उठती हैं। राणा उन्हें मारने के लिए जहर का प्याला भेजता है, लेकिन मीरा उसे भी हंसकर पी जाती हैं। पद 'विष का प्याला राणा ने भेजा, पीकर मीरा हांसी..' गूंज उठता है।
कहानी आगे बढ़ती है और मीरा राजमहल छोड़ साधु-संतों के संग जगह-जगह भगवान कृष्ण का गुणगान करने लगती हैं। 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो..' की धुन पर दर्शक श्रद्धावनत हो उठे। अंत में भगवान श्रीकृष्ण में लीन होने का दृश्य देख श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। मीरा के बचपन की भूमिका कृतिका भटनागर और मीरा की भूमिका हर्षिता मिश्रा ने स्वयं निभाई। नृत्य नाटिका में मंच परिकल्पना सारांश भट्ट, प्रकाश अमित कुमार श्रीवास्तव, वेषभूषा रंजीत, मार्गदर्शन डॉ. सुबोध दुबे और विनय पतसरिया का रहा।
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