कौन हैं कर्नल रणवीर जम्वाल? जिन्होंने भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा पर फहराया तिरंगा, मिल चुके हैं कई सर्वोच्च सम्मान
पर्वतारोही कर्नल रणवीर सिंह जम्वाल ने कंचनजंघा (8586 मीटर) पर तिरंगा फहराकर इतिहास रचा है। उन्होंने 18 मई 2025 को यह कीर्तिमान हासिल किया। यह ‘हर शिखर ...और पढ़ें

निश्चंत सिंह संब्याल, सांबा। पर्वतारोही कर्नल रणवीर सिंह जम्वाल ने कंचनजंघा (8586 मीटर) भारत की सबसे ऊंची और विश्व की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर विजय प्राप्त करते हुए तिरंगा फहराया है। जम्वाल ने यह कीर्तिमान 18 मई 2025 को हासिल किया है।
कंचनजंघा सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर है। यह सिर्फ एक और चढ़ाई नहीं थी। यह था ‘हर शिखर तिरंगा’ मिशन का अंतिम और सबसे गौरवशाली अध्याय, जिसमें भारत के हर 28 राज्यों की सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा गया था। इस ऐतिहासिक मिशन का समापन कंचनजंघा जैसी कठिन और प्रतिष्ठित चोटी पर विजय के साथ हुआ है।
इसमें सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि कर्नल जम्वाल के नेतृत्व में एनआईएमएएस की टीम इस सीजन की इकलौती भारतीय टीम रही जिसने 100 प्रतिशत सफलता हासिल की।
टीम के सभी 5 सदस्य शिखर तक पहुंचे और तिरंगा फहराया। कंचनजंघा जैसी चुनौतीपूर्ण चोटी पर यह एक असाधारण उपलब्धि है। कर्नल रणवीर सिंह जम्वाल के साथ नायब सूबेदार तसेवांग कोसगाइल, नायब सूबेदार नेहपाल सिंह, हवलदार केवल कृष्ण और हवलदार सुशील कुमार ने मुकाम हो हासिल किया है।
कौन हैं कर्नल रणवीर सिंह
कर्नल रणवीर सिंह जम्वाल का जन्म 26 दिसंबर 1975 सांबा जिले के बढोरी गांव में हुआ है। जम्वाल एक पर्वतारोही और भारतीय सेना में कर्नल पद के अधिकारी हैं। वह इस समय राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान के निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
जम्वाल ने तीन बार माउंट एवेरेस्ट को फतह किया है, उन्होंने 25 मई 2012, 19 मई 2013 और 19 मई 2016 को तिरंगे को फहराया है। जम्वाल ने सभी सात महाद्वीपों में 70 से अधिक पर्वतारोहण अभियानों में भाग लिया है और एक विश्व रिकॉर्ड, दो एशियाई रिकॉर्ड और चार भारतीय रिकॉर्ड सहित कई रिकॉर्ड हासिल किए हैं।
लोगों को साहसिक जीवन के लिए किया प्रेरित
वे भारत के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों के साथ-साथ भारत के सभी 28 राज्यों की सबसे ऊंची चोटी पर भी चढ़ाई की है। उन्हें पद्मश्री, तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, मैकरेगर मेडल, आईएमएफ गोल्ड मेडल जैसे सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हैं।
लेकिन इन सम्मानों से भी बड़ा है उनका राष्ट्र के प्रति समर्पण और युवाओं को प्रेरित करने का जुनून है। वे न केवल पर्वतारोहण के क्षेत्र में एक आदर्श हैं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उन्होंने स्कूलों, कॉलेजों और कठिन राहत अभियानों में अपनी सेवा देकर हजारों लोगों को साहसिक जीवन की ओर प्रेरित किया है।
क्या बोले कर्नल
कर्नल जम्वाल ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि जम्मू-कश्मीर ने मुझे हौसला दिया, प्रकृति से प्रेम सिखाया और कठिनाइयों से लड़ने का जज़्बा दिया। हर शिखर पर मैं अपने राज्य की मिट्टी और भावनाएं साथ लेकर चढ़ता हूं। कंचनजंघा की यह सफलता पूरे देश के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की भी है।
उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा देते हुए कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ पर्वतारोहण की नहीं, जम्मू-कश्मीर की अस्मिता और आत्मबल का प्रतीक है। जब दुनिया में इतिहास बनाना कठिन होता जा रहा है, तब हमारे राज्य के बेटे ने वैश्विक कीर्तिमान बनाकर अपने राज्य का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि अगर संकल्प मजबूत हो और ज़मीन से जुड़ाव बना रहे, तो कोई भी शिखर दूर नहीं होता।

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