Ram Mandir के लिए 500 साल का संघर्ष स्मृतियों में नहीं, ग्रंथ में शामिल
अयोध्या में राम मंदिर के 500 साल के संघर्ष को एक ग्रंथ में संकलित किया गया है। श्री रामलला मन से मंदिर तक नामक इस ग्रंथ में मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों के लेख और संघर्ष का सिलसिलेवार विवरण है। रामायण रिसर्च काउंसिल द्वारा तैयार इस ग्रंथ का विमोचन प्रधानमंत्री द्वारा कराने की कोशिश है। यह हिंदी समेत 10 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के लिए 500 वर्षों का संघर्ष केवल स्मृति में नहीं रहेगा, बल्कि ग्रंथ के जरिए जन-जन तक पहुंचेगा। इसका समय निकट आ गया है। करीब सात साल के शोध व प्रयासों के बाद हिंदी में ग्रंथ ''श्री रामलला मन से मंदिर तक'' तैयार कर लिया गया है। जिसमें राम मंदिर संघर्ष के सिलसिलेवार विवरण के साथ ही आंदोलन से जुड़े तथा देश के प्रमुख संतों का लेख भी शामिल है।
यह दो भागों में तथा 1,250 पृष्ठों में है, जिसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद चल रहा है। इसे रामायण रिसर्च काउंसिल द्वारा तैयार कराया गया है। जिसकी कोशिश ग्रंथ का विमोचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों कराने की है। वैसे, वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री ने ग्रंथ के लिए अपना मार्गदर्शन भी दिया था।
वर्ष 2018 शुरू हुआ था शोध कार्य
राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का सर्वोच्च निर्णय वर्ष 2019 में आया था, जबकि इस ग्रंथ के लिए शोध कार्य वर्ष 2018 से आरंभ हो गया था, जिसमें इस सांस्कृतिक व धार्मिक संघर्ष के साथ धर्मग्रंथों के जानकारों का 27 लोगों का समूह काम कर रहा था। इस ग्रंथ के कलेवर को भी संविधान की तरह खास बनाने पर भी जोर दिया गया है।
रामायण रिसर्च काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत के अनुसार,यह विश्व में ऐसा मामला है, जहां 500 वर्ष से भी अधिक सांस्कृतिक संघर्ष था, जिसे लोकतांत्रिक माध्यम से सुलझाया गया, लेकिन इसके पहले संघर्ष के कई पड़ाव थे। राजनीतिक, सामाजिक, कानूनी संघर्ष के साथ विवादित स्थल की खुदाई, खुदाई से मिले मंदिर के अवशेष फिर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय है।
उन्होंने बताया कि इस ग्रंथ में अयोध्या की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महत्ता से लेकर मंदिर-संघर्ष के कानूनी, राजनीतिक, सामाजिक समेत कई सारे पहलुओं को शामिल किया गया है। मां सीता एवं प्रभु श्रीराम के मानव-कल्याण संदेशों को भी विस्तार से दिया गया। इसी तरह, ग्रंथ के प्रेरणास्त्रोत स्वामी रामभद्राचार्य के साथ ही साध्वी ऋतंभरा व विभिन्न क्षेत्रों के 250 से अधिक विद्वानों के आलेखों भी हैं।
इसी तरह ग्रंथ को हिंदी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में इसके अनुवाद का प्रस्ताव है, जिसमें श्रीलंका, रूस, सूरीनाम, कंबोडिया जैसे राम से जुड़े देशों की भाषाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
ई- ग्रंथ भी तैयार
ग्रंथ ''श्री रामलला मन से मंदिर तक'' का ई-ग्रंथ भी तैयार हो गया है। जिसे 37 फाइलों में तैयार कर लिया गया है। इससे पूरे विश्व तक अयोध्या के संघर्ष के साथ राम की महत्ता पहुंचाने में मदद मिलेगी।

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