Lohardaga news: बच्चों से सीखा कंप्यूटर, फिर आत्मनिर्भरता की ओर चिंतामनी ने जो कदम बढ़ाया, वह कभी डगमगाया नहीं
लोहरदगा की चिंतामनी देवी ने कम शिक्षा के बावजूद बच्चों से कंप्यूटर सीखकर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 2008 में बल्क मिल्क कूलिंग सेंटर शुरू किया और आज वह रोजाना 2600 लीटर दूध का कारोबार करती हैं। 2017 में उन्हें मेधा डेयरी की जिम्मेदारी मिली। महिला समूह से जुड़कर उन्होंने आत्मनिर्भरता हासिल की और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं।

आत्मनिर्भरता की कहानी लिख रहीं कुम्हरिया गांव की चिंतामनी ।
राजेश प्रसाद गुप्ता,भंडरा (लोहरदगा)। सीमित संसाधन और कम शिक्षा के बावजूद यदि मन में कुछ करने का हौसला हो, तो सफल होने से आपको कोई रोक नहीं सकता। चिंतामनी ने बच्चों से कंप्यूटर की जानकारी ली।
इसे अपने व्यवसाय में लागू कर न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं। लोहरदगा जिला के भंडरा प्रखंड में 762 महिला आजीविका समूह से जुड़ी लगभग 7620 महिलाएं आज आत्मनिर्भरता की राह पर हैं।
इन्हीं में से एक नाम है लोहरदगा जिला के भंडरा प्रखंड के कुम्हरिया गांव की चिंतामनी देवी की। उन्होंने अपनी लगन और सीखने की इच्छा से यह साबित किया है कि सीखने और सफल होने के लिए उम्र या डिग्री नहीं, बल्कि लक्ष्य पर काम करने की जरूरत है।
महज नौवीं कक्षा तक पढ़ी चिंतामनी देवी के पास कंप्यूटर की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी। लेकिन उन्होंने अपने बच्चों से कंप्यूटर चलाना सीखा और आज वही सीख उनके व्यवसाय का अहम हिस्सा बन चुकी है। वह अपने घर में संचालित बल्क मिल्क कूलिंग सेंटर का पूरा रिकार्ड स्वयं कंप्यूटर में दर्ज करती हैं। दूध की मात्रा, किसानों को भुगतान, गुणवत्ता जांच आदि सब कुछ डिजिटल तरीके से करती हैं।
वर्ष 2008 में बीएमसीसी की शुरुआत की थी
चिंतामनी देवी ने वर्ष 2008 में अपने गांव में बीएमसीसी की शुरुआत की थी। उस वक्त ग्रामीण परिवेश में लोगों को बल्क मिल्क कूलिंग सेंटर के व्यवसाय के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। उन्होंने अपने पति शित साहू के सहयोग से इस कार्य की शुरुआत की।
शुरुआत में मुश्किलें जरूर आईं, लेकिन धीरे-धीरे मेहनत ने रंग लाना शुरू किया। उनके बीएमसीसी में रोजाना लगभग 2600 लीटर दूध की खरीद-बिक्री होती है। वह दूध की क्वालिटी जांचने के लिए स्वयं लैक्टोमीटर का उपयोग करती हैं और सारा डाटा कंप्यूटर पर अपलोड करती हैं।
डेयरी से उन्हें हर साल लगभग डेढ़ लाख रुपये की आमदनी होती है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है।
बल्क मिल्क कूलिंग सेंटर की मिली की जिम्मेदारी
चिंतामनी देवी की कार्यक्षमता और ईमानदारी को देखते हुए वर्ष 2017 में उन्हें मेधा डेयरी (बल्क मिल्क कूलिंग सेंटर) की जिम्मेदारी सौंपी गई। आज वह इसे पूरी निष्ठा और दक्षता के साथ संचालित कर रही हैं। उनका काम देखने आने वाले लोग कहते हैं एक हाथ में लैक्टोमीटर और दूसरे में कंप्यूटर का माउस लेकर जब चिंतामनी काम करती हैं, तो हर कोई उनकी क्षमता की सराहना करता है।
महिला समूह से मिला आत्मनिर्भरता का रास्ता
चिंतामनी देवी कहती हैं कि संसाधनों की कमी के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई। शादी जल्दी हो गई और आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी। लेकिन महिला समूह से जुड़ने के बाद आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला। अब प्रखंड की कई महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर गो-पालन और दूध उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।
प्रखंड में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्वयं सहायता आजीविका समूह बेहद प्रभावी साबित हो रहा है। महिलाएं समूह से ऋण लेकर गाय पालन और दूध उत्पादन के क्षेत्र में कदम रख रही हैं। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी संस्था लगातार उन्हें प्रशिक्षण और सहयोग प्रदान कर रही हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
- अभिलाषा, बीपीएम, जेएसएलपीएस।
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