ठंड के साथ प्रदूषण ने बढ़ाई मुश्किलें, सांस और आंखों की समस्या लेकर अस्पताल पहुंच रहे लोग
दिल्ली में ठंड और प्रदूषण (Pollution in Bihar) के संयुक्त प्रभाव से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सांस और आंखों की बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पतालों में तेजी से बढ़ रही है। डॉक्टरों ने लोगों को प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनने और आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह दी है।

HighLights
- <p>दिल्ली में प्रदूषण से बढ़ी मुसीबतें</p>
- <p>सांस और आंखों के मरीज़ बढ़े</p>
- <p>डॉक्टरों ने बचाव के उपाय बताए</p>
संवाद सूत्र, बांका। मौसम में लगातार बदलाव और बढ़ती ठंड के साथ हवा में धूलकण और नमी के मिश्रण ने बांका शहर में लोगों की सेहत पर असर डालना शुरू कर दिया है। खासकर अस्थमा से पीड़ित मरीजों और आंखों में जलन की समस्या तेजी से बढ़ी है।
पिछले कुछ दिनों से सुबह-शाम के समय ठंड के साथ धुंध का प्रभाव बढ़ रहा है। जिसके कारण प्रदूषक कण जमीन के नजदीक जमा हो जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार इसी वजह से सांस की दिक्कतें और आंखों में जलन ज्यादा महसूस की जा रही हैं।
शहर के निजी क्लीनिकों, अस्पतालों और सीएचसी में पिछले एक सप्ताह में इस बीमारी के मरीज पहुंच रहे है। जिनमें अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों की संख्या अधिक है। वहीं, सदर अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में रोजाना ओपीडी में मरीज खांसी, सीने में जकड़न, सांस फूलने, गले में खराश और आंखों में तेज जलन जैसी शिकायत लेकर बांका सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
हृदय रोगियों को सुबह शाम टहलने से परहेज की जरुरत: डॉ शैलेन्द्र
आइएमए के सचिव डा शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी कई लोगों को ठंड बढ़ने के साथ सांस फूलने और एलर्जी जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
बताया कि सुबह और शाम की सैर करने से अस्थमा और हृदय रोगियों को बचना की आवश्यकता है। बताया कि इन समयों में प्रदूषण और नमी का मेल स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है।
बताया कि आवश्यक काम होने पर ही बाहर निकलें और निकलें तो गर्म कपड़े पहनने के साथ मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। ऐसे मरीज अपनी दवाएं हमेशा साथ रखें।
सदर अस्पताल में आक्सीजन सप्लाई दुरुस्त करने की पहल तेज
ठंड के मौसम में श्वास संबंधी मरीजों की संख्या बढ़ने की आशंका को देखते हुए सदर अस्पताल प्रशासन ने समय रहते आक्सीजन आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना उसकी प्राथमिकता है, जिसके तहत सभी वार्डों में ऑक्सीजन सप्लाई की व्यापक जांच की जा रही है।
अस्पताल परिसर में कोरोना काल के दौरान आक्सीजन प्लांट की स्थापना की गई थी, जिससे विभिन्न वार्डों में निरंतर आक्सीजन उपलब्ध कराई जाती रही है। अब आगामी दिनों में बढ़ती जरूरतों को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने पूरी व्यवस्था की पुनर्समीक्षा शुरू की है।
इंसुलेटर बदले जा रहे हैं
इसी कड़ी में मंगलवार से प्रत्येक वार्ड में बेड-साइड आक्सीजन सप्लाई पाइंट के इंसुलेटर बदले जा रहे हैं। पुराने या कमजोर हो चुके इंसुलेटर के कारण किसी भी समय सप्लाई बाधित होने की संभावना बनी रहती थी, इसलिए समय रहते इन्हें हटाकर नए उपकरण लगाए जा रहे हैं।
विशेषकर वयोवृद्ध वार्ड, मेडिसिन वार्ड तथा इमरजेंसी वार्ड में यह प्रक्रिया तेजी से चल रही है, ताकि ठंड के दिनों में आने वाले गंभीर श्वास रोगियों को बेहतर सुविधा मिल सके। आक्सीजन सप्लाई लाइन की लीकेज, प्रेशर लेवल और फ्लो यूनिट की भी तकनीकी टीम द्वारा जांच की जा रही है, जिससे आपूर्ति निर्बाध बनी रहे।
अस्पताल प्रबंधक सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि मरीजों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी वार्डों में ऑक्सीजन उपलब्धता को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंसुलेटर बदलने के बाद सप्लाई और अधिक सुचारू होगी, जिससे मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
