Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    जब मंगल पर पहुंचा मंगलयान, पढ़ें स्वावलंबन की राह पर आगे बढ़ते देश के लिए यह कितनी बड़ी कामयाबी थी...

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jun 2022 04:48 PM (IST)

    छह महीने का मिशन पर पूरे किए सात साल प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने भारत के मंगलयान को वर्ष 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया था। भारत से पहले अमेरिका और रूस जैसे देश भी मंगल पर यान भेज चुके हैं।

    Hero Image
    आगे बढ़ते देश के लिए बड़ी कामयाबी थी...

    संतोष। चंद्रयान-1 के बाद वर्ष 2014 में मंगल मिशन की कामयाबी ने देश को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में ला खड़ा किया। अपने पहले ही प्रयास में इसरो के विज्ञानियों द्वारा बनाए गए मंगलयान का मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचना देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत पढ़ें स्वावलंबन की राह पर आगे बढ़ते देश के लिए यह कितनी बड़ी कामयाबी थी...

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अंतरिक्ष में मंगलयान की कामयाबी इसरो (इंडियन स्‍पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन ) की बहुत बड़ी उपलब्धि थी। यह भारत का पहला मंगल अभियान था और इसरो का महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक रहा है। इस मिशन की खास बात यह थी कि भारत अपने पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। अमेरिका, रूस और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियां भी अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह तक नहीं पहुंच पाई थी। मंगलयान को पांच नवंबर, 2013 को सतीश धवन स्‍पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से लांच किया गया था। 24 सितंबर, 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचने के साथ ही भारत का यह अभियान सफल हो गया। इसरो का यह यान 65 करोड़ किलोमीटर का सफर करके मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित हो गया। मंगलयान अभियान को इसलिए भी खास माना गया,क्योंकि इस पर मात्र 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो कि हालीवुड फिल्म ग्रैविटी के निर्माण से भी कम था।

    छह महीने का मिशन, पर पूरे किए सात साल : मार्स आर्बिटर मिशन यानी मंगलयान केवल छह महीने के मिशन पर गया था, लेकिन इसने पिछले वर्ष सफलतापूर्वक सात साल पूरे कर लिए। इसरो के अनुसार, इस मिशन से उसके विज्ञानियों को काफी कुछ सीखने को मिला, जिसमें सिस्टम और सबसिस्टम के डिजाइन और कार्यान्वयन, इंटरप्लेनेटरी मिशन के लिए लांच, अन्य ग्रह की कक्षा में प्रवेश, मंगल की कक्षा के चारों ओर अंतरिक्ष यान और वैज्ञानिक उपकरणों का संचालन शामिल है। इस यान में कैमरे और सेंसर जैसे उपकरण भी लगाए गए थे, जो मंगल के वायुमंडल की जानकारी के साथ-साथ वहां की तस्वीरें भेजते रहे हैं। इस यान का उद्देश्य मंगल ग्रह पर संभावित जीवन, ग्रह की उत्पत्ति, भौगोलिक संरचनाओं, जलवायु आदि का अध्ययन करना रहा है। मंगलयान में पांच अहम उपकरण मौजूद हैं, जो आज भी मंगल ग्रह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाने का काम कर रहे हैं। इनमें जीवन के संकेत और मिथेन गैस का पता लगाने वाले सेंसर, रंगीन कैमरा, ग्रह की सतह और खनिज संपदा का पता लगाने वाले थर्मल इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर जैसे उपकरण शामिल हैं। प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने भारत के मंगलयान को वर्ष 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया था। भारत से पहले अमेरिका और रूस जैसे देश भी मंगल पर यान भेज चुके हैं।