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    क्या है इसरो का साइट? क्यों इसे कहा जा रहा संचार के इतिहास का बड़ा प्रयोग, जानें यहां

    भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में वर्ष 1975 का ऐतिहासिक महत्व है। इसी साल अप्रैल में देश ने अंतरिक्ष में अपना पहला देसी उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ रूस के सहयोग से प्रक्षेपित किया था। इसके बाद इसरो ने ‘साइट’ यानी सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट की शुरुआत की।

    By Saurabh VermaEdited By: Updated: Fri, 24 Dec 2021 07:55 AM (IST)
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    यह ISRO की प्रतीकात्मक फाइल फोटो है।

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। वर्ष 1975 में देसी उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ को लांच करने के बाद इसरो के उपग्रह आधारित शैक्षणिक प्रोग्राम की शुरुआत हो गई थी। इसरो के सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (साइट) का उद्देश्य देश के दूर-दराज में रहने वाले कम पढ़े-लिखे लोगों को उपग्रह प्रसारण के माध्यम से विभिन्न विषयों पर शिक्षित करना था। स्वाधीनता के 75वें वर्ष में अमृत महोत्सव शृंखला के तहत जानते हैं कि कैसे इस प्रयोग ने दूर-दराज के लोगों को टेलीविजन के जरिए जागरूक करने में मदद की...

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    भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में वर्ष 1975 का ऐतिहासिक महत्व है। इसी साल अप्रैल में देश ने अंतरिक्ष में अपना पहला देसी उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ रूस के सहयोग से प्रक्षेपित किया था। इसके बाद इसरो ने ‘साइट’ यानी सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट की शुरुआत की, जिसका देश में टेलीविजन को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान रहा। इसका उद्देश्य उपग्रह प्रसारण के माध्यम से विभिन्न विषयों पर लोगों को शिक्षित करना था। यह प्रयोग डा. विक्रम साराभाई का सपना था। उन्होंने इसे 1975-76 के दौरान अमेरिकी एप्लीकेशन टेक्नोलाजी सैटेलाइट (एटीएस-6) का उपयोग करके शुरू किया था। इसके लिए टेलीविजन कार्यक्रमों का निर्माण आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) द्वारा किया गया। यह प्रयोग सफल रहा, क्योंकि इसने भारत को अपने उपग्रह कार्यक्रम इनसेट को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई।

    1975 में जब शहरी भारत में भी टेलीविजन दुर्लभ था, उस दौरान ‘साइट’ की मदद से छह राज्यों- बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान के 2,400 गांवों में स्कूलों व पंचायत केंद्रों में सामुदायिक टीवी सेट स्थापित किए गए थे। इसके लिए भले ही इसरो ने विदेशी उपग्रह का उपयोग किया था, लेकिन उपग्रह से कार्यक्रमों को अपलिंक करने के लिए अर्थ स्टेशन, टीवी सेट जैसे उपकरण भारत में ही तैयार किए गए थे। उस दौरान ग्रामीणों के लिए चार भाषाओं (हिंदी, उड़िया, तेलुगु व कन्नड़) में उपयोगी कार्यक्रम तैयार करना भी आसान काम नहीं था। इसमें ग्रामीण स्वास्थ्य, कृषि और विकास से संबंधित कार्यक्रमों को अपनी भाषा में देख सकते थे। साइट बच्चों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रसारित करती थी। ग्रामीण आबादी को जागरूक करने में भी इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।