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    Spyware: चोरी छुपे आपके डिवाइस में कैसे इंस्टॉल हो जाता है मालवेयर, आखिर क्या है ये बला?

    By Ankita PandeyEdited By: Ankita Pandey
    Updated: Wed, 12 Apr 2023 08:07 PM (IST)

    साइबर सुरक्षा हमेशा से हमारे लिए समस्या का विषय रहा है। स्कैमर्स अलग- अलग तरीकों से लोगों को ठगने की कोशिश करते हैं या उनका डाटा चुराने का प्रयास करते हैं। आज हम आपको इन्हीं में से एक तरीके Spyware के बारे में बताएंगे।

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     नई दिल्ली, टेक डेस्क। आए दिन हम ऐसी खबरें सुनते है कि कई हजार यूजर्स का डाटा लीक हुआ। ऐसा क्यों होता है हम सब जानते हैं। बीते सालों में इंटरनेट का विकास तेजी से हो रहा है। इसके साथ ही साइबर अपराधी भी एडवांस होते जा रहे हैं और लोगों के फसाने का नया तरीका खोजते रहते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक तरीके स्पाइवेयर के बारे में बताने जा रहे हैं।

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    स्पाइवेयर एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर या मालवेयर है, जो आमतौर पर यूजर्स की अनुमति के बिना किसी डिवाइस पर इंस्टॉल किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर मुख्य रूप से एक डिवाइस पर अटैक करने और यूजर्स से संवेदनशील जानकारी चुराने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके बाद जानकारी फिर हमलावर को वापस भेज दी जाती है जिसने स्पाइवेयर को डिवाइस में भेजा है।

    स्पाइवेयर

    Kaspersky के अनुसार स्पाइवेयर खुद को यूजर्स के ऑपरेटिंग सिस्टम से जोड़ सकता है और बैकग्राउंट में ‘मेमोरी-रेजिडेंट प्रोग्राम’ के रूप में काम कर सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि ऐसे सॉफ्टवेयर खुद को एक फाइल के रूप में छिपा लें हैं।

    इन डिवाइस पर हमला कर सकता है स्पाइवेयर

    स्पाइवेयर उन प्रोग्रामों से जुड़ा हो सकता है जो वैध भी दिख सकते हैं। ऐसे मामलों में, स्पाइवेयर को डाउनलोड किए गए प्रोग्राम के फाइन प्रिंट में भी देखा जा सकता है। इसके अलावा, ज्यादातर स्पाइवेयर यूजर के डिवाइस में अविश्वसनीय डाउनलोड सोर्स और यहां तक कि फिशिंग हमले के माध्यम से इंस्टॉल हो जाते हैं। जिन उपकरणों पर स्पाइवेयर स्थापित किया जा सकता है उनमें पीसी या लैपटॉप, टैबलेट, आईफोन, या एंड्रॉइड स्मार्टफोन शामिल हैं।

    स्पाइवेयर के प्रकार

    अलग-अलग यूजर्स एक्टिविटी को ट्रैक करने के लिए अलग-अलग स्पाइवेयर डिजाइन किए गए हैं। विज्ञापनदाताओं द्वारा तैनात किए गए कुछ स्पाइवेयर केवल यूजर्स के वेब ब्राउजिंग व्यवहार पर नजर रखते हैं। वहीं दूसरे स्पाइवेयर कॉन्टैक्ट और यहां तक कि फिजिकल लोकेशन को भी ट्रैक कर सकते हैं। इसके अलवा कुछ स्पाइवेयर बहुत खतरनाक होते हैं और यूजर के नेटवर्क क्रेडेंशियल्स और पासवर्ड चोरी करने का काम करते हैं।

    स्पाइवेयर सात प्रमुख प्रकार के होते हैं जिन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए तैनात किया जाता है। जहां कीलॉगर्स यूजर्स की कंप्यूटर एक्टिविटी को ट्रैक करने के लिए कीबोर्ड इनपुट रिकॉर्ड करने का प्रयास करते हैं, वहीं पासवर्ड चोरी करने वाले संक्रमित उपकरणों से पासवर्ड एकत्र कर सकते हैं। बैंकिंग ट्रोजन हमलावर के खाते में पेमेंट को रिडॉयरेक्ट करके यूजर्स के पैसे चुरा सकते हैं, जबकि जानकारी चुराने वाले स्पाइवेयर क्रेडिट कार्ड नंबरों से लेकर ईमेल पतों तक विभिन्न डाटा चुरा सकते हैं।

    स्पाइवेयर का कैसे लगाएं पता

    स्पाइवेयर प्रोग्राम को खोजना बहुत मुश्किल है, हालांकि यूजर इसके संकेतों का पता लगा सकते हैं। मान लीजिए कोई सिस्टम या डिवाइस धीमा हो जाता है, तो आप को यह जांचना चाहिए कि कहीं यह स्पाइवेयर के खतरे में तो नहीं है। इसके अलावा अन्य संकेतों में अनपेक्षित विज्ञापन संदेश या पॉप-अप, नए प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर का ऑटोमैटिकली इंस्टॉल होना या बैटरी का सामान्य से अधिक तेजी से कम होना शामिल है। बता दें कि स्पाइवेयर-संक्रमित उपकरण भी सुरक्षित साइटों में लॉग इन करते समय कठिनाइयों का सामना करते हैं और डाटा उपयोग में वृद्धि भी हो सकती हैं, जो आपके लिए एक संकेत हो सकता है।

    कैसे बचे?

    • समय-समय पर अपने ऐप्स, सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करते रहें।
    • अपने कंप्यूटर पर मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और अपने मोबाइल उपकरणों पर स्क्रीन लॉक लगाएं।
    • अपने सिस्टम या उपकरणों पर व्यवस्थापक विशेषाधिकारों की अनुमति न दें।
    • अपने Android स्मार्टफोन या iPhone को रूट या जेलब्रेक करने की कोशिश न करें।
    • असुरक्षित पब्लिक वाई-फाई से दूर रहें।
    • अपने डिवाइस पर अनुमतियां देने से पहले उन्हें सावधानीपूर्वक पढ़ें।
    • संदिग्ध ईमेल और लिंक पर क्लिक करने से बचें।