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क्या होता है रिफ्रेश रेट, कितने रिफ्रेश रेट वाला स्मार्टफोन होता है बेस्ट, जानिए इसके फायदे और नुकसान

मोबाइल या फिर स्मार्ट टीवी के रिफ्रेश रेट को हर्ट्ज में मापा जाता है। ऐसे माना जाता है कि ज्यादा रिफ्रेश रेट मतलब ज्यादा स्मूथ फोन। फोन में 60Hz 90Hz और 120Hz तक रिफ्रेश रेट दिये जाते हैं।

By Saurabh VermaEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 01:49 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 01:49 PM (IST)
क्या होता है रिफ्रेश रेट, कितने रिफ्रेश रेट वाला स्मार्टफोन होता है बेस्ट, जानिए इसके फायदे और नुकसान
यह रिफ्रेश रेट की प्रतीकात्मक फाइल फोटो है।

नई दिल्ली, टेक डेस्क। अक्सर स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों की तरफ से फोन में रिफ्रेश रेट को खूब हाइलाइट किया जाता है। लेकिन काफी कम लोगों को मालूम होगा कि आखिर रिफ्रेश रेट होता क्या है? मोबाइल या फिर स्मार्ट टीवी के रिफ्रेश रेट को हर्ट्ज में मापा जाता है। ऐसे माना जाता है कि ज्यादा रिफ्रेश रेट मतलब ज्यादा स्मूथ फोन। फोन में 60Hz, 90Hz और 120Hz तक रिफ्रेश रेट दिये जाते हैं।

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क्या होता है रिफ्रेश रेट

रिफ्रेश रेट एक तरह से रेंडर टेक्नोलॉजी के मिलकर बना है। दरअसल कोई डिस्प्ले वाली डिवाइस एक निश्चित समय में जितनी बार किसी ग्राफिक्स या इमेज को प्रोसेस करती है, उसे ही रिफ्रेश रेट माना जाता है। इसे हर्ट्ज में मापा जाता है। टेक्निकली बात करें, तो एक सेकेंड में फ्रेम को रिफ्रेश करने की प्रक्रिया को ही रिफ्रेश रेट कहते हैं। आमतौर पर मोबाइल फोन या टीवी में 60Hz से लेकर 120Hz का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादा रिफ्रेश रेट के लिए हाई परफॉर्मेंस वाले हार्डवेयर जरुरी होता है।

हाई रिफ्रेश रेट के फायदे

हाई रिफ्रेश रेट वाले मोबाइल या फिर टीवी में स्पोर्ट्स या फिर एक्शन सीन को ज्यादा बेहतर ढ़ंग से देखा जा सकता है। फ्रेम जितनी तेजी के साथ रेंडर होंगे, ​डिसप्ले उतना ही स्मूथ लगेगा। साथ ही शानदार स्क्रॉलिंग का एक्सपीरिएंस मिलता है। साधारण शब्दों में कहें, तो मोबाइल और टीवी में लैग होने की दिक्कत नहीं होती है। वही अगर वीडियो को स्ट्रीम करेंगे, तो हैवी ग्राफिक्स वाले गेम्स को स्मूथ कर पाएंगे। अक्सर गेम या वीडियो स्ट्रीमिंग के दौरान जब व्यूजुअल अटकते हैं तो हम यही कहते हैं कि कम रैम और साधारण प्रोसेसर की वजह से ऐसा हो रहा है। परंतु हर बार कारण सिर्फ रैम और प्रोसेसर नहीं होते ​बल्कि कम रिफ्रेश रेट भी होता है।

हाई रिफ्रेश रेट के नुकसान 

हाई रिफ्रेश रेट के अपने नुकसान भी होते हैं। ज्यादा रिफ्रेश रेट वाला स्मार्टफोन या फिर टीवी ज्यादा बिजली की खपत करता है। हालांकि अब स्मार्टफोन कंपनियों की तरफ से गेमिंग और हाई ग्राफिक्स इस्तेमाल के दौरान रिफ्रेश रेट बदलने का ऑप्शन दिया जाता है। साथ ही फोन में बडी बैटरी और फास्ट चार्जिंग सपोर्ट दिया जा रहा है।

कौन सा है बेस्ट रिफ्रेश रेट

अगर आप मोबाइल में सिर्फ कॉलिंग, मैसेजिंग और वेब सर्फिंग सहित छोटे मोटे काम करते हैं तो 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट काफी है। वहीं वीडियो देखने और थोड़े बहुत गेम खेलने का काम है तो फिर 90 हर्ट्ज् रिफ्रेश रेट काफी है। हां बहुत ज्यादा गेम खेलते हैं तो 120 ​हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाला फोन ही लेना ज्यादा अच्छा है।


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