Jagran Trending: Metaverse क्या है? कैसा होगा इसका भविष्य, जानें आसान भाषा में
Jagran Trending मेटावर्स को लेकर लंबे वक्त से चर्चा हो रही है। फेसबुक का नाम बदलकर मेटा रखने के बाद से मेटावर्स के बारे में ज्यादा चर्चा हो रही है। लेकिन आखिर मेटावर्स है क्या? क्यों बड़ी-बड़ी कंपनियां मेटावर्स इंडस्ट्री में उतरने के बेताब हैं? आइए जानते हैं..
नई दिल्ली, सौरभ वर्मा। Jagran Trending: मेटावर्स (Metaverse) एक वर्चुअल यानी आभाषी दुनिया है। इतनी जानकारी शायद सभी रखते होंगे। लेकिन हकीकत यह है कि मेटावर्स इससे कहीं आगे की दुनिया है। मेटावर्स की दुनिया में आप अपने घर पर रहते हुए दोस्तों के साथ गोवा में पार्टी कर सकेंगे। देश-विदेश घूम पाएंगे। विदेश में जमीन खरीद पाएंगे, पढ़ाई कर पाएंगे। साथ ही शॉपिंग जैसे वो सभी काम कर पाएंगे, जो रियल लाइफ में करते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि मेटावर्स की दुनिया में कैसे एंट्री होगी? क्या वहां जाने के लिए पासपोर्ट और पैसे की जरूरत होगी? आपके इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे आज के आर्टिकल में, वो भी बेहद आसान शब्दों में
कैसी होगी मेटावर्स की दुनिया
दरअसल, मेटावर्स ही इंटरनेट की दुनिया का भविष्य है। जैसे आज हर व्यक्ति वीडियो कॉलिंग, सोशल मीडिया ऐप और कॉन्फ्रेंसिंग से मात्र एक क्लिक से जुड़ जाता है। वैसे ही आने वाले दिनों में हर व्यक्ति मेटावर्स से जुड़ जाएगा। अभी की इंटरनेट की दुनिया 2D यानी दो डायमेंशन वाली है। लेकिन मेटावर्स की दुनिया 3D यानी तीन डायमेंशन वाली होगी। लेकिन यह 3D फिल्म देखने जैसी बिल्कुल नहीं होगी। मेटावर्स की दुनिया बिल्कुल रियल लाइफ की तरह होगी। जहां आप वो हर वो काम कर पाएंगे, जो रियल लाइफ में करते हैं। मेटावर्स में आप बिल्कुल रियल लाइफ की तरह महसूस कर पाएंगे। ऐसी उम्मीद है कि आने वाले 10 से 15 वर्षों या फिर इससे कम समय में रियल लाइफ और वर्चुअल लाइफ का फर्क बेहद कम हो जाएगा।
कैसे होगी मेटावर्स की दुनिया में एंट्री
मेटावर्स एक डिजिटल दुनिया होगी। इसमें अवतार और होलो लेंस के जरिए एंट्री हो सकेगी। अवतार के लिए वर्चुअल रियलिटी हेडसेट की जरूरत होगी। जबकि होलोग्राम के लिए होलो लेंस की जरूरत होगी। माइक्रोसॉफ्ट होलो लेंस पर काम कर रहा है। जबकि मेटा और ऐपल जैसी कंपनियां वीआर हेडसेट बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। अगर टेक्निकल भाषा में बात करें, तो मेटावर्स वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality) और ऑग्मेंटेड रियलिटी (Augmented Reality) और मिक्स्ड रियलिटी (Mixed Reality) से मिलकर बनी होगी। वर्चुअल रियलिटी में VR हेडसेट पहनना पड़ता है। इसे पहनने पर आपको लगता है कि आप एक दूसरी दुनिया में पहुंच गए हैं। ऑग्मेंटेड रियलिटी का सबसे अच्छा उदाहरण पोकेमोन गो है। जबकि मिक्स्ड रियलिटी को होलोग्राम के तौर पर समझा जा सकता है। मेटावर्स की वर्चुअल दुनिया में हमारे अवतार होंगे, जो अभी कार्टून कैरेक्टर की तरह दिखते हैं, लेकिन आने वाले वर्षो में बिल्कुल हमारी तरह होंगे।
मेटावर्स कैसे रियल लाइफ से होगा अलग
मेटावर्स में शादी, शॉपिंग, जमीन खरीदने जैसे सारे काम किए जा सकते हैं। भारत में सबसे पहले तमिलनाडु के एक जोड़े ने पहली मेटावर्स शादी की थी। इस शादी में सभी मेहमान अगल-अलग लोकेशन से VR हेडसेट की मदद से अपने अवतार के जरिए शामिल हुए थे। मेटावर्स की इस शादी में दुल्हन के पिता शामिल हुए थे, जिनकी कुछ वर्ष पहले मौत हो गई थी। मतलब मेटावर्स अपार संभावनाओं की भी दुनिया होगी। मेटावर्स की दुनिया में आप बुर्ज खलीफा से कूदने का एक्सपीरिएंस ले सकते हैं, जो कि रियल लाइफ में नहीं कर सकते हैं।
कहां से आया मेटावर्स शब्द
मेटावर्स शब्द का सबसे पहले जिक्र किया था - साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने। इन्होंने साल 1992 में अपने उपन्यास ‘स्नो क्रेश’ में पहली बार मेटावर्स शब्द का इस्तेमाल किया था। इसी तरह के अनेक शब्द उपन्यास से रियल लाइफ में शामिल हुए हैं। साल 1982 में विलियम गिब्सन की एक किताब से ‘साइबरस्पेस’ शब्द आया। वहीं साल 1920 में कैरेल कापेक के एक नाटक में पहली बार ‘रोबोट’ शब्द का इस्तेमाल हुआ था।
मेटावर्स पर क्या है एक्सपर्ट की राय
Trace Network Labs के को-फाउंडर और सीईओ लोकेश राव के मुताबिक मेटावर्स एक डिजिटल दुनिया है, जो कि 3D में Web 3.0 पर डेवलप हो रही है। लोकेश की मानें, तो मेटावर्स पहले भी गेमिंग फॉर्म में मौजूद था। लेकिन पहले तक मेटावर्स सेंट्रलाइज्ड था। लेकिन अब ब्लॉकचेन के साथ वेब 3.0 में मेटावर्स का नए तरह से विकास हो रहा है। अब मेटावर्स में एनएफटी (नॉन फंजिबल टोकन), क्रिप्टोकरेंसी के जरिए लोग एसेट्स को खरीदते हैं, जिसका ब्लॉकचेन पर ओनरशिप प्रूफ रहता है। मेटावर्स में आपका अवतार बॉडी मूवमेंट, एक्सप्रेशन और जेस्चर के जरिए लोगों से रुबरू कर पाएगा।
क्या होगा फायदा
- मेटावर्स से कारोबार की दुनिया में बड़े बदलाव की संभावना है। मेटावर्स में हम अपने अवतार के लिए हेयर स्टाइलिश और कपड़े-जूते खरीद पाएंगे। कई ब्रांड्स ने मेटावर्स में कारोबार की शुरुआत कर दी है।
- मेटावर्स का एक्सपीरिएंस काफी शानदार रहेगा। मेटावर्स की वजह से होटल बुक करने से पहले वो कैसा दिखेगा। इसका एक्सपीरिएंस अवतार के जरिए कर पाएंगे।
- मेटावर्स में लाइव कॉन्सर्ट कर पाएंगे। हाल ही में दलेर मेंहदी ने मेटावर्स में अपनी जमीन खरीदी है, जिसे नाम रखा है बल्ले-बल्ले लैंड। इसी मेटावर्स लैंड पर दलेर मेहंदी ने एक कॉन्सर्ट लाइव किया, जिसमें लोगों ने अपने अवतार के जरिये हिस्सा लिया था।
पेंसिलवेनिया की एक यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक ऑकुलस क्वेस्ट 2 का इस्तेमाल करते हुए बताया गया है कि अगर आप मेटावर्स में किस करेंगें, तो आपको रियल में फील होगा, पानी पियेंगे या फिर सिगरेट पिएंगे, तो वास्तव में यह सबकुछ फील होगा। रिसर्च के मुतातबिक आपके चेहरे पर कुछ सेंसर लगाए जाएंगे, जिससे आप किस करने से लेकर पानी पीने की घटनाओं को फील कर पाएंगे। बता दें कि ओकुलस क्वेस्ट 2 फेसबुक रियलिटी लैब्स द्वारा विकसित एक वर्चुअल रियलिटी हेडसेट है।
- मेटावर्स में आप शॉपिंग कर पाएंगे, जहां आपका अवतार कपड़े पहकर देख पाएगा। इन खरीदे गए कपड़ों के लिए क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करना होगा। खरीदे गए कपड़ों को रियल लाइफ में डिलीवर किया जाएगा।
क्या होगा नुकसान
मेटावर्स की दुनिया में प्राइवेसी को लेकर खतरा बढ़ सकता है। मौजूदा वक्त में फेसबुक और ऐपल जैसी कंपनियों पर डेटा चोरी के आरोप लगते रहते हैं। वही मेटावर्स के आने पर टेक कंपनियां आपके बॉडी मूवमेंट, चलने, खाने-पीने, हर्ट रेट, फिंगरप्रिंट जैसी पर्सनल डिटेल हासिल कर सकेंगी। रिसर्चर की मानें, तो मेटावर्स की वजह से इंसान खुद को लिमिटेड कर लेगा। इससे लोगों में अकेलेपन के बढ़ने की संभावना होगी। मेटावर्स के आने से लोगों का फिजिकल कॉन्टैक्ट खत्म हो जाएगा। लोग फेस टू फेस अपनी भावनाएं नहीं व्यक्त नहीं कर पाएंगे।
मेटावर्स की दुनिया की दिग्गज कंपनियां
दुनियाभर में कई कंपनियां मेटावर्स की दुनिया में काम कर रही हैं। इसमें सबसे पहले मेटा और माइक्रोसॉप्ट का नाम सबसे पहले आता है। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी मेटावर्स पर काफी तेजी से काम रही है। कंपनी ने अपने मेटावर्स प्रोजेक्ट "मेश" (Mesh) नाम दिया है। माइक्रोसॉफ्ट ने साल 2021 में इसे जुड़े एक ऐप को अपने इग्नाइट इवेंट में पेश किया था। इसमें होलोग्रॉफिक रेटरिंग देखने को मिलती है। दूसरी तरफ से फेसबुक ओन्ड मेटा ने मेटावर्स प्रोजेक्ट के लिए 10,000 नौकरियां निकाली थी।