HTTP vs HTTPS: इन दोनों टर्म्स का क्या है मतलब, इंटरनेट यूजर की सुरक्षा के लिए कैसे करते हैं काम
Difference Between HTTP and HTTPS Comparison Http और Https दोनों ही ऐसी टर्म हैं जो हर इंटरनेट यूजर के लिए जरूरी हैं। इन दोनों के बीच का अंतर समझना जरूरी है ताकि इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ आप अपनी सिक्योरिटी को लेकर भी पूरी जानकारी रख सकें। दोनों ही प्रोटोकोल का इस्तेमाल अलग-अल वेबसाइट के लिए होता है। ऐसे में दोनों प्रोटोकोल के बीच के अंतर को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।

नई दिल्ली, टेक डेस्क। इंटरनेट का इस्तेमाल एक स्मार्टफोन यूजर द्वारा रोजाना किया जाता है। अपनी जरूरतों के लिए हम दिन में कई बार ब्राउज़र की मदद से वेब पेज और वेबसाइट पर पहुंचते हैं। क्या आपने कभी किसी वेब पेज के एडरेस बार पर ग्रीन लॉक के साथ HTTPS और HTTP को पाया है।
अगर हां तो यह सवाल भी जरूर आया होगा कि इन दोनों ही टर्म का आखिर मतलब क्या है, ग्रीन लॉक अगर इंटरनेट पर आपकी जानकारियों की पक्की सुरक्षा का सूचक है तो यह हर वेबसाइट और वेबपेज पर क्यों नजर नहीं आता।
अगर आप सोच रहे हैं कि ग्रीन लॉक वेबसाइट ही सही और ट्रस्टवर्दी वेबसाइट्स हैं और HTTP वाली नहीं, तो बता दें ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इन दोनों ही टर्म का इस्तेमाल सही है, लेकिन ये एक दूसरे से अलग हैं। Http और https हैं और एक दूसरे से कैसे अलग हैं इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं।
Http और https क्या है?
Http और https की फुल फॉर्म की बात करें तो Http हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल और https की फुल फॉर्म हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल सिक्योर्ड है। ये दोनों ही टर्म नेवटर्क प्रोटोकोल हैं। आसान भाषा में समझें तो जब भी किसी इंटरनेट यूजर द्वारा जानकारियों के लिए ब्राउजर की मदद से कोई सवाल सर्च इंजन में डाला जाता है तो ब्राउजर इन जानकारियों के लिए वेब सर्वर को रिक्वेस्ट भेजता है।
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दरअसल वर्ल्ड वाइड वेब पर कई जानकारियां मौजूद होती हैं, ऐसे में इन जानकारियों में किसी खास जानकारी के लिए रिक्वेस्ट भेजे जाने पर सर्वर इन्हें उपलब्ध करवाता है। ब्राउजर और सर्वर के बीच डेटा के ट्रांसफर के लिए नेटवर्क प्रोटोकोल को फॉलो किया जाता है। यहां प्रोटोकोल का मतलब कुछ डेटा ट्रांसफर के लिए नियमों से है।
इंटरनेट पर सर्च के दौरान एरर कोड क्या है?
क्या आपने कभी गौर किया है, इंटरनेट पर जानकारियों को खोजन के दौरान कई बार जानकारियां नजर नहीं आती हैं। इसकी जगह ब्लैंक पेज या किसी एरर को स्क्रीन पर दिखाया जाता है।
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दरअसल वेब सर्वर पर जानकारियों के लिए रिक्वेस्ट करने पर जब किसी तरह का एरर होता है तब इसे अलग-अलग कोड से देखा जाता है। उदाहरण के लिए 404 कोड एक कॉमन एरर है। यह कोड यूजर के डिवाइस स्क्रीन पर तब दिखाई देता है जब वेब सर्वर पर रिक्वेस्ट की गई जानकारियां मौजूद नहीं होती। इसी तरह पासवर्ड से जुड़े किसी एरर के लिए 401 कोड को देखा जा सकता है।
Http और https में क्या है अंतर?
दरअसल वेब पेज पर Http और https दोनों नेटवर्क प्रोटोकोल का इस्तेमाल होता है। हालांकि, दोनों ही नेटवर्क प्रोटोकोल का इस्तेमाल अलग-अलग जरूरत के आधार पर किया जाता है।
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वेब पेज पर Http के जरिए प्लेन टेक्स्ट को भेजा जाता है, यह नेटवर्क सिक्योरिटी के साथ नहीं काम करता है। यानी साइब अपराधी या हैकर द्वारा इस प्रोटोकोल के साथ किसी भी वेबसाइट और वेबपेज की जानकारियों को आसानी से हैक किया जा सकता है।

वहीं दूसरी ओर https नेवटर्क के साथ इंटरनेट पर जानकारियां सुरक्षित रहती हैं। सर्वर इस नेटवर्क प्रोटोकोल के साथ इन्क्रिप्टेड डेटा को भेजता है, यानी हैकर द्वारा इस तरह की जानकारियों को एक्सेस नहीं किया जा सकता है। यह सर्वर और ब्राउजर के बीच डेटा ट्रांसफर का सुरक्षित तरीका होता है।
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Http नेटवर्क प्रोटोकोल का इस्तेमाल ब्लॉग या इन्फोर्मेशन देने वाली वेबसाइट और वेबपेज के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए किसी स्कूल की वेबसाइट। वहीं दूसरी ओर, https नेटवर्क प्रोटोकोल यूजर के बैंक अकाउंट और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी डिटेल्स के लिए होता है। इस प्रोटोकोल का इस्तेमाल यूजर के सेंसिटिव डेटा के लिए होता है, क्योंकि जानकारियों को हैक किए जाने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।
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टेक कंपनी गूगल Http वेबसाइट को प्राथमिकता नहीं देती, ब्राउजर पर यूजर केवल https वेबसाइट को ही देख सकता है। Http और https में एक सबसे बड़ा अंतर पेज लोडिंग स्पीड को लेकर भी है।
Http नेटवर्क प्रोटोकोल सिक्योर्ड नहीं होता, यही वजह है कि इस तरह की वेबसाइट की पेज लोडिंग बहुत फास्ट होती है। वहीं दूसरी ओर Http नेटवर्क प्रोटोकोल के साथ वेबसाइट की पेज लोडिंग बहुत स्लो होती है।

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