Deadbots: मरे हुए इंसानों के वजूद को जिंदा रख रहा AI Ghost, जीते जी बना रहा पागल
एआई के इस दौर में कल्पनाएं भी अब सच का रूप लेने लगी हैं या कहें कि कल्पना को ही सच मानने की विधा एआई के साथ जन्म लेने लगी है। एआई की मदद से मरे हुए इंसानों को जिंदा किया जा रहा है। असल में यह मरे हुए इंसानों के वजूद को जिंदा करना है जिसकी वजह से जिंदा इंसान पागलपन के शिकार हो रहे हैं।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने एआई घोस्ट (AI Ghost) या Deadbots के बारे में सुना है, अगर नहीं, तो एआई के इस दौर में इस विधा के बारे में जानना जरूरी है।
क्या है AI Ghost या Deadbots
AI Ghost या Deadbots के जरिए मरे हुए इंसानों का वजूद जिंदा रखा जा रहा है। यह वर्तमान के एआई दौर का ही एक ट्रेंड है, जिसमें मरे हुए इंसानों को जिंदा लोगों के बीच वर्चुअली जिंदा रखा जा रहा है।
जिंदा इंसानों के बीच मरे हुए इंसानों को वर्चुअली जिंदा रखना जिंदगी जी रहे इंसानों के पागलपन का कारण बन रहा है। ऐसा हम नहीं, बल्कि एआई पर शोध करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर शोध करने वाले डबलिन सिटी यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक निगेल मुलिगन का कहना है कि एआई घोस्ट जिंदा इंसानों को मानसिक रूप से कमजोर बना रहे हैं।
डिप्रेशन का शिकार बना रहा एआई घोस्ट
अवतार जैसे एआई घोस्ट की वजह से मरे हुए इंसानों को वर्चुअली जिंदा रखा जा रहा है। इसका परिणाम यह निकल कर आ रहा है कि जिंदा इंसान इस कल्पना को सच मान रहे हैं।
सच मानने की यह हद तनाव को पार कर डिप्रेशन की वजह बन रही है।
मरे इंसान ऐसे हो रहे हैं जिंदा
एआई घोस्ट हू-ब-हू उसी आवाज में बात करते हैं, जो मरे हुए शख्स की रही हो। जानकारों की मानें तो ऐसे चैटबॉट का इस्तेमाल दर्द और उदासी से उबरने के लिए कुछ समय भर के लिए सही हो सकता है।
हालांकि, वास्तविक स्थिति से दूर यह कल्पना ज्यादा समय तक जिंदा इंसानों के खतरनाक साबित हो सकती है।
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कैसे तैयार होते हैं ये डेड बॉट्स
एआई सॉफ्टवेयर की मदद से डेड बॉट्स तैयार किए जा रहे हैं। इन बॉट्स को तैयार करने के लिए मरे हुए इंसान की फोटो, ऑडियो, वीडियो और इनके इमेल्स की जरूरत होती है।
जितनी ज्यादा जानकारी मरे हुए व्यक्ति की दी जाए उसकी आवाज के साथ एक बेहतर बॉट तैयार किया जा सकता है।
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