Apple: एपल के शिफ्ट होने पर रोजगार और विदेशी निवेश का माहौल होगा प्रभावित, अमेरिका डाल रहा कंपनी पर दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एपल को भारत से शिफ्ट करने के फरमान पर अमल हुआ तो देश में रोजगार के साथ वैश्विक निवेश का भी माहौल प्रभावित होगा। अभी एपल फोन के निर्माण में भारत में लगभग 60 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। वहीं एपल फोन बनाने वाली मुख्य कंपनी फॉक्सकान ने भारत में 1.5 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है।

राजीव कुमार, जागरण, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एपल को भारत से शिफ्ट करने के फरमान पर अमल हुआ तो देश में रोजगार के साथ वैश्विक निवेश का भी माहौल प्रभावित होगा। अभी एपल फोन के निर्माण में भारत में लगभग 60 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
फॉक्सकान ने 1.49 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है
वहीं, एपल फोन बनाने वाली मुख्य कंपनी फॉक्सकान ने भारत में 1.5 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है और कंपनी आगे भी निवेश की योजना बना रही है। हाल ही में फाक्सकान ने तमिलनाडु संयंत्र में 1.49 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है।
ट्रंप ने शुक्रवार को एक कहा कि एपल अगर चीन की जगह भारत में भी फोन का निर्माण करता है तो उस पर 25 प्रतिशत शुल्क लगेगा। अभी भारत निर्मित सामान को अमेरिका में बेचने पर 10 प्रतिशत तो चीन में बने सामान पर 30 प्रतिशत का शुल्क लगता है। इसलिए अभी भारत में एपल को फोन निर्माण करने पर लाभ दिख रहा है।
चीन में तीन लाख लोग एपल फोन के निर्माण में लगे
चीन में तीन लाख लोग एपल फोन के निर्माण में लगे हैं। भारत में अभी लगभग 15 प्रतिशत एपल फोन का निर्माण होता है, जबकि चीन की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। भारत अमेरिका को सालाना सिर्फ छह अरब डालर से अधिक के फोन का निर्यात करता है।
अमेरिका अभी एपल पर डाल रहा दबाव
जानकारों का कहना है कि अमेरिका अभी एपल को भारत से अपना निर्माण शिफ्ट करने के लिए कह रहा है। कुछ दिनों बाद चिप बनाने वाली अमेरिकन कंपनी माइक्रोन को भी भारत से अमेरिका शिफ्ट करने के लिए कह सकता है या भारत के चिप पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा कर सकता है।
माइक्रोन पहले चीन में चिप बनाने का काम करती थी, जो अब भारत में अपनी यूनिट स्थापित कर रही है। अमेरिका की कई ऐसी बड़ी कंपनियां हैं, जो एपल की तरह खुद सामान नहीं बना कर उसे दूसरी कंपनियों से बनवाती है।
अमेरिकी कंपनियां अपना रुख बदल सकती हैं
ट्रंप के इस रुख को देखकर खिलौना व लेदर जैसे सेक्टर में निर्माण के लिए भारतीय कंपनियों से समझौते में दिलचस्पी दिखाने वाली अमेरिकी कंपनियां अपना रुख बदल सकती हैं।
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