स्पेटियल कंप्यूटिंग के साथ शुरू हुआ नया जादुई दौर, बदल जाएगी तकनीकी की दुनिया
क्या आपने कभी सोचा है कि आप कहीं भी कभी भी बिना डिस्प्ले कीबोर्ड और माउस के अपनी आंखों हाथ और आवाज से भी इंटरनेट का थ्रीडी उपयोग कर सकते हैं? जी हां यह संभव होने जा रहा है केवल स्पेटियल कंप्यूटिंग के जरिए। आइए जानें वास्तविक और आभासी दुनिया की दूरी मिटाने वाली यह तकनीक अब कंप्यूटर के साथ हमारे संपर्क के तरीकों को कैसे बदलने जा रही है।
नई दिल्ली, ब्रह्मानंद मिश्र। कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ भी देखने के लिए हमें कीबोर्ड और माउस से सूचनाओं को दर्ज करना होता है और फिर 2डी स्क्रीन हमारे सामने जानकारियों के एक असीमित तंत्र को प्रस्तुत कर देती है। बीते कई दशकों से इस तकनीकी व्यवस्था ने हर क्षेत्र और व्यवस्था को बदला है। इस क्रम में जब स्मार्टफोन आया, तो उसे कंप्यूटिंग के एक नए दौर के रूप में देखा गया।
दरअसल, स्मार्टफोन सिमटते हार्डवेयर और ताकतवर होते साफ्टवेयर के नये युग का सूत्रपात था। बीते दिनों जब एपल ने अपने पहले स्पेटियल कंप्यूटर के रूप में विजनप्रो को पेश किया, तो यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या वाकई अब स्पेटियल कंप्यूटिंग का सपना हकीकत में बदलने जा रहा है। पिछले दिनों स्पेटियल कंप्यूटिंग आधारित विजनप्रो को लांच करते हुए खुद एपल प्रमुख टिम कुक ने इसे कंप्यूटिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन बताया।
क्यों खास है स्पेटियल कंप्यूटिंग
यह भौतिक दुनिया और डिजिटल कंटेंट के आपसी तालमेल की ऐसी व्यवस्था है, जो पारंपरिक कंप्यूटिंग से कई गुना ताकतवर और प्रभावशाली सिद्ध हो सकती है। पारंपरिक डिस्प्ले की तुलना में यह त्रि-विमीय (थ्रीडी) यूजर इंटरफेस है, जिसे कीबोर्ड और माउस से नहीं, बल्कि यूजर की आंखों, हाथों और आवाज से नियंत्रित किया जा सकता है। दुनिया के पहले स्पेटियल आपरेटिंग सिस्टम के रूप में विजनओएस को पेश किया गया।
जिस तरह मैक ने पर्सनल कंप्यूटिंग, आइफोन ने मोबाइल कंप्यूटिंग से दुनिया को परिचित कराया था, ठीक उसी तरह विजनओएस अब स्पेटियल कंप्यूटिंग की नींव तैयार कर रहा है। इसे अब तक का सबसे एडवांस पर्सनल इलेक्ट्रानिक डिवाइस माना जा रहा है।
कैसे काम करती है यह तकनीक
यह तकनीक कंप्यूटर को वास्तविक दुनिया के साथ बिल्कुल प्राकृतिक ढंग से जोड़ती है यानी आभासी और वास्तविक दुनिया के बीच इससे अंतर कम हो रहा है। इस तकनीक के विविध पहलुओं को आप एपल के विजन प्रो, माइक्रोसाफ्ट के होलोलेंस, मेटा क्वेस्ट प्रो और मैजिक लीप जैसे हैडसेट से महसूस कर सकते हैं। ये उपकरण वास्तविक वस्तुओं को दृश्य में इस तरह एंबेड करते हैं, जिससे कई तरह के कार्य आसान हो जाते हैं। जैसे-आप अपने लिविंग रूम के लिए किसी फर्नीचर को खरीदने से पहले उसके वर्चुअल पीस को सेट करके देख सकते हैं। दरअसल, ये डिवाइसेज फिजिकल और डिजिटल दुनिया को मिक्स करने के लिए कई तकनीकों पर निर्भर हैं।
यह 'कंप्यूटर विजन' कैमरा डेटा और सेंसर डाटा को प्रासेस करने के साथ आसपास की विजुअल जानकारियों को कैप्चर करता है। इसी तरह 'सेंसर फ्यूजन' अनेक सेंसर के डेटा को मिश्रित कर वास्तविक प्रतिचित्र तैयार करता है। 'स्पेटियल मैपिंग' एनवायरमेंट का थ्रीडी माडल तैयार करता है, जिससे डिजिटल कंटेंट को सही ढंग से व्यवस्थित किया जा सके। सबसे खास बात है कि यह आसपास की स्थिति को समझने में सक्षम है। इससे मेज पर वर्चुअल वस्तुओं को रखना, उसे हटाना और किसी वस्तु के पीछे छिपाने जैसे काम किये जा सकते हैं।
खास हैं इसके फीचर
इसमें आइ-ट्रैकिंग टेक्नोलाजी आपकी आंखों के हावभाव को ट्रैक करती है, हैंडहेल्ड कंट्रोलर और मोशन सेंसर आपको आभासी वस्तुओं में हेर-फेर करने में सक्षम बनाते हैं। वायस कमांड के लिए स्पीच रिकग्निशन फीचर भी होता है। इन सभी फीचर्स का मैनुफैक्चरिंग समेत विविध कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
एआर और वीआर है ताकत
स्पेटियल कंप्यूटिंग आग्युमेंटेड रियलिटी (एआर) और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) दोनों से संबंधित है। एआर का मतलब है फोन या स्मार्ट ग्लास की मदद से डिजिटल कंटेंट को वास्तविक दुनिया के साथ संबद्ध करना। हालांकि, थ्रीडी स्पेस में यह डिजिटल कंटेंट को एंबेड नहीं करता। दूसरी ओर, वीआर पूरी तरह से इमर्सिव डिजिटल माहौल तैयार करता है। यह यूजर के भौतिक परिवेश को पूरी तरह से हटा देता है। इसी तरह मिक्स्ड रियलिटी (एमआर) एआर और वीआर दोनों ही तकनीकों को मिश्रित कर देता है।
कैसे कर सकते है प्रयोग
गेमिंग और एंटरटेनमेंट
इसके जरिये आप वर्चुअल वस्तुओं और किरदारों से प्राकृतिक और सहज तरीके से जुड़ सकते हैं। खास बात है कि कीबोर्ड या जायस्टिक के बजाय आप हाथों के मूवमेंट या अवतार को आंखों के इशारे से नियंत्रित कर सकते हैं। आप स्टेडियम या कोर्टरूम जैसा आनंद घर बैठे ले सकते हैं।
शिक्षण-प्रशिक्षण
स्पेटियल कंप्यूटिंग पढ़ाई-लिखाई में आकर्षक और इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करती है। इससे सीखने और प्रशिक्षण प्राप्त करना पहले से अधिक सहज होगा। मेडिकल छात्र स्पेटियल कंप्यूटिंग से वर्चुअल माहौल में सर्जिकल प्रोसिजर की प्रैक्टिस कर सकते हैं। साइंस और इंजीनियरिंग के छात्र इसका प्रयोग मशीनों का वर्चुअल प्रोटोटाइप तैयार करने के लिए कर सकते हैं।
स्वास्थ्य देखभाल
स्पेटियल कंप्यूटिंग जांच, उपचार और मरीजों की देखभाल में एक नई राह तैयार कर सकती है। डाक्टर मरीज का आपरेशन करते हुए भी हेडसेट के जरिये मेडिकल इमेजिंग स्कैन कर सकते हैं। वहीं, मरीजों के लिए यह वर्चुअल असिस्टेंट के तौर पर यह कई तरीके से मददगार हो सकता है।
रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग और ट्रांसपोर्टेशन में मददगार
स्पेटियल कंप्यूटिंग का रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग, यातायात जैसे अनेक क्षेत्रों में अनुप्रयोग किया जा सकता है। मैन्युफैक्चरिंग में वर्चुअल वस्तुओं को तैयार करने से लेकर उसे व्यवस्थित करने जैसे कार्य किये जा सकते हैं। इसकी मदद स्केच और डायग्राम तैयार करने में भी ली जा सकती है। साथ ही, वेयरहाउस में वस्तुओं को चिह्नित करने और नेविगेट करने में भी यह सहायक हो सकता है।
स्पेटियल कंप्यूटिंग के फायदे व नुकसान
फायदे
- यूजर का अनुभव बेहतर होगा।
- इसके यूजरइंटरफेस इमर्सिव और आकर्षक हैं।
- रियल टाइम में डाटा विजुअलाइजेशन
- सहयोग और संचार में सुधार
- वस्तुओं की ट्रैकिंग और स्थानिक मानचित्रण
- विविध औद्योगिक क्षेत्रों में अनुप्रयोग
- स्थानिक डेटा का विश्लेषण करने में सहायक
नुकसान
- अभी इसके हार्डवेयर और साफ्टवेयर सपोर्ट बहुत सीमित हैं।
- उपलब्धता कम है और कीमत अधिक है।
- गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का समाधान होना बाकी
- इसके प्रयोग के लिए विशेष तरह के कौशल की आवश्यकता
- नैतिक और सामाजिक चिंताएं
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