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    Apple और Google को लेकर Shark Tank India के जज अनुपम मित्तल ने कही ये बड़ी बात,यहां जानें डिटेल

    Updated: Tue, 20 Feb 2024 10:19 AM (IST)

    शार्क टैंक के जज अनुपम मित्तल ने हाल ही में एपल और गूगल को लेकर एक बड़ी बात कह दी है। अनुपम ने कहा कि ये दोनों कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी के समान है जो पूरे ऐप इकोसिस्टम को कंट्रोल करने के साथ-साथ पूरी आजादी से काम करती हैं। मित्तल ने ये भी कहा कि इन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

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    Apple और Google को लेकर Shark Tank India के जज अनुपम मित्तल ने कई ये बड़ी बात

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। शार्क टैंक इंडिया शो और उसके जज आए दिए चर्चा में रहते हैं। इस बार शो के जज अनुपम ने Apple और Google के कंट्रोल करने के तरीके पर उंगली उठाई है। मित्तल ने एक मीडिया संस्थान से बातचीत करते हुए तकनीकी दिग्गज एपल और गूगल की ऐप स्टोर नीतियों की कड़ी आलोचना की। आपको बता दें कि अनुपम मित्तल जाने माने मैचमेकिंग प्लेटफॉर्म Shaadi.com के संस्थापक और सीईओ है।

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    मित्तल ने इन दोनों कंपनियों की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की। मित्तल ने कहा कि Google और Apple पूरे ऐप इकोसिस्टम को नियंत्रित करती हैं और बिना किसी रोक टोक के काम करती हैं। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

    लेती है 15-30% कमीशन

    • मित्तल ने यह भी बताया कि ये कंपनियां स्टार्टअप के लिए भी अनुचित नियमों पर काम करती है।
    • जैसा कि हम जानते हैं कि स्टोर के माध्यम से डाउनलोड किए गए ऐप्स पर होने वाला कोई भी लेनदेन पर 15-30% कर/कमीशन लगता है।
    • यानी कि ये कंपनियां स्टार्टअप कंपनियों के रैवन्यू का 50% लेने की तैयारी में रहते हैं।

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    नई ईस्ट इंडिया कंपनी है एपल और गूगल

    • मित्तल ने ये भी कहा कि ये कंपनियां नई ईस्ट इंडिया कंपनी है और वे पूरे अहंकार और बिना किसी सजा के डर के साथ काम करती हैं।
    • सरकार की सबसे बड़ी समस्या इन कंपनियों से अनुपालन कराने में है। उनकी रणनीति कानूनी प्रक्रिया को लंबा खींचने और सिस्टम को थका देने की है।
    • इसके साथ ही मित्तल ने यह भी कहा कि ये तकनीकी दिग्गजों पर ऐसी प्रथाओं के माध्यम से हमारी अर्थव्यवस्था के द्वारपाल बनने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

    होनी चाहिए कड़ी कार्रवाई

    • मित्तल का यह भी मानना है कि इन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए है। इसे सिर्फ वित्तीय दंड पर ही नहीं रुकना चाहिए।
    • मित्तल ने कहा कि कानून का दुरुपयोग करने वाले या इसकी मूल भावना का उल्लंघन करते हुए इसे तोड़ने-मरोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए दंडात्मक प्रावधान होने चाहिए।

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