Android Case: Google, CCI की क्रॉस-याचिकाओं पर 10 अक्टूबर से अंतिम सुनवाई शुरू करेगा SC: रिपोर्ट
Android Case सुप्रीम कोर्ट ने Google और CCI दोनों की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है। एनसीएलएटी ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा तकनीकी दिग्गज कंपनी पर लगाए गए 1337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने को भी बरकरार रखा। बता दें एनसीएलएटी ने अपने 29 मार्च के आदेश में Google को चार प्रमुख दिशाओं में राहत दी थी। (फाइल फोटो-जागरण)

नई दिल्ली, टेक डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह एंड्रॉइड मामले में एनसीएलएटी के 29 मार्च के आदेश के खिलाफ गूगल और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की क्रॉस-याचिकाओं पर 10 अक्टूबर से अंतिम सुनवाई शुरू करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को अपील पर सुनवाई की और कहा कि वह मामले में तैयार होने के लिए कुछ समय चाहती हैं।
NCALT के आदेश के खिलाफ अलग-अलग अपील दायर
पीठ ने कहा कि क्रॉस-याचिकाओं को अंतिम निपटान के लिए 10 अक्टूबर को लिस्ट किया जाए और पक्षों से 3 अक्टूबर तक दलीलें पूरी करने को कहा। इस बीच, शीर्ष अदालत ने Google और CCI दोनों की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने मामले के आसान फैसले के लिए दोनों पक्षों के वकीलों की मदद से आम डिजिटल दलीलें तैयार करने के लिए वकील समीर बंसल को नोडल वकील भी नियुक्त किया है।
क्या है पूरा मामला?
एनसीएलएटी ने 29 मार्च को सीसीआई के पिछले साल 20 अक्टूबर के एंड्रॉइड ऑर्डर को काफी हद तक बरकरार रखा था, जबकि प्रतिस्पर्धा निगरानी संस्था द्वारा जारी 10 नॉन-मॉनेटरी निर्देशों में से चार पर तकनीकी दिग्गज को राहत दी थी। एनसीएलएटी ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा तकनीकी दिग्गज कंपनी पर लगाए गए 1337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने को भी बरकरार रखा।
Google और CCI दोनों ने NCLAT के फैसले के खिलाफ अपील में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दरअसल, सीसीआई की अपील एंड्रॉइड मामले में एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ गूगल की अपील से पहले की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जुलाई को अपील पर सुनवाई की थी और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की अनुपलब्धता के मद्देनजर सुनवाई 14 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी थी।
Google को मिली राहत
एनसीएलएटी ने अपने 29 मार्च के आदेश में Google को चार प्रमुख दिशाओं में राहत दी थी। Google को अपने मालिकाना एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफ़ेस (API) को थर्ड पार्टी के साथ शेयर करने की जरूरत नहीं है। Google Android फ़ोन पर Google Suite ऐप्स की अनइंस्टॉलेशन को बैन कर सकता है। जब यूजर्स किसी अज्ञात स्रोत की वेबसाइट से सीधे एप्लिकेशन डाउनलोड करते हैं तो उन्हें चेतावनी भेजने में Google निष्पक्ष था।
मलवेयर से बचने के लिए अपने प्ले स्टोर पर थर्ड-पार्टी के एप्लिकेशन स्टोर को अनुमति नहीं देने में Google सही था। सीसीआई ने यह भी तर्क दिया कि Google न तो स्मार्ट डिवाइस के OEM को अपने ऐप्स को प्रीइंस्टॉल करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है, न ही यूजर्स को ऐसे ऐप्स को अनइंस्टॉल करने से रोक सकता है।
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