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    क्या रिफर्बिश्ड डिवाइस फायदे का सौदा है? खरीदारी से पहले की जानें हर जरूरी बात

    टेक्नोलॉजी डेस्क नई दिल्ली। रिफर्बिश्ड प्रोडक्ट को लेकर ग्राहकों के मन में अक्सर सवाल रहते हैं लेकिन ये प्रोडक्ट पूरी तरह टेस्टेड होते हैं। सही प्लेटफॉर्म से खरीदने पर ये भरोसेमंद होते हैं और नई डिवाइस की तुलना में कम कीमत पर मिलते हैं। रिफर्बिश्ड डिवाइस की मरम्मत की जाती है और टेस्टिंग के बाद बेचा जाता है।

    By Jagran News Edited By: Subhash Gariya Updated: Sun, 24 Aug 2025 08:00 AM (IST)
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    रिफर्बिश्ड डिवाइस खरीदना क्यों हैं बेस्ट ऑप्शन?

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर कंज्यूमर के मन में सवाल रहता है कि रिफर्बिश्ड प्रोडक्ट खराब होते हैं। मगर सच्चाई यह है कि रिफर्बिश्ड प्रोडक्ट पूरी तरह से टेस्ट करके ही बेचे जाते हैं। अगर रिफर्बिश्ड डिवाइस सही प्लेटफॉर्म से खरीदे जाएं, तो ये भरोसेमंद साबित होते हैं। इनकी कीमत नई डिवाइस की तुलना में कम होती है और साथ ही वारंटी व रिटर्न पॉलिसी जैसे विकल्प भी मिलते हैं। लोग अब रिफर्बिश्ड डिवाइस खरीदने की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

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    क्या हैं रिफर्बिश्ड डिवाइस?

    यदि किसी डिवाइस पर रिफर्बिश्ड का टैग लगा है, तो उसका किसी ग्राहक ने उपयोग किया है या फैक्ट्री स्तर पर कुछ समस्या आई है। कंपनी या सर्टिफाइड विक्रेता इन डिवाइस को वापस लेकर मरम्मत करते हैं और कई टेस्टिंग के बाद फिर से बेचते हैं।

    अगर स्क्रीन टूट गई हो, बैटरी कमजोर हो गई हो या उसमें सॉफ्टवेयर की दिक्कत हो, तो इन्हें बदल दिया जाता है। उसके बाद डिवाइस को क्वालिटी चेक से गुजारा जाता है। इन्हें ग्रेडिंग सिस्टम में बेचा जाता है:

    • ए-ग्रेड: लगभग नया जैसा, हल्के निशान।
    • बी-ग्रेड: हल्के स्क्रैच या निशान दिख सकते हैं, लेकिन परफॉर्मेंस पर असर नहीं।
    • सी-ग्रेड: ज्यादा उपयोग की गई, कीमत कम।

    सेकंड-हैंड और रिफर्बिश्ड में क्या अंतर है?

    सेकंड-हैंड और रिफर्बिश्ड डिवाइस में बड़ा अंतर है। सेकंड-हैंड बिना किसी टेस्टिंग या मरम्मत के बेच दी जाती हैं- जैसे, ओएलएक्स या क्विकर पर कोई पुराना फोन बेच रहा हो। इसमें कोई गारंटी नहीं होती है। वहीं, रिफर्बिश्ड डिवाइस को टेस्टिंग के बाद वारंटी के साथ बेचा जाता है। मिसाल के तौर पर एक रिफर्बिश्ड आइफोन को एपल या अमेजन टेस्ट करता है।

    रिफर्बिश्ड डिवाइस क्यों खरीदें?

    मान लें एक नए आइफोन15 की कीमत 80,000 रुपये है, तो रिफर्बिश्ड में यह 40-50 हजार रुपये में मिल सकता है। इसी तरह रिफर्बिश्ड लैपटॉप आधे दाम में मिल जाता है। ये स्टूडेंट्स, फ्रीलांसर्स के लिए बेस्ट है। यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। नई डिवाइस बनाने में खनिज, पानी, बिजली खर्च होती है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। रिफर्बिश्ड खरीदकर आप ई-वेस्ट कम करते हैं।

    किन बातों का रखें ध्यान

    फैक्ट्री सर्टिफाइड रिफर्बिश्ड प्रोडक्ट: सभी रिफर्बिश्ड एक जैसे नहीं होते हैं। थर्ड पार्टी रिफर्बिश्ड प्रोडक्ट्स भी उपलब्ध हैं, लेकिन फैक्ट्री रिफर्बिश्ड इलेक्ट्रॉनिक्स को खरीदना ही बेहतर

    होगा, क्योंकि ये प्रोडक्ट न सिर्फ मैनुफैक्चरर वारंटी के साथ आते हैं, बल्कि अच्छे से टेस्टेड भी होते हैं।

    वारंटी: कई सारे रिटेलर्स और मैनुफैक्चर्स रिफर्बिश्ड पर तीन से छह महीनों की वारंटी आफर करते हैं, लेकिन बेहतर होगा कि जो एक साल की वारंटी देता हो, उसे सर्च करें। आप रिटेलर्स से बात कर सकते हैं, अगर आइटम पर ज्यादा वारंटी दे तो और बेहतर होगा।

    एक्सेसरीज और दूसरी डिटेल्स: डिवाइस से संबंधित चार्जर, केबल, सॉफ्टवेयर आदि से जुड़ी एक्सेसरीज के अलावा पैकेज को भी अच्छे से देख लें। रिफर्बिश्ड सस्ते, भरोसेमंद और

    पर्यावरण के लिए अच्छे हैं। ये सेकंड-हैंड से बेहतर होते हैं, क्योंकि इनमें क्वालिटी चेक और वारंटी होती है। रिफर्बिश्ड स्मार्ट चॉइस है, इसे विश्वसनीय प्लेटफॉर्म से खरीदें, रिव्यू जरूर चेक कर लें।

    रिटर्न पॉलिसी: रिफर्बिश्ड आइटम के लिए रिटर्न पॉलिसी को जरूर पढ़ लें। अगर प्रोडक्ट को रिटर्न करने की पॉलिसी हो तभी प्रो डक्ट खरीदें, क्योंकि प्रोडक्ट को खरीदने के बाद कोई इश्यू आजाए तो फिर रिटर्न करना आसान हो जाएगा। एपल, अमेजन आदि की रिटर्न पॉलिसी अलग-अलग है।

    - संतोष आनंद

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