खतरे में डिजिटल सेफ्टी, क्वांटम कंप्यूटिंग से बैंकिंग और सरकारी डेटा तक को खतरा; हैकर्स बना सकते हैं निशाना
आज की डिजिटल सिक्योरिटी एन्क्रिप्शन पर टिकी है और क्वांटम कंप्यूटिंग वो चाबी है जो इन ताले को खोल सकती है। बैंकिंग से लेकर सरकारी सिक्योरिटी तक सब खतरे में है। टेक्नोलॉजी की दुनिया अब ऐसे मोड़ पर है जो आने वाले कल को पूरी तरह बदल सकता है। क्वांटम कंप्यूटिंग अब सपना नहीं बल्कि हकीकत बनने वाली है और दुनिया को इसके लिए अभी से तैयार होना पड़ेगा।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी की दुनिया ऐसे मोड़ पर पहुंच चुकी है जो भविष्य को पूरी तरह बदल सकती है। ये क्वांटम कंप्यूटिंग का दौर है। बड़ी IT कंपनियों के एक्सपर्ट्स ने हाल ही में एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि दुनिया को अब इस क्वांटम एरा के लिए तैयार होना होगा। पिछले कुछ सालों में Google, IBM, Microsoft और कई चाइनीज और अमेरिकन स्टार्टअप्स ने क्वांटम मशीनों पर अरबों डॉलर लगाए हैं। US डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस और बड़े यूरोपियन एजेंसियां भी इसे नेशनल स्ट्रैटेजी का हिस्सा मान रही हैं। अनुमान है कि ये टेक्नोलॉजी 2030 के बाद लैब से निकलकर रियल एप्लिकेशन में इस्तेमाल होने लगेगी।
भविष्य की तैयारी अभी जरूरी है
क्वांटम कंप्यूटिंग सपना नहीं बल्कि आने वाली हकीकत है। सवाल यह नहीं है कि ये कब आएगी, बल्कि यह है कि हम इसके आने पर कितने तैयार होंगे। जैसे इंटरनेट ने दुनिया की तस्वीर बदल दी थी, वैसे ही क्वांटम भी बड़े बदलाव ला सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार तैयारी में देरी करना मतलब पीछे छूट जाना होगा। इसलिए गवर्नमेंट्स और कंपनियों को पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी पर काम करना चाहिए। एजुकेशन और रिसर्च में इन्वेस्टमेंट बढ़ाकर क्वांटम साइंटिस्ट्स और इंजीनियर्स तैयार करने चाहिए।
ये इतना जरूरी क्यों है?
इसका सबसे बड़ा असर साइबर सिक्योरिटी पर होगा। इंटरनेट, बैंकिंग और गवर्नमेंट्स की सिक्योरिटी जिस एन्क्रिप्शन पर टिकी है, वह क्वांटम कंप्यूटर की ताकत के सामने टिक नहीं पाएगी। एक क्वांटम कंप्यूटर वो पासवर्ड मिनटों में क्रैक कर सकता है, जिसे ट्रेडिशनल सुपरकंप्यूटर सालों में भी नहीं कर पाएंगे। इसका मतलब पूरा डिजिटल सिक्योरिटी सिस्टम बदलना होगा। Orange Business के वाइस प्रेसिडेंट Benjamin Viguru कहते हैं, 'हैकर्स पहले से डेटा इकट्ठा कर रहे हैं, स्टोर कर रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि क्वांटम कंप्यूटर से इसे डिक्रिप्ट किया जा सके।' यानी खतरा दूर नहीं, बल्कि सामने ही है।
क्वांटम कंप्यूटिंग में मॉलेक्यूल्स और प्रोटीन को गहराई से समझने की क्षमता है। ये कैंसर, अल्जाइमर और रेयर डिजीज़ की दवा खोज में क्रांति ला सकता है। क्लाइमेट चेंज, वेदर फोरकास्टिंग और कॉम्प्लेक्स फाइनेंशियल मॉडलिंग भी और सटीक और तेज हो जाएगी।
मुश्किल चुनौतियां
हालांकि, रिपोर्ट ये भी बताती है कि क्वांटम मशीनों तक पहुंचना आसान नहीं है। इन्हें चलाने के लिए बेहद ठंडी परिस्थितियों, एरर करेक्शन और स्पेशल इंजीनियरिंग की जरूरत होती है। अभी तक ये टेक्नोलॉजी महंगी है और चुनिंदा साइंटिस्ट्स तक सीमित है। एक और खतरा है ओवर-एक्सपेक्टेशन का। जैसे AI, वैसे ही ये भी अधूरी और असुरक्षित साबित हो सकती है।
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