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    भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही ऑनलाइन गेमिंग, Meta का दावा - छोटे शहरों से हैं 43 प्रतिशत रियल मनी गेमर्स

    By Agency Edited By: Ankita Pandey
    Updated: Thu, 14 Mar 2024 04:35 PM (IST)

    सोशल मीडिया फर्म मेटा के एक अध्ययन में कहा गया है कि लगभग आधे कैज़ुअल गेमर्स और 43 प्रतिशत रियल मनी वाले गेमर्स गैर-महानगरीय (Non- Metro) भौगोलिक क्षेत्रों से आते हैं। मेटा जीडब्ल्यूआई के एक अध्ययन से पता चला है कि देश में चार में से तीन से अधिक कैजुअल और रियल मनी वाले गेमर्स सोशल मीडिया पर खेलने और खरीदने के लिए नए गेम खोजते हैं

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    छोटे शहरों से हैं 43 प्रतिशत रियल मनी गेमर्स, यहां जानें डिटेल्स

    पीटीआई, नई दिल्ली।  भारत में गेमिंग की बढ़ती लोकप्रियता पर प्रकाश डालते हुए सोशल मीडिया फर्म मेटा के एक अध्ययन में कहा गया है कि लगभग आधे कैज़ुअल गेमर्स और 43 प्रतिशत रियल मनी वाले गेमर्स गैर-महानगरीय (Non- Metro) भौगोलिक क्षेत्रों से आते हैं।

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    मेटा जीडब्ल्यूआई के एक अध्ययन से पता चला है कि देश में चार में से तीन से अधिक कैजुअल और रियल मनी  वाले गेमर्स सोशल मीडिया पर खेलने और खरीदने के लिए नए गेम खोजते हैं, और इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक मेटा प्लेटफॉर्म पर ऐसा करते हैं।

    भारत के तकनीकी क्षेत्र में गेमिंग

    मेटा के निदेशक और प्रमुख (भारत), विज्ञापन व्यवसाय, अरुण श्रीनिवास ने कहा  कि गेमिंग विश्व स्तर पर मेटा के लिए टॉप तीन वर्टिकल में से एक है और हम विशेष रूप से ऑटोमेटिक विज्ञापनों के हमारे एडवांटेज+ सूट को गेमिंग ब्रांड्स के लिए विकास में वृद्धि के रूप में देख रहे हैं। श्रीनिवास ने कहा कि गेमिंग भारत के तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

    अध्ययन से पता चला कि 10 में से 6 स्मार्टफोन गेमर्स प्रतिदिन गेम खेलते हैं, और लगभग 90 प्रतिशत वास्तविक पैसे वाले गेमर्स कम से कम साप्ताहिक रूप से ऐसी गतिविधियों में भाग लेते हैं। इसमें कहा गया है कि लगभग आधे कैजुअल गेमर्स और 43 प्रतिशत वास्तविक पैसे वाले गेमर्स गैर-मेट्रो भौगोलिक क्षेत्रों से आते हैं।

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    इस तरह के गेम खेलते हैं गेमर्स

    अध्ययन में पाया गया कि प्रमुख खेल आयोजन और उत्सव की अवधि खेले जाने वाले खेलों के प्रकार को प्रभावित करती है।

    अध्ययन के अनुसार 88 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि टेंटपोल खेल आयोजनों (जैसे कि आईपीएल और विश्व कप) के दौरान उनके अन्य वास्तविक पैसे वाले गेम खेलने के बजाय फंतासी खेल खेलने की अधिक संभावना है।

    अध्ययन में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजंस, आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता शीर्ष तीन गेमिंग प्रौद्योगिकियां हैं जो भारत में कैज़ुअल गेमर्स के लिए सबसे अधिक रुचि रखती हैं।

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