नई दिल्ली, टेक डेस्क। कौशल का खेल क्या है? यह किस्मत के खेल से अलग कैसे है? इस तरह के सवाल लंबे समय से सार्वजनिक क्षेत्र में हैं। इस अंतर से लड़ने के लिए कई वर्षों से न्यायालयों में मामले चल रहे हैं। कौशल के खेल में खिलाड़ी को वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने ज्ञान, संज्ञानात्मक कौशल व अन्य का उपयोग करना होता है, जबकि किस्मत का खेल विशुद्ध रूप से सट्टेबाजी और जुआ है। यह अंतर कौशल के खेल को उन खिलाड़ियों के लिए लोकप्रिय विकल्प बनाता है जो अपने कौशल का परीक्षण करना चाहते हैं और पुरस्कार के लिए दूसरों से प्रतिस्पर्धा करने के इच्छुक होते हैं।

24 जनवरी, 2023 को, राजस्थान के माननीय उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने जीएसटी प्राधिकरणों द्वारा माईटीम11 फैंटेसी स्पोर्ट्स को जारी की गई कारण बताओ नोटिस के जवाब में उनके द्वारा दाखिल याचिका में उनके पक्ष में आदेश जारी करते हुए कौशल आधारित खेलों की बारीकियों को दोहराया। जीएसटी विभाग ने बकाया कर की वसूली के लिए माईटीम11 को कारण बताओ नोटिस दिया था। इसमें यह आरोप लगाया गया था कि खेलों को कौशल के खेल के रूप में गलत वर्गीकृत किया गया है। वास्तव में, ये सट्टेबाजी/जुआ के खेल हैं। न्यायालय ने 1996, 2007 और 2019 के कई कानूनी उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि इन निर्णयों के तहत शामिल किए गए खेलों को पहले से ही "कौशल के खेल" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

भारत में ऑनलाइन कौशल खेलों पर करारोपण को लेकर लंबे समय से चर्चा और विचार-विमर्श किया जा रहा है। यह उद्योग वर्तमान में प्लेटफॉर्म शुल्क पर 18% जीएसटी का भुगतान करता है जो उनके द्वारा अर्जित राजस्व है जिसका अधिकांश देशों में विश्व स्तर पर चलन है। इस बात पर चर्चा चल रही है कि क्या इस उद्योग को 18% की वर्तमान दर के बजाय 28% पर जीएसटी का भुगतान करना चाहिए और क्या यह कर प्लेटफ़ॉर्म शुल्क या प्लेटफ़ॉर्म शुल्क एवं प्राइज पूल सहित कुल राशि पर लगाया जाना चाहिए।

राजस्व पर कर का भुगतान उचित मांग है, हालांकि, कुल इनाम पर कर लगाने की कोशिश करने से उद्योग संकट में आ जाएगा। ऑनलाइन गेमिंग उदीयमान उद्योग है और इसे सट्टेबाजी एवं जुआ की ही श्रेणी में लाए जाने से इसके विकास में बाधा उत्पन्न होगी।

दरअसल, प्रमुख कानूनी फर्म लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन द्वारा प्रकाशित एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए प्रतियोगिता प्रवेश राशि पर जीएसटी सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय चलन के अनुरूप नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे संपन्न ऑनलाइन गेमिंग उद्योग वाले अधिकांश देश 'सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) पर कर' मॉडल का पालन करते हैं। इसमें उन देशों के उदाहरणों का भी हवाला दिया गया है, जहां उच्च करारोपण और /या प्रतियोगिता प्रविष्टि राशि (सीईए) पर गलत कर लिए जाने के चलते सरकार के राजस्व को हानि पहुंची और अनाधिकृत अपतटीय सट्टेबाजी एवं जुआ प्लेटफार्मों के विकास को प्रोत्साहन मिला।

उम्मीद है कि राजस्थान उच्च न्यायालय का अवलोकन नीति निर्माताओं और खास तौर पर वित्त मंत्रालय के लिए एक कानूनी रूपरेखा के रूप में काम करेगा, क्योंकि वित्त मंत्रालय ऑनलाइन कौशल खेलों के लिए अंतिम जीएसटी संरचना का प्रस्ताव रखने की तैयारी में है। क्या कुल प्रतिफल राशि पर 28% की दर से कर लगाना ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विकास में बाधा उत्पन्न नहीं करेगा? क्या नीति निर्माता इस पर ध्यान देंगे और उन देशों के कानून का अनुसरण करेंगे, जिन्हें अनुकूल कर व्यवस्था से काफी लाभ हुआ है?

Edited By: Siddharth Priyadarshi