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    Online Gaming: ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 फीसदी जीएसटी, जानें इसके मायने

    By Saurabh VermaEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jul 2022 05:45 PM (IST)

    Online Gaming ऑनलॉइन गेमिंग की डिमांड भारत समेत दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में हर देश की सरकार ऑनलाइन गेमिंग को लेकर नए नियम कानून ला रही हैं। साथ ही उसे टैक्स के दायरे में ला रही हैं।

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    Photo Credit - Online Gaming Industry India

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। Online Gaming: ऑनलाइन गेमिंग पिछले कुछ वर्षों में खूब पॉप्युलर हुआ है। यही वजह है कि भारत में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लॉकडाउन के बाद से भारत में गेमर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। ऐसे में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को रेगुलेट करने का निर्णय लिया है और 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है। इस बारे में व ने द डायलॉग के सीनियर एसोसिएट आयुष त्रिपाठी से बाताचीत की, जो इस प्रकार है.

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    दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत की पोजिशन क्या है?

    भारत 30 करोड़ से ज्यादा मोबाइल गेमर्स के साथ दुनिया के टॉप-5 देशों की लिस्ट में शामिल है। आंकड़ों की बात करें, तो मौजूदा वक्त में भारत में 275 से ज्यादा गेमिंग कंपनियां मौजूद हैं। जबकि 15,000 से ज्यादा गेम डेवलपर्स हैं।

    ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने की कब शुरुआत हुई?

    देश में बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग को देखते हुए सरकार ने हाल ही में गेमिंग सेक्टर को रेगुलेट करने का ऐलान किया। इसकी शुरुआत बजट 2022 से हुई। सरकार ने ऑडियो विजुअल, गेमिंग और कॉमिक (एवीजीसी) टास्क फोर्स की स्थापना की। साथ ही ऑनलाइन गेमिंग पर एक इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी का गठन किया गया है।

    क्या कैसीनो से ऑनलाइन गेमिंग अलग है? क्या पूरी ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर एक समान टैक्स लगाया जाना सही है?

    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी परिषद की बैठक में सभी मंत्रियों के समूह ने कैसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग के लिए 28% जीएसटी की सिफारिश की है। साथ ही सुझाव दिया है कि ऑनलाइन गेमिंग में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी की ओर से दी गई एंट्री फीस को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए। ऐसी खबर है कि इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रस्ताव को कानून समिति के पास भेजा गया है। देखिए, मेरा कहना है कि पूरी ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर एक समान टैक्स नहीं लगाना चाहिए। समूचे ऑनलाइन गेमिंग पे एक तरीके का कर लगाना स्किल बेस्ड गेम के लिए अनुरूप नहीं होगा ।स्किल बेस्ड गेम पे कम टैक्स लगाना चाहिए यह जानते हुए की यह अर्थव्यस्था को बढ़ाने में मददगार साबित होगा।

    किस तरह से चांस और स्किल्ड बेस्ड ऑनलाइन गेम अलग हैं?

    स्किल बेस्ड गेम वो है जो किसी खिलाड़ी की मानसिक या शारीरिक विशेषज्ञता पर निर्भर करता है और चांस वाले गेम वो है जिसके नतीजे ज्यादातर लक पर निर्भर करते है. सट्टेबाजी और जुआ वाले गेम जो चांस पर निर्भर करते है उनको अलग रखना चाहिए क्यूंकि उन्हें व्यापार और कारोबार का अधिकार नहीं है। लेकिन ऑनलाइन स्किल बेस्ड गेम्स को जुआ और सट्टेबाजी नहीं माना जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की तरफ से स्किल्ड बेस्ड गेम को जुआ और सट्टेबाजी नहीं माना जाता है। साधारण शब्दों में कहें, तो स्किल्ड बेस्ड गेम जैसे ऑनलाइन रम्मी, फैंटसी स्पोर्ट, शतरंज, और सट्टेबाजी और जुआ को एक ही छतरी के नीचे रखना उचित नहीं है।

    ऑनलाइन गेमिंग से भारत को क्या फायदा होने वाला है?

    ऑनलाइन गेमिंग का भारत में बड़ा बाजार है। साथ ही यह सेक्टर रोजगार के नए मौके पैदा करने वाला है। इस सेक्टर में आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर निवेश आने की भरपूर संभावना है। यह प्लेटफॉर्म डिजिटल बेस्ड है। इनके लेनदेन में पूरी तरह की पारदर्शिता रहती है। पिछले कुछ वक्त में स्किल्ड बेस्ड ऑनलाइन गेम ने बड़े स्तर पर ऑरोजगार जनरेट किया है। साथ ही भारत में एफडीआई निवेश आया है। इन्हें कैसीनो की कैटेगरी में नहीं शामिल किया जाना चाहिए।

    28 फीसदी जीएसटी लगाने को लेकर क्या दिक्कत है?

    मौजूदा वक्त में गेमिंग प्लेटफॉर्म फीस या ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू पर 18% जीएसटी का भुगतान करते हैं। ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म यूजर्स से एक मुश्त एंट्री फीस चार्ज करते हैं। इस राशि एक हिस्सा ऑनलाइन गेम प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल के बदले वसूला जाता है, जबकि दूसरे हिस्से को पुरस्कार के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसे विजेता को वापस कर दिया जाता है। यह पुरस्कार राशि विजेता के स्किल्ड पर निर्भर करता है। ऐसे में दोनों राशि पर एक समान टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। गेमिंग प्लेटफॉर्म कभी भी पुरस्कार पूल योगदान से किसी भी राशि का हकदार नहीं होता है। यह भी एक स्थापित सिद्धांत है कि इनाम पूल एक कार्रवाई योग्य दावा है जिसे जीएसटी कानून के अनुसार न तो गुड्स की आपूर्ति और न ही सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जाता है। यह टैक्स तय सिद्धांत के साथ संरेखित नहीं है जो की यह बोलता है जीएसटी केवल वस्तुओं या सेवा की आपूर्ति के संबंध में लगाया जाता है और लगाए गए कर और आपूर्ति की गई सेवा के बीच एक संबंध होना चाहिए। ऑनलाइन स्किल गेमिंग प्लेटफॉर्म शुल्क अपने तकनिकी प्लेटफार्म पर प्रदान की जाने वाली सेवा के तहत लेते है । यदि कर पूरी प्रतिफल राशि पर लगाया जाता है जिसमें पुरस्कार पूल शामिल है, तो यह उपरोक्त सिद्धांत के विपरीत होगा क्योंकि लगाए गए जीएसटी का सेवा की आपूर्ति के साथ कोई संबंध नहीं होगा।

    भारत के अलावा दुनिया के बाकी देशों में ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर पर कितना टैक्स लगता है?

    अगर दुनिया के बाकी देशों की बात करें, तो वहां ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर टैक्स की सीमा 8 से 15 फीसद के बीच है, जो कि ग्लोबल ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में 5 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने की क्षमता रखता है। ऐसे में नियम बनाते वक्त ऑनलाइन स्किल्ड बेस्ड गेमिंग और बड़े भारतीय बाजार की बढ़ती लोकप्रियता पर विचार किया जाना चाहिए।

    इस टैक्स का सेक्टर पे क्या असर होगा?

    पूरी एंट्री फीस या प्रतिफल मूल्य पर कर लगाना इस तेजी से बढ़ते हुए क्षेत्र को एक बड़ा झटका देगी। यहां यह बताना अनिवार्य है कि जीएसटी का इतना अधिक बोझ उपभोक्ता पर पड़ेगा और अंततः उन्हें कर का भुगतान करना होगा। लॉटरी और कैसीनो के समान कौशल-आधारित खेलों पर कर लगाना कभी भी कानून का इरादा नहीं हो सकता है। कोई भी नियामक और नीतिगत निर्णय लेते समय ऑनलाइन कौशल गेमिंग और विशाल भारतीय बाजार की बढ़ती लोकप्रियता पर विचार किया जाना चाहिए। इस क्षेत्र में दूरंदेशी दृष्टिकोण और न्यायसंगत कानूनों की आवश्यकता है। इस तरह के नियम उपभोक्ता और कंपनियों पर समान रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे।