NASA और Nokia चंद्रमा पर पहला मोबाइल नेटवर्क करेंगे लॉन्च, सतह पर हो सकेगी HD वीडियो स्ट्रीमिंग
NASA और Nokia मिलकर IM-2 मिशन के तहत चंद्रमा पर पहला मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने जा रहे हैं। पृथ्वी पर इस्तेमाल होने वाली सेल्युलर टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए ये नेटवर्क चंद्र सतह पर हाई-डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग और कम्युनिकेशन को सपोर्ट करेगा। ये कदम NASA के Artemis प्रोग्राम के तहत भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए स्टेज तैयार करेगा। आइए जानते हैं डिटेल।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। स्पेस एक्सप्लोरेशन में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, NASA चंद्रमा पर पहला मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। ये ग्राउंडब्रेकिंग डेवलपमेंट Intuitive Machines की IM-2 मिशन का हिस्सा है, जिसमें गुरुवार को Athena लैंडर लॉन्च होगा, जो लूनर सरफेस कम्युनिकेशन सिस्टम (LSCS) को सेटअप करेगा।
Nokia द्वारा विकसित LSCS, पृथ्वी पर इस्तेमाल होने वाली सेल्युलर टेक्नोलॉजी का उपयोग करके चंद्र सतह पर कनेक्टिविटी स्थापित करेगा।
अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों में टिकने वाला नेटवर्क
ये मोबाइल नेटवर्क हाई-डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग, कमांड-एंड-कंट्रोल कम्युनिकेशन्स और टेलीमेट्री डेटा ट्रांसफर को लैंडर और लूनर व्हीकल्स के बीच संभव बनाएगा। Nokia Bell Labs Solutions Research के प्रेसिडेंट Thierry Klein के मुताबिक, ये नेटवर्क अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों- जैसे एक्सट्रीम टेम्परेचर, रेडिएशन और लॉन्च-लैंडिंग के दौरान होने वाले वाइब्रेशन्स को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है।
Klein ने MIT Technology Review को बताया, 'हमने सभी कंपोनेंट्स को एक ‘नेटवर्क इन ए बॉक्स’ में रखा है, जिसमें एंटेना और पावर सोर्स को छोड़कर सेल नेटवर्क के लिए जरूरी सबकुछ शामिल है।'
इस मिशन में दो लूनर व्हीकल्स शामिल होंगे: Intuitive Machines का Micro-Nova Hopper और Lunar Outpost का मोबाइल ऑटोनॉमस प्रॉस्पेक्टिंग प्लेटफॉर्म (MAPP) रोवर। ये व्हीकल्स Nokia के डिवाइस मॉड्यूल्स का इस्तेमाल करके Athena लैंडर द्वारा स्थापित नेटवर्क से जुड़ेंगे। ये नेटवर्क चंद्र रात्रि के कारण कुछ ही दिनों तक काम करेगा, लेकिन ये टेक्नोलॉजी भविष्य के लूनर मिशन्स के लिए आशाजनक है।
Artemis प्रोग्राम की नींव
इस मोबाइल नेटवर्क की सफलता NASA के Artemis प्रोग्राम के लिए आधार तैयार करती है, जिसका लक्ष्य 2027 तक इंसानों को चंद्र सतह पर वापस लाना है। Nokia का लॉन्ग-टर्म गोल इस नेटवर्क को विस्तार देकर चंद्रमा पर सस्टेनेबल ह्यूमन एक्टिविटीज़ को सपोर्ट करना है, जिसमें भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेससूट्स में सेल कम्युनिकेशन को इंटीग्रेट करना भी शामिल हो सकता है।
Klein ने कहा, 'शायद एक ‘नेटवर्क इन ए बॉक्स’ या एक टावर पूरी कवरेज दे सकता है, या हमें इनमें से कई की जरूरत पड़ सकती है।' इस नेटवर्क का विस्तार लूनर इकोनॉमी और परमानेंट हेबिटेट्स के विकास के साथ बढ़ सकता है।
अंतरिक्ष के लिए खास डिजाइन
चंद्रमा पर मोबाइल नेटवर्क बनाने वाली टेक्नोलॉजी को अंतरिक्ष की एक्सट्रीम कंडीशन्स को सहन करने के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है। Nokia के इंजीनियर्स ने ऐसे कंपोनेंट्स बनाए हैं जो रेडिएशन, एक्सट्रीम टेम्परेचर फ्लक्चुएशन्स और स्पेस ट्रैवल के दौरान होने वाले वाइब्रेशन्स को झेल सकें।
ये स्वीकार करते हुए कि लॉन्ग-टर्म यूज़ के लिए रेगुलेटरी चुनौतियों को एड्रेस करना होगा, Klein ने बताया, 'परमानेंट डिप्लॉयमेंट के लिए हमें अलग फ्रीक्वेंसी बैंड चुनना होगा,'। ये नेटवर्क पृथ्वी पर 4G और 5G स्टैंडर्ड्स के साथ कम्पैटिबल होगा।
PRIME-1 एक्सपेरिमेंट
मोबाइल नेटवर्क डिप्लॉयमेंट के अलावा, NASA अपना Polar Resources Ice Mining Experiment 1 (PRIME-1) भी करेगा। ये एक्सपेरिमेंट चंद्र सतह में ड्रिल करके रेगोलिथ निकालेगा और मैस स्पेक्ट्रोमीटर से वोलेटाइल्स का विश्लेषण करेगा।
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