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    MIT का नया स्लिट एक्सपेरिमेंट, आइंस्टीन नहीं बल्कि क्वांटम रूल्स को फॉलो करती है नेचर

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 09:18 AM (IST)

    MIT के रिसर्चर्स ने डबल स्लिट क्वांटम एक्सपेरिमेंट को सटीकता से करके आइंस्टीन के विचारों को चुनौती दी है। अल्ट्राकोल्ड एटम और सिंगल फोटॉन्स का उपयोग करके उन्होंने दिखाया कि नेचर में अनिश्चितता अंतर्निहित है। यह एक्सपेरिमेंट बोर की कॉम्प्लिमेंटैरिटी थ्योरी का समर्थन करता है जिसके अनुसार वेव और पार्टिकल व्यवहार एक साथ नहीं देखे जा सकते।

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    MIT का नया डबल-स्लिट एक्सपेरिमेंट (Photo Credit: Courtesy of the researchers)

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। MIT के रिसर्चर्स का कहना है कि उन्होंने मशहूर डबल स्लिट क्वांटम एक्सपेरिमेंट को कई गुना सटीक तरीके से किया है। यह क्वांटम मैकेनिक्स पर वैज्ञानिक आइंस्टीन के उठाए गए सवालों को चुनौती देता है। इस एक्सेपेरिमेंट के लिए रिसर्चर्स ने अल्ट्राकोल्ड एटम और सिंगल फोटॉन्स की मदद ली और इससे पारंपरिक स्प्रिंग सेटअप से क्लासिकल चीजों को पूरी तरह से हटा दिया। उनका कहना था कि इसके जरिए उन्होंने नेचर की इनहेरेंट अनसर्टेनिटी को पूरी तरह काम करने दिया।

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    इस एक्सपेरिमेंट के नतीजे बोर की कॉम्प्लिमेंटैरिटी थ्योरी को सपोर्ट करते हैं, जिसमें कहा गया था कि वेव और पार्टिकल जैसा व्यवहार एक साथ नहीं देखा जा सकता है।

    MIT का क्वांटम एक्सपेरिमेंट Vs आइंस्टीन का क्लासिकल व्यू

    Sci Tech Daily के मुताबिक, आइंस्टीन का मानना था कि रीएलिटी डिटरमिनिस्टिक है। यानी हर पार्टिकल्स के पास उनकी प्रॉपर्टीज पहले से तय होती हैं, और कुछ भी लाइट की स्पीड से तेज नहीं चल सकता है। इसके विपरीत बोर का मानना था कि फिजिकल रियलिटी को माप (measurement) कर ही डिफाइन किया जा सकता है। इसके साथ वेव और पार्टिकल नेचर जैसी प्रॉपर्टीज एक-दूसरे की कम्प्लीमेंट्री हैं, यानी उन्हें एक साथ नहीं देखा जा सकता है। MIT का लेटेस्ट एक्सपेरिमेंट का रिजल्ट बोर की थ्योरी को सपोर्ट करता है।

    MIT के रिसर्चर्स ने इस बार अपने एक्सपेरिमेंट में से स्प्रिंग एलिमेंट्स और बाकी क्लासिकल कंपोनेंट्स हटा दिए थे। इससे कोई भी क्लासिकल इंटरफेरेंस न हो। इस डिजाइन की वजह से एक्सपेरिमेंट में केवल प्योर क्वांटम इफेक्ट्स दिखाई दिए। इसमें देखा गया कि जब सिंगल फोटॉन्स गुजरते हैं, तो उनका व्यवहार ड्यूल नेचर यानी कभी वेव जैसा और कभी पार्टिकल जैसा दिखता है।

    क्वांटम सिद्धांत का पालन करती है नेचर

    MIT के इस एक्सपेरिमेंट का रिजल्ट न सिर्फ क्वांटम मैकेनिकल प्रेडिक्शंस को साबित करता है, बल्कि बेल के थ्योरम की अहमियत को भी मजबूत करता है। यह पहली बार नहीं है जब आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती मिली हो। इससे पहले Delft और Aspect ने सीमित परिस्थितियों (Restricted Conditions) में किए एक्सपेरिमेंट के जरिए आइंस्टीन के हिडन वेरिएबल्स वाले तर्क को काफी हद तक खारिज कर दिया था।

    MIT का अल्ट्रा डबल-स्लिट एक्सपेरिमेंट के नतीजे आइंस्टीन के ‘लोकल रियलिज्म’ को खारिज करते हैं। इसके साथ ही यह क्वांटम की अनिश्चितता (Indeterminacy) का सपोर्ट करता है। यह एक्सपेरिमेंट दिखाता है कि नेचर क्वांटम मैकेनिक्स के नियमों का पालन करती है।

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