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    Biometrics News: आइए जानिए क्या है बायोमेट्रिक्स तकनीक और कैसे है सिक्योर

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 17 Aug 2022 05:04 PM (IST)

    Biometrics News आजकल आप स्कूल-कालेज चले जाएं या फिर आफिस-एयरपोर्ट हर जगह बायोमेट्रिक आथेंटिकेशन का उपयोग तेजी से बढ़ा है। देश में भी नये क्रिमिनल प्रासिजर (आइडेंटिफिकेशन) एक्ट 2022 के तहत पुलिस अपराधियों का बायोमेट्रिक्स डाटा ले सकती है।

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    Biometrics News: आइए जानिए क्या है बायोमेट्रिक्स तकनीक और इसके फायदों के बारे में..

    संतोष आनंद। आजकल पहचान के लिए बायोमेट्रिक्स का उपयोग हर जगह किया जा रहा है। देश में भी इसको लेकर एक नया कानून लागू किया गया है। क्रिमिनल प्रासिजर (आइडेंटिफिकेशन) एक्ट-2022 देश में लागू हो चुका है। इसके तहत पुलिस किसी भी अपराध के लिए गिरफ्तार या दोषी ठहराए गए लोगों के बायोमेट्रिक्स ले सकती है। हालांकि पुराने कानून के अंतर्गत पुलिस को तस्वीरों के अलावा, अंगुलियों के निशान, पैरों के निशान सहित कैदियों की शारीरिक माप लेने की अनुमति प्राप्त है। नया कानून आइरिस, रेटिना स्कैन, फिजिकल और बायोलाजिकल नमूने, सिग्नेचर और हैंडराइटिंग के नमूने एकत्र करने की अनुमति भी देता है। इसके तहत राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से माप के रिकार्ड एकत्र करेगा और उन्हें 75 वर्षों के लिए डिजिटल फार्मेट में संग्रहीत करेगा।

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    बायोमेट्रिक्स क्या है

    बायोमेट्रिक्स जैविक माप (बायोलाजिकल मेजरमेंट) है, जिसकी मदद से किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। फिंगरप्रिंट मैपिंग, फेशियल रिकाग्निशन, रेटिना स्कैन बायोमेट्रिक तकनीक के ही रूप हैं। इनका उपयोग आजकल स्मार्टफोन, अटेंडेंस लेने वाली मशीन आदि में भी खूब हो रहा है। बता दें कि हर व्यक्ति की बायोमेट्रिक डिटेल अलग-अलग होती है। यही चीज उस व्यक्ति को दूसरों से अलग बनाती है। किसी व्यक्ति की आंख का रेटिना या फिंगरप्रिंट दूसरे किसी अन्य व्यक्ति से मेल नहीं खा सकता है। इससे हर इंसान की एक अलग यानी यूनिक पहचान बनती है। इस डिटेल को कोई हैक या चोरी भी नहीं कर सकता है।

    कैसे करता है काम

    आज स्कूल-कालेज या फिर आफिस आदि में रोजमर्रा की सुरक्षा में बायोमेट्रिक पहचान की भूमिका बढ़ती जा रही है। प्रत्येक व्यक्ति की खास बायोमेट्रिक पहचान का उपयोग कंप्यूटर, फोन, आफिस आदि में एक तरह से पासवर्ड के तौर पर किया जाता है। जब तक बायोमेट्रिक डाटा मेल नहीं होता है, चीजों को ओपन नहीं कर पाएंगे। एक बार बायोमेट्रिक डाटा प्राप्त करने और उसे मैप किए जाने के बाद इसे भविष्य में पहचान और आथेंटिकेशन के लिए सहेजा जाता है। अधिकांश समय इस डाटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है और डिवाइस के भीतर या रिमोट सर्वर में संग्रहीत किया जाता है। बायोमेट्रिक्स स्कैनर हार्डवेयर हैं, जिनका उपयोग पहचान के आथेंटिकेशन के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो बायोमेट्रिक सुरक्षा का मतलब है कि आपका शरीर ही एक तरह से किसी चीज को अनलाक करने के लिए 'कुंजी' बन जाता है। बायोमेट्रिक्स का उपयोग इसलिए भी तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि यह उपयोग में काफी आसान है। यह हमेशा आपके साथ होता है। इसे खोया या भुलाया नहीं जा सकता। पासवर्ड या चाबी की तरह इसकी चोरी नहीं की जा सकती।

    कैसे और कहां हो रहा बायोमेट्रिक का उपयोग

    बायोमेट्रिक सिक्योरिटी के लिए आमतौर पर आवाज की पहचान, फिंगरप्रिंट स्कैनिंग, फेशियल रिकाग्निशन, आइरिस रिकाग्निशन, हार्ट रेट सेंसर आदि का उपयोग होता है। फिंगरप्रिंट स्कैनर में व्यक्ति के दोनों हाथों की अंगुलियों को स्कैन कर उस व्यक्ति की पहचान की जाती है। यह कार्य कंप्यूटर के डाटाबेस में सेव इंफार्मेशन के आधार पर होता है। अगर बात इसकी एक्यूरेसी की करें, तो यह बेहद सटीक और सही इंफार्मेशन प्रदान करता है। वहीं वायस रिकाग्निशन में व्यक्ति के आवाज के आधार पर उसकी पहचान की जाती है। इसमें व्यक्ति को बायोमेट्रिक डिवाइस के सामने कुछ बोलना पड़ता है। आइरिस स्कैनर में व्यक्तियों की आंखों के रेटिना को स्कैन किया जाता है। फिंगरप्रिंट स्कैनर की तरह ही आइरिस स्कैनर भी सटीक और बेहद सही इंफार्मेशन देता है। फेस स्कैनर में व्यक्ति के चेहरे को स्कैन कर उसकी पहचान की जाती है। वैसे देखा जाए, तो आजकल संवेदनशील दस्तावेजों और कीमती सामानों की सुरक्षा के लिए एडवांस बायोमेट्रिक्स का उपयोग किया जाता है। कैस्पर्सकी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिटीबैंक बायोमेट्रिक के लिए पहले से ही वायस रिकाग्निशन का उपयोग करता है। वहीं ब्रिटिश बैंक हैलिफैक्स उन उपकरणों का परीक्षण कर रहा है, जो ग्राहकों की पहचान को सत्यापित करने के लिए दिल की धड़कन की निगरानी करता है।

    कितना सुरक्षित है बायोमेट्रिक स्कैनर

    बायोमेट्रिक तकनीक फिलहाल आथेंटिकेशन के लिए बाकी सभी तकनीक से ज्यादा सुरक्षित है। आमतौर पर बायोमेट्रिक डाटा को हैक करना कठिन होता है। पासवर्ड चुराने के मुकाबले हैकिंग में अधिक समय लगता है। बिना किसी की नजर में आए हैकिंग की कोशिश करना काफी मुश्किल है। इतना ही नहीं,फर्जी पहचान बनाने के लिए यूजर्स के बहुत से डाटा की जरूरत होती है। मगर चुनौती यह भी है कि फेशियल रिकाग्निशन सहित बायोमेट्रिक स्कैनर को गुमराह किया जा सकता है। चैपल हिल में उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इंटरनेट मीडिया से 20 लोगों की तस्वीरें डाउनलोड कीं और फिर उनके चेहरे का 3-डी माडल बनाया। इसके बाद शोधकर्ता पांच सुरक्षा प्रणालियों में से चार को भेदने में सफल रहे। इतना ही नहीं, फिंगरप्रिंट क्लोनिंग के उदाहरण भी बहुत हैं। इसके अलावा, गोपनीयता की वकालत करने वालों को डर है कि बायोमेट्रिक सुरक्षा व्यक्तिगत गोपनीयता को नष्ट कर देती है। चिंता की बात यह है कि व्यक्तिगत डाटा को आसानी से और बिना सहमति के एकत्र किया जा सकता है। फेशियल रिकाग्निशन चीनी शहरों में रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा है, जहां इसका उपयोग नियमित खरीदारी के लिए किया जाता है। कार्नेगी मेलान यूनिवर्सिटी ने तकनीक का विस्तार करते हुए एक ऐसा कैमरा विकसित किया है, जो 10 मीटर की दूरी से भीड़ में लोगों की आंखों की रौशनी को स्कैन कर सकता है।