Google सेकेंड से भी कम समय में कैसे पता लगाता है कि क्या सर्च करना चाहते हैं आप
गूगल अपने सर्च इंजन उन शब्दों को हटा देता है जो गलत होते हैं या फिर आपके काम के नहीं होते हैं।
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप गूगल सर्च इंजन पर कुछ टाइप करते हैं, तो कैसे गूगल आपके मन की बात को आसानी से पहचान लेता है? इसके अलावा क्या आपको पता है कि गूगल का सर्च इंजन कैसे काम करता है? तो आज हम आपको इन दो सवालों के जवाब बताने जा रहे हैं।
कैसे आपकी मन की बात को समझता है गूगल?
हम जब भी कुछ सर्च करने के लिए टाइप करते हैं, तो गूगल उनसे जुड़े शब्दों का सुझाव देने लगता है। इसके चलते सर्च करना आसान हो जाता है, साथ ही हमारा समय भी बचता है। दरअसल गूगल किसी भी सर्च रिजल्ट को महज 0.03 सेकेंड्स में पूरा करता है। गूगल उन शब्दों को हटा देता है जो गलत होते हैं या फिर आपके काम के नहीं होते हैं।
गूगल ने कुछ समय पहले एक ब्लॉग पोस्ट में बताया था कि ‘ऑटो कम्प्लिीट प्रिडिक्शन’ कैसे काम करता है। गूगल ने इसके साथ यह भी बताया था कि वो किन पैरामीटर्स के आधार पर शब्दों को हटा देता है, जो आपके काम के नहीं होते हैं।
‘गूगल सर्च’ के सलाहकार डैनी सुलिवन ने बताया कि यहां ये समझना जरूरी है कि जब आप सर्च करते हैं तो गूगल अनुमान लगाता है, न कि वो आपको सुझाव देता है। यानी गूगल अनुमान लगाता है कि यूजर क्या सर्च करना चाहता है। इसको आसान भाषा में समझें तो गूगल इस आधार पर अनुमान लगाता है कि उसके प्लेटफॉर्म पर किसी शब्द से जुड़े कितने रियल सर्च किए गए हैं, इसके बाद वो ज्यादा और ट्रेंड किए हुए शब्दों को सुझाव के तौर पर दिखाता है।
उदाहरण के लिए अगर आप ‘San F’ टाइप करते हैं, तो गूगल का एल्गोरिथम आपको संबंधित सर्च में ‘San Francisco’ दिखाएगा। लेकिन जैसे ही आप ‘San Fe’ टाइप करते हैं, गूगल का एल्गोरिथम आपको दूसरे शब्द दिखाने लगेगा।
गूगल उन शब्दों का प्रिडिक्शन(अनुमान) नहीं बताता है जिनमे हिंसा, नफरत और कामुक जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है। डैनी सुलिवन ने ये भी बताया कि गूगल का ‘ऑटो कम्प्लिट प्रिडिक्शन’ डिवाइस दर डिवाइस बदलता रहता है। पीसी पर आपको सर्च बार में 10 प्रिडिक्शन दिखेंगे। जबकि मोबाइल पर 5 दिखते हैं।
इस तरह काम करता है गूगल का सर्च इंजन
Keywords(की-वर्ड्स)
गूगल का अल्गोरिथम इस बात को देखता है कि कौन सी जानकारी के लिए किन शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। यानी अगर आप Mineral टाइप करते हैं, तो Keywords के आधार पर गूगल आपको Mineral water या Mineral rock का सुझाव देगा।
जानकारी
गूगल का अल्गोरिथम इस बात को तय करता है कि आपके Keywords से जुड़ी सही और पूरा जानकारी कहां मिलेगी। यानी की अगर आप Delhi Travel टाइप करके सर्च करें तो गूगल आपको दिल्ली टूरिजम से जुड़ी साइट्स के बारे में बताए है न कि दिल्ली की राजनीति और ट्रेफिक के बारे में। गूगल इसके लिए किसी भी आर्टिकल या वेबसाइट्स पर सर्च की गई Keywords की डेंसिटी को चेक करता है।
रिस्पॉन्स
जब भी आप गूगल पर किसी भी कटेंट को सर्च करते हैं, तो क्या आपने कभी सोचा कि ऊपर दिखाई दे रही वेबसाइट्स को गूगल कैसे तय करता है। गूगल इसका जवाब है रैंकिंग। गूगल किसी भी कंटेंट में इस्तेमाल किए गए की-वर्ड्स, जानकारी और रिसर्च के हिसाब से उसे रेटिंग देता है। यही हाल वेबसाइट्स का भी होता है। यानी जो सबसे विश्वसनीय होता है गूगल उसे ऊपर दिखाता है।
रिजल्ट
गूगल का सर्च इंजन इस बात पर काम करता है कि यूजर को सटीक रिजल्ट मिले। इसके लिए गूगल अल्गोरिथम सर्च किए गए पेज और की-वर्ड्स का इस्तेमाल करता है। यानी की अगर आप अपने सिस्टम पर Dell लिख कर सर्च करते हैं, तो गूगल आपको Dell के लैपटॉप्स के बारे में बताता है न कि वो आपको कंपनी के फाउंडर Michael Dell के बारे में बताता है। इसके अलावा जब भी आप अपने फोन या पीसी पर तापमान की जानकारी लेना चाहते हैं तो गूगल आपको आपकी लोकेशन के मुताबिक तापमान बताता है न कि आपको तापमान से जुड़ी वेबसाइट्स के बारे में बताता है।
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