LignoSat: जापान ने स्पेस में भेजी लकड़ी से बनी सैटेलाइट, कैसे करेगी काम?
जापान की तरफ से स्पेस में भेजे गए वुडन सैटेलाइट का नाम LignoSat है इसमें लिगनम का मतलब लकड़ी से है। यह शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। सैटेलाइट को क्योटो यूनिवर्सिटी और Sumitomo Forestry के कोलेब्रेशन में तैयार किया गया है। सैटेलाइट मिशन के जरिये स्पेस में ईको-फ्रेंडली चीजों के जरिये वहां के बारे में पता करना है।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। अंतरिक्ष में लकड़ी से बनी सैटेलाइट भेजने वाला जापान दुनिया का पहला देश बना गया है। अंतरिक्ष में भेजी गई सैटेलाइट को पूरी तरह से लकड़ी तैयार किया गया है। ऐसा करने के पीछे जापान का मकसद ये समझना है कि आखिर स्पेस में लकड़ी कैसे सर्वाइव करती है।
अगर जापान की यह टेस्टिंग सफल होती है, तो भविष्य में कई नई चीजें स्पेस में करना आसान हो जाएगा। यह सैटेलाइट कैसे करता है और अगर यह स्पेस में सर्वाइव कर जाता है, तो इससे क्या फायदा होगा। आइए समझते हैं।
लकड़ी से बना सैटेलाइट
जापान की तरफ से स्पेस में भेजे गए वुडन सैटेलाइट का नाम 'LignoSat' है, इसमें लिगनम का मतलब लकड़ी से है। यह शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। सैटेलाइट को क्योटो यूनिवर्सिटी और Sumitomo Forestry के कोलेब्रेशन में तैयार किया गया है। वहीं, इसे स्पेस में उतारने का काम जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने किया है। लकड़ी से बना सैटेलाइट मुश्किल परिस्थितियों को कैसे हैंडल करता है। यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
सैटेलाइट मिशन के जरिये स्पेस में ईको-फ्रेंडली चीजों के जरिये वहां के बारे में पता करना है। अगर यह सफल होता है तो भविष्य में वहां लकड़ी के घर बनाना आसान हो सकता है। दूसरी वस्तुओं की तुलना में लकड़ी काफी हल्की होती है और स्पेस पर इसके गलने के चांस भी नहीं होंगे।
स्पेस टेक्नोलॉजी को परखने की कोशिश
टेकएक्सप्लोरिस्ट के अनुसार, लिग्नोसैट को होनोकी मैगनोलिया लकड़ी का इस्तेमाल करके विकसित किया गया था। 10 सेमी लंबाई वाले इस सैटेलाइट को पारंपरिक जापानी लकड़ी के काम की तकनीकों का उपयोग करके सटीकता के साथ तैयार किया गया था। जानकारी के अनुसार, लकड़ी के सैटेलाइट को स्पेसएक्स-31 के ड्रैगन कार्गो व्हीकल पर लॉन्च किया गया और जेईएम स्मॉल सैटेलाइट ऑर्बिटल डिप्लॉयर-30 का यूज करके अंतरर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से तैनात किया गया।
लगे हैं कई सेंसर
सैटेलाइट LignoSat के वुडन पैनल पर कई सेंसर लगे हुए हैं, जो डेटा इकट्ठा करने का काम करते हैं। इसमें अलग-अलग वेरिएशन में तापमान मॉनिटर किया जाता है। रेडिएशन एक्सपोजर को चेक किया जाता है। रिसर्चर्स ये भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह कौन-सी जगह हैं जहां लकड़ी बिल्कुल भी सर्वाइव नहीं कर सकती है।
अगर जापान का यह परीक्षण सफल हो जाता है तो ईको-फ्रेंडली सैटेलाइट स्पेस में भेजे जा सकेंगे। सस्टेनेबल मैटेरियल से बने सैटेलाइट में खर्चा भी कम आने की उम्मीद है।
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