Internet Explorer - क्यूँ और कैसे बना सबका चहेता वेब ब्राउज़र
Microsoft 15 जून को अपने वेब ब्राउज़र Internet Explorer को हमेशा के लिए बंद करने जा रही है। लेकिन Internet Explorer कैसे सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउज़र बना इसके पीछे की भी एक कहानी है जानिए इसकी लोकप्रियता की दास्तां।
नई दिल्ली, कृतार्थ सरदाना। Microsoft 15 जून को Internet Explorer को बंद करने जा रही है। लेकिन Internet Explorer कैसे सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउज़र बना इसके पीछे की भी एक कहानी है,जानिए इसकी लोकप्रियता की दास्तां।
सन 1995 में अपने आरंभ से ही Internet Explorer की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण इसकी निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट रही। बिल गेट्स की माइक्रोसॉफ्ट का पिछले 2 दशक से भी ज्यादा से पूरी दुनिया में जलवा बरकरार है। आज भी पूरी दुनिया में कंप्यूटर-लैपटॉप के लिए विंडोज का कोई सानी नहीं है। क्योंकि इंटरनेट एक्सप्लोरर को विंडोज 95 के साथ ही लॉंच किया गया था इसलिए यह सीधे लोगों के डेस्कटॉप में विंडोज के साथ ही पहुँच गया। इसी कारण विंडोज यूजर्स इंटरनेट एक्सप्लोरर से जुड़ते गए।
माइक्रोसॉफ़्ट ने इसे उस समय के नेटस्केप समेत सभी वेब ब्राउज़र से बेहतर बनाया था। इसका नया इंटरफेस सभी को पसंद आया। माइक्रोसॉफ़्ट ने विंडोज की तरह समय समय पर इसके भी कई वर्जन लॉंच किए। माइक्रोसॉफ़्ट ने शुरू से इसे बेहतर और सुरक्षित बनाने में ज़ोर दिया। माइक्रोसॉफ़्ट अपने इंटरनेट एक्सप्लोरर में प्रति वर्ष 100 मिलियन डॉलर खर्च करती थी। इसके साथ ही सन 1999 तक सिर्फ इंटरनेट एक्सप्लोरर में ही माइक्रोसॉफ़्ट के 1000 कर्मचारी जुड़े हुए थे।
इंटरनेट एक्सप्लोरर की खामियों को दूर कर माइक्रोसॉफ़्ट जल्दी जल्दी इसके नए वर्जन लॉंच करती रही। सन 1995 के अपने पहले ही साल में इसके 2 वर्जन आ चुकें थे। फिर 1996 और 1997 में भी इसके नए वर्जन आए। सन 1995 से लेकर 2013 तक कुल इसके 11 वर्जन्स लॉंच हुए। जैसे जैसे माइक्रोसॉफ़्ट विंडोज लोकप्रिय होती रही वैसे ही इंटरनेट एक्सप्लोरर भी लोकप्रिय होता रहा।
इंटरनेट एक्सप्लोरर एक विश्वसनीय इंटरनेट ब्राउज़र बनकर उभरा और यही कारण है कि पूरी दुनिया में बैंकिंग समेत सभी ऑनलाइन कामों के लिए वैबसाइट मूलतः इसी ब्राउज़र पर चलने लगी। हाल तक भी भारत समेत कई देशों की बैंकिंग आदि सेवाओं के कई सॉफ्टवेयर इंटरनेट एक्सप्लोरर पर ही चला करते थे।