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    Jagran Explainer: कितनी है सुरक्षित है बायोमेट्रिक तकनीक? जानें कैसे करती है काम

    By Saurabh VermaEdited By:
    Updated: Thu, 18 Aug 2022 10:29 AM (IST)

    नया कानून आइरिस रेटिना स्कैन फिजिकल और बायोलाजिकल नमूने सिग्नेचर और हैंडराइटिंग के नमूने एकत्र करने की अनुमति भी देता है। इसके तहत राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भी सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से माप के रिकार्ड एकत्र करेगा और उन्हें 75 वर्षो के लिए डिजिटल फार्मेट में सुरक्षित करेगा।

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    Photo Credit - Biometric detail file Photo

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। आजकल पहचान के लिए बायोमेट्रिक तकनीक का उपयोग हर जगह किया जाने लगा है। पिछले दिनों इस बारे में एक नया कानून लागू किया गया है। क्रिमिनल प्रासिजर (आइडेंटिफिकेशन) एक्ट-2022 के तहत अब पुलिस किसी भी अपराध के लिए गिरफ्तार या दोषी ठहराए गए व्यक्ति का बायोमेट्रिक डाटा ले सकती है। हालांकि पहले से मौजूद कानून के तहत पुलिस को तस्वीरों के अलावा, अंगुलियों के निशान, पैरों के निशान सहित कैदियों की शारीरिक माप लेने की अनुमति प्राप्त है। नया कानून आइरिस, रेटिना स्कैन, फिजिकल और बायोलाजिकल नमूने, सिग्नेचर और हैंडराइटिंग के नमूने एकत्र करने की अनुमति भी देता है। इसके तहत राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भी सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से माप के रिकार्ड एकत्र करेगा और उन्हें 75 वर्षो के लिए डिजिटल फार्मेट में सुरक्षित करेगा।

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    क्या है बायोमेट्रिक्‍स

    बायोमेट्रिक्स तकनीक आधारित जैविक माप (बायोलाजिकल मेजरमेंट) है, जिसकी मदद से किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। इस तकनीक के तहत फिंगरप्रिंट मैपिंग, फेशियल रिकाग्निशन, रेटिना स्कैन आदि से संबंधित डाटा लिए और रखे जाते हैं। आजकल स्मार्टफोन, अटेंडेंस लेने वाली मशीन आदि में भी इसका उपयोग खूब हो रहा है। देखा जाए, तो हर व्यक्ति की बायोमेटिक डिटेल अलग-अलग होती है। एक व्यक्ति की आंख का रेटिना या फिंगरप्रिंट किसी दूसरे व्यक्ति से मेल नहीं खा सकता। इस तकनीक से हर इंसान की एक अलग यानी यूनिक पहचान बनती है। खास बात यह है कि इस डिटेल को कोई हैक या चोरी भी नहीं कर सकता है।'

    कैसे काम करती है यह तकनीक

    बायोमेट्रिक पहचान का उपयोग एक तरह से पासवर्ड के तौर पर किया जाता है। जब तक बायोमेट्रिक डाटा मेल नहीं होता है, चीजों को ओपन नहीं कर पाएंगे। बायोमेट्रिक डाटा प्राप्त करने के बाद इसे भविष्य में पहचान और आथेंटिकेशन के लिए सहेजा जाता है। इस डाटा को एन्क्रिप्ट और डिवाइस के भीतर या रिमोट सर्वर में संग्रहीत किया जाता है। आपका शरीर ही एक तरह से किसी चीज को अनलाक करने के लिए कुंजी बन जाता है। बायोमेटिक्स का उपयोग काफी आसान है। यह हमेशा आपके साथ होता है। इसे खोया या भुलाया नहीं जा सकता। पासवर्ड या चाबी की तरह इसकी चोरी नहीं की जा सकती।