कैसे 5G नेटवर्क करेंगे काम? क्या होती है फ्रिक्वेंसी बैंड? जानें हर एक डिटेल
5G in India 5G कनेक्टिविटी जल्द भारत में उपलब्ध होगी। ऐसे में लॉन्च से पहले जान लें कि आखिर 5G सर्विस कैसे काम करता है। साथ रेडियो तरेंग कैसे काम करती हैं आइए जानते हैं इस बारे में डिटेल से..

नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारत में 5G स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो गई है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द भारत में 5G सर्विस को रोलआउट किया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर 5G टेक्नोलॉजी नेटवर्क काम करेंगे। दरअसल 5जी तकनीक एक तरह की वायरलेस कनेक्टिविटी है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम यानी रेडियो वेव (रेडियो तरंगों) का इस्तेमाल होता है। 5जी तकनीक की जानकारी रेडियो तरंगों के बारे में समझने से मिल सकती है।
क्या होती हैं रेडियो तरंग?
वैज्ञानिक परिभाषा के मुताबिक एक निश्चित समय अंतराल में एक रेडियो तरंग जितनी बार खुद को दोहराती है, वह वेव फ्रीक्वेंसी कहलाती है। यह फ्रीक्वेंसी हर्ट्ज में नापी जाती है। कोई रेडियो तरंग खुद को दोहराने में जितना समय लेती है, उसे उसकी वेवलेंथ कहा जाता है। जब रेडियो तरंगों की फ्रीक्वेंसी को बढ़ाया जाता है तो उनकी वेवलेंथ कम होने लगती है। ऐसे में फ्रीक्वेंसी अधिक होने (या वेवलेंथ कम होने) पर तरंगें तेजी से एक से दूसरी जगह पर तो पहुंचती हैं, लेकिन ज्यादा दूरी तक नहीं जा पाती हैं। इसकी वजह यह है कि वेवलेंथ कम होने की वजह से रेडियो तरंगें विभिन्न सतहों को भेद नहीं पाती हैं। इसके विपरीत फ्रीक्वेंसी कम और वेवलेंथ ज्यादा होने पर रेडियो तरंगें कम गति होने पर भी ज्यादा दूरी तय कर सकती हैं।
मिलेगी तेज कनेक्टिविटी
इस परिभाषा को मोबाइल नेटवर्क के संदर्भ में देखें, तो कह सकते हैं कि 1G, 2G, 3G सेवाओं में 4G की तुलना में लोअर फ्रीक्वेंसी बैंड पर इंटरनेट उपलब्ध होता है। इसलिए 1G, 2G, 3G की स्पीड कम होती है। लेकिन कवरेज ज्यादा होता है। यही वजह है कि दूर-दराज के इलाकों में धीमी रफ्तार की 2G या 3G इंटरनेट कनेक्टिविटी आसानी से मिल जाती है, लेकिन 4G सेवाओं में अपेक्षाकृत हायर फ्रीक्वेंसी बैंड पर इंटरनेट उपलब्ध होता है, जिससे तेज कनेक्टिविटी तो मिलती है, लेकिन सुदूर इलाकों या बंद कमरों में 4G कवरेज नहीं मिल पाता है। इस कारण कई बार ऐसा होता है जब बंद कमरों या बेसमेंट में मौजूद होने पर 4G तकनीक वाले मोबाइल फोन पर बात नहीं हो पाती है। अब 5जी तकनीक से ये सारी दिक्कतों दूर हो जाएंगी। यानी 5G तकनीक वाले कनेक्शन में ऊंची फ्रीक्वेंसी वाला इंटरनेट गति और कवरेज (दायरे), दोनों ही मामलों में 4जी से बेहतर होगा।
हालांकि 5जी तकनीक के कुछ खतरों का दावा भी किया गया है, लेकिन इनको प्रमाणित नहीं किया जा सका है। ऐसे में उम्मीद यही है कि 5G की मदद से देश में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क और गति पकड़ सकेंगे।
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