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    भारत सरकार का बड़ा फैसला, अब सभी मोबाइल, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होंगे पूरी तरह मेड इन इंडिया

    By Saurabh VermaEdited By:
    Updated: Thu, 17 Dec 2020 07:56 AM (IST)

    केंद्र सरकार की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को भारत में स्थापित करने की इच्छुक कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है जिसकी अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2020 है। साथ ही विदशों में सेमीकंडक्टकर बनाने वाली के अधिग्रहण को भी आमंत्रित किया है।

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    यह स्मार्टफोन की प्रतीकात्मक फाइल फोटो है।

    नई दिल्ली, टेक डेस्क. भारत सरकार की तरफ से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने का काम किया जा रहा है, जिससे न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे मोबाइल और टीवी की घरेलू असेंबिलिंग हो सके। बल्कि मोबाइल, टीवी और अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस की असेंबलिंग में लोकल निर्मित पार्टस का इस्तेमाल हो। इसके लिए सरकार मदरबोर्ड और सेमीकंडक्टर जैसे जरूरी पार्ट्स के निर्माण पर जोर दे रही है। इसी योजना के तहत केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को भारत में स्थापित करने की इच्छुक कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है। साथ ही विदशों में सेमीकंडक्टकर बनाने वाली के अधिग्रहण को भी आमंत्रित किया है।

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    सरकार दे रही सेमीकंडक्टर बनाने पर जोर 

    मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (Meity) की तरफ से मंगलवार को कहा गया है कि सरकार भारत में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट लगाने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने की इच्छुक है। सरकार ने सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट लगाने या यूनिट के विस्तार करने की इच्छुक कंपनियों से 31 दिसंबर से पहले आवेदन मांगा है। Meity की तरफ से कहा गया कि सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने से भारत की वैश्विक स्तर पर मोबाइल फोन, आईटी हार्डवेयर, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, IoT और अन्य डिवाइस के निर्माण में हिस्सेदारी बढ़ेगी। ऐसे में साल 2025 तक भारत 400 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस का निर्माण कर सकता है। बता दें कि सरकार की तरफ से साल 2013 में 63,000 करोड़ रुपये के निवेश से दो सेमीकंडक्टर यूनिट लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। लेकिन दोनों यूनिट को देश में अभी तक स्थापित नही किया जा सका है। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम और पॉलिसी लिंक्ड मार्केट सपोर्ट में कमी को एक वजह माना जा रहा है। Meity की तरफ से सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव स्कीम फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में किसी कंपनी ने रूचि नही दिखाई है। इसके लिए सरकार की तरफ से आठ साल के लिए 3,285 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया था। 

    भारत में मदरबोर्ड बनाने की पहल 

    सरकार मोबाइल और टीवी के निर्माण में इस्तेमाल आने वाले जरूरी पार्ट्स जैसे मदरबोर्ड को भी भारत में बनाने पर जोर दे रही है। साथ ही इन मदरबोर्ड को दुनियाभर के बाकी देशों को निर्यात भी किया जा सकेगा। मोबाइल डिवाइस उद्योग संगठन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) और EY की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत 2021-26 तक करीब आठ लाख करोड़ रुपये के मदरबोर्ड का निर्यात कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक IT हार्डवेयर यानी लैपटॉप और टैबलेट की मैन्युफैक्चरिंग से 7 लाख करोड़ रुपये और PCBA की मैन्युफैक्चरिंग से 8 लाख करोड़ का कारोबार हो सकता है। 

    क्या होता है मदर बोर्ड 

    साधारण, शब्दों में कहें, तो मदरबोर्ड किसी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस का सबसे जरूरी हिस्सा होता है। दुनियाभर के कई देश इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। लेकिन मदरबोर्ड की सप्लाई दूसरे देशों से करते हैं। अभी तक ज्यादातर देश चीन और वियतनाम से मदरबोर्ड मंगाते थे। वहीं अगर भारत की बात करें, तो मौजूदा वक्त में भारत मदरबोर्ड बनाता है और कुछ देशों को इसकी सप्लाई करता है। भारत में मोबाइल डिवाइस में मदरबोर्ड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। भारत मदर बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-20 में मोबाइल फोन के लिए 1,100 करोड़ रुपये के PCBA का एक्सपोर्ट हुआ था और 2020-21 में 2,200 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स के लिए स्टैंडअलोन PCBA का एक्सपोर्ट 2022-23 से ही शुरू हो सकता है। 

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