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    Digital Competition Law: छोटी ई-कॉमर्स कंपनियों को भी कारोबार का समान अवसर, आ रहा है डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून

    Updated: Sat, 23 Mar 2024 08:04 PM (IST)

    Digital Competition Law की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि भारत में तेजी से ई-कॉमर्स का प्रसार हो रहा है कुछ ही सालों में भारत में ई-कॉमर्स के जरिए 200 अरब डॉलर तक का कारोबार होने लगेगा। ऐसे में अलग से डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून लाने की जरूरत पिछले कुछ सालों से महसूस की जा रही थी। आइए इसके बारे में जानते हैं।

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    जल्द आ रहा है डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों का गैर प्रतिस्पर्धात्मक और मनमाना रवैया अब नहीं चलेगा। ऐसा करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ेगा। कंपनी मामले का मंत्रालय ई-कॉमर्स के सेक्टर में छोटे-बड़े सभी प्लेयर्स को कारोबार का समान अवसर देने के लिए डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून ला रहा है।

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    हाल ही में इस प्रस्तावित कानून का मसौदा जारी किया गया है जिस पर सभी स्टेकहोल्डर्स से आगामी 15 अप्रैल तक राय देने के लिए कहा गया है। इस प्रस्तावित कानून के पालन की जिम्मेदारी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की होगी।

    आएगा डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून

    इस कानून की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि भारत में तेजी से ई-कॉमर्स का प्रसार हो रहा है कुछ ही सालों में भारत में ई-कॉमर्स के जरिए 200 अरब डॉलर तक का कारोबार होने लगेगा। ऐसे में अलग से डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून लाने की जरूरत पिछले कुछ सालों से महसूस की जा रही थी। प्रस्तावित कानून के तहत कोई भी बड़ा डिजिटल प्लेटफार्म ऐसा कोई भी कदम नहीं उठा पाएगा जो ग्राहकों को उसकी ओर आकर्षित करे।

    ये बड़े प्लेटफार्म थर्ड पार्टी के ऐप को कारोबार से रोकने का काम भी नहीं कर पाएंगे और न ही अन्य प्लेटफार्म को प्रभावित करने वाली कोई नीति लागू कर सकेंगे। इन सबके अलावा बड़े प्लेटफार्म डिजिटल डाटा का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। डाटा इस्तेमाल के मामले में सभी के लिए समान अवसर होंगे।

    ई-कॉमर्स के क्षेत्र में डाटा ही ईंधन का काम करता है और बड़ी टेक कंपनियां अनैतिक तरीके से भी डाटा जुटाने का काम करती है। बड़ी कंपनियां प्रोडक्ट्स व सर्विस भी विकसित नहीं कर सकेंगी। प्रस्तावित कानून कोर डिजिटल सर्विस मुहैया कराने वाले प्लेटफार्म पर लागू होगा। बिजनेस यूजर्स की संख्या, ग्लोबल टर्नओवर या फिर घरेलू टर्नओवर के आधार पर इन कंपनियों को सिस्टमेटिकली सिग्निफिकेंट डिजिटल इंटरप्राइजेज (एसएसडीई) का दर्जा दिया जाएगा।

    सीसीआई की तरफ से यह जारी किया जाएगा कि कौन-कौन सी कंपनियां सीसीडीआई के दायरे में आएंगी। सीसीडीआई किसी भी हाल में अपने प्लेटफार्म पर किसी भी उत्पाद की बिक्री के लिए ग्राहकों को किसी भी प्रकार से आकर्षित नहीं करेंगी।

    अभी बड़ी टेक कंपनियां कई मैन्यूफैक्चरर्स से जुड़ी होती हैं और ग्राहक जब उनके प्लेटफार्म पर जाता है तो कंपनियां अपनी पसंद के मैन्यूफैक्चरर्स के उत्पाद को प्रमोट करती है। कानून के लागू होने के बाद यह नहीं हो पाएगा। कई बार छोटे प्लेटफार्म के एप में तकनीकी रूप से छेड़छाड़ कर उनके प्लेटफार्म को स्लो कर दिया जाता है या उनके एप में गड़बड़ी पैदा कर दी जाती है। इस प्रकार की हरकतें भी बड़ी कंपनियां नहीं कर पाएंगी।

    कानून का पालन नहीं करने पर टर्नओवर का 10 प्रतिशत तक का जुर्माना हो सकता है। अगर सीसीआई ने कोई आदेश दिया है और उसका पालन नहीं किया जाता है तो रोजाना एक लाख का जुर्माना हो सकता है जो अधिकतम 10 करोड़ तक जा सकता है। जुर्माना नहीं देने पर जेल का भी प्रविधान किया गया है।

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