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Criterion Tech की टेक्नोलॉजी ‘रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड', महामारी में मरीजों की निगरानी करने में डॉक्टरों की करती है मदद

माना जा रहा है कि 5G आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग ब्लॉक चेन आदि ये सभी नई तकनीक हमारी लाइफ स्टाइल को पूरी तरह से बदल देंगी। तकनीक की वजह से हर तरह की समस्या का समाधान आसानी से निकाला जा सकता है।

By Saurabh VermaEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 08:33 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 08:33 AM (IST)
Criterion Tech की टेक्नोलॉजी ‘रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड', महामारी में मरीजों की निगरानी करने में डॉक्टरों की करती है मदद
यह Dainik Jagran की प्रतीकात्मक फाइल फोटो है।

नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेक्नोलॉजी हमारे जीवन का अहम और अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। आज की भागती हुई दुनिया में तकनीक के बिना हम जीवित रहने की कल्पना नहीं कर सकते। समय के साथ तकनीक की दुनिया और ज्यादा निखर रही है। माना जा रहा है कि 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन आदि ये सभी नई तकनीक हमारी लाइफ स्टाइल को पूरी तरह से बदल देंगी। तकनीक की वजह से हर तरह की समस्या का समाधान आसानी से निकाला जा सकता है। आईटी कंपनी Criterion Tech पिछले कुछ सालों से इसी तरह का समाधान दे रही है। अपनी प्रोफेशनल टीम की मदद इन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह के आईटी समाधान प्रस्तुत किए हैं। इनके नए इनोवेशन को देखकर ऐसा लगता है कि भारत में टेक्नोलॉजी क्षेत्र का भविष्य काफी सुनहरा है।

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आपको बता दें कि Criterion Tech एक आईटी कंपनी है, जिसका मुख्य काम ऐसे प्रीमियम सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस को डिजाइन और विकसित करना है, जिसकी दुनिया को वास्तव में जरूरत है। इन्होंने अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट और सर्विस से बेंचमार्क स्थापित किए हैं। नियमित रूप से नई टेक्नोलॉजी और ट्रेनिंग टूल्स को अपनाकर कंपनी बेहतर तरीके से काम करती है, ताकि लोगों को उनकी सुविधा के अनुसार अच्छी सर्विस मिल सके।

क्या है रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड

महामारी ने हर तरह से लोगों को प्रभावित किया है। इसका प्रभाव लोगों की सेहत पर ज्यादा पड़ा है। इसके चलते कई लोग बीमार हुए, तो कई लोगों ने अपनी जानें भी गंवाईं। Criterion Tech ने एक ऐसी इनोवेटिव टेक्नोलॉजी विकसित की है, जिसकी मदद से डॉक्टर अस्पताल के मरीजों पर बेहतर तरीके से ध्यान दे सकते हैं और समय से पहले सही उपचार भी सुझा सकते हैं। इसके लिए उन्हें बार-बार हर मरीज के वार्ड में जाने की जरूरत नहीं होगी। इस टेक्नोलॉजी का नाम है - रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड। वैसे, महामारी जैसी स्थिति में इससे लाखों मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

COVID-19 के दौरान कई मरीजों ने घर पर रहकर आपातकालीन आवश्यकता को अनुभव किया। 50% से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों और पेशेवरों का मानना है कि 2025 तक लगभग हर जगह रिमोट मॉनिटरिंग की आवश्यकता होगी। ऐसे में मरीजों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए स्वास्थ्यकर्मी अब नई तकनीक को अपना रहे हैं। Criterion Tech द्वारा विकसित किया गया रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड एक ऐसी ही तकनीक है। इसके जरिए दूर बैठे डॉक्टर्स मरीज की बेहतर निगरानी कर सकते हैं।

कैसे काम करती है रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड तकनीक

दरअसल, RMD यानी रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड में मरीजों की एक सूची डिस्प्ले की जाती है, जिसमें उनके लाइव वाइटल्स जैसे ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन सैचुरेशन, हार्ट रेट, पल्स रेट, तापमान, और लेटेस्ट इनवेस्टिगेटिव पैरामीटर्स जैसे कि KFT, LFT, रैंडम ब्लड शुगर, pH, PCO2, PO2, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि दिखाया जाता है। मरीजों की ये सभी जानकारी डिस्प्ले पर स्पष्ट तरीके से दिखे, इसके लिए कलर कोर्ड किया गया है। सबसे गंभीर रोगियों को सूची के शीर्ष पर क्रमबद्ध करने के लिए डैशबोर्ड द्वारा लाइव पेशेंट्स डेटा का लगातार विश्लेषण किया जाता है। इस डिस्प्ले के जरिए डॉक्टर यह आसानी से देख सकते हैं कि महामारी में कौन सा मरीज ठीक हो रहा है और कौन से मरीज की सेहत ज्यादा खराब हो रही है।

डॉक्टर को संक्रमित होने से बचाए

हेल्थकेयर टीमें RMD के माध्यम से मरीजों की प्रगति और गतिविधियों की आसानी से निगरानी कर सकती हैं, इस तरह सभी रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति की पूरी जानकारी टीम के पास हमेशा रहेगी। इसमें RMD डिवाइस डॉक्टर को सूचित करता है कि मरीज की स्थिति के हिसाब से उसपर कितना ध्यान देना है। रिमोट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड उन स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी फायदेमंद है, जिन्हें महामारी में पीपीई किट पहनकर सभी मरीजों को देखने जाना पड़ता है। इससे वह खुद को वायरस से संक्रमित होने से बचा सकते हैं।

BCG फिजिशियन COVID-19 रिस्पांस बायोफार्मा सर्वे के अनुसार, डॉक्टर से सलाह लेने के लिए मरीज टेलीमेडिसिन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। प्री-कोविड, टेलीमेडिसिन के माध्यम से चिकित्सकों और रोगियों के बीच बातचीत का प्रतिशत केवल 20% था, जो कोविड के दौरान, आंकड़ा बढ़कर 72% हो गया। इससे यह पता चलता है कि अगर डॉक्टर के पास मरीज के लाइव वाइटल्स और इनवेस्टिगेटिव पैरामीटर्स की जानकारी है तो वह कहीं से भी मरीज को फोन पर बेहतर सलाह दे सकता है। इससे मरीज को वक्त रहते बेहतर उपचार मिल सकता है और उसकी जान बच सकती है।

लेखक: शक्ति सिंह


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