Move to Jagran APP

Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर, ऑर्बिटर और प्रज्ञान रोवर कैसे करते हैं काम?

Chandrayaan 2 ISRO के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि चांद कि आखिरी कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर के विक्रम लैंडर वाले ट्रेजेक्टरी में पहुंचने के बाद ही Vikram Lander के बारे में पता लगेग

By Harshit HarshEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 10:50 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 03:15 PM (IST)
Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर, ऑर्बिटर और प्रज्ञान रोवर कैसे करते हैं काम?

नई दिल्ली, टेक डेस्क। Chandrayaan 2 रात के करीब 2 बजे चांद की सतह पर लैंड करने वाला था। इस स्पेस शटल का विक्रम लैंडर से रात के करीब 1 बजकर 52 मिनट पर ISRO से संपर्क टूट गया। विक्रम लैंडर 2 सितंबर को दिन के करीब 1 बजे के आस-पास चंद्रयान के ऑर्बिटर से अलग हुआ था। आर्बिटर से अलग होने के बाद यह तेजी से चांद की सतह की तरफ बढ़ रहा था। विक्रम लैंडर के पास प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कराने की जिम्मेदारी थी, क्योंकि विक्रम लैंडर ISRO के डायरेक्ट कम्युनिकेशन करने में सक्षम था।

loksabha election banner

दुर्भाग्यवश विक्रम लैंडर का संपर्क ISRO के कम्युनिकेशन नेटवर्क से टूट किया, जिसके बाद ISRO और भारत एक इतिहास रचते-रहते रह गए। हालांकि, ISRO के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि चांद कि आखिरी कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर के विक्रम लैंडर वाले ट्रेजेक्टरी में पहुंचने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि वास्तविक में क्या हुआ था।

विक्रम लैंडर
विक्रम लैंडर चंद्रयान 2 स्पेस शटल का अहम हिस्सा है, जो रोवर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंड कराने में सक्षम था। विक्रम लैंडर का नाम मशहूर वैज्ञानिक डॉ विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसका वजन 1,471 ग्राम है और यह 650W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट करने में सक्षम है। इस विक्रम लैंडर को पूरी तरह से भारतीय तकनीक के साथ बनाया गया है। विक्रम लैंडर को एक लूनर डे यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर कार्य करने के लिए सक्षम बनाया गया है।

ये भी पढ़ें: Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के पहले, इन पड़ावों से गुजरा 'चंद्रयान'

यह लैंडर ISRO के बैंगलूरू स्तिथ हेडक्वार्टर के पास ब्यालालू नाम के जगह से संपर्क स्थापित करने में सक्षम है। विक्रम लैंडर कम्युनिकेशन के लिए IDSN (इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क) का इस्तेमाल करता है। यह लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। विक्रम लैंडर के अलावा चंद्रयान 2 को दो और हिस्सों को मिलाकर बनाया गया है। इसमें एक ऑर्बिटर और एक प्रज्ञान रोवर शामिल है।

ऑर्बिटर
चंद्रयान 2 में इस्तेमाल किए गए ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है। आर्बिटर भी विक्रम लैंडर की तरह ही IDSN (इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क) के जरिए कम्युनिकेट करने में सक्षम है। यह 1,000W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट करने में सक्षम है। ऑर्बिटर चांद की कक्षा में एक साल तक चक्कर लगाएगा। यह इस समय 100X100 किलोमीटर के लूनर ऑर्बिट का चक्कर लगा रहा है। विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बाद से ISRO के वैज्ञानिकों की उम्मीद इसी ऑर्बिटर से बनी हुई है। ऑर्बिटर ISRO से लगातार संपर्क में है और चांद के ऑर्बिट से निरंतर डाटा भेज रहा है। ऑर्बिटर के डाटा को एनालाइज करके ही विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की वास्तविक स्तिथि का पता लगाया जा सकता है।

प्रज्ञान रोवर
यह एक 27 किलोग्राम वजन वाला रोबोटिक व्हीकल है जो चांद की सतह पर मूव करने में सक्षम है। इसमें भी लैंडर और ऑर्बिटर की तरह ही सोलर पैनल लगे हैं जो 50W की इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करने में सक्षम है। प्रज्ञान रोवर का नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका मतलब होता है ज्ञानी। यह रोवर केवल लैंडर से ही कम्युनिकेट कर सकता है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर पर जैसे की सूरज की रोशनी पड़ती, इसका दरवाजा खुल जाता। विक्रम लैंडर का दरवाजा खुलते ही, प्रज्ञान रोवर के ऊपर लगे सोलर पैनल पर सूरज की सीधी रोशनी पड़ती।

रोवर पर सूरज की रोशनी पड़ते ही वह एक्टिवेट हो जाता और चांद की सतह पर मूव करते हुए वहां के वातावरण आदि का परीक्षण करता। प्रज्ञान रोवर के रास्ते में आने वाले पत्थर और रूकावट से बचने के लिए इसके सभी 6 पहिए में रॉकर बॉगी लगी है जो कि स्प्रिंग के साथ फिट किया गया स्टब एक्सल होता है। इसकी मदद से प्रज्ञान रोवर इन रूकावटों से पार पाता हुआ चांद की सतह पर आगे बढ़ सकता है। प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर कुल 14 दिनों तक रहने में सक्षम है। इस दौरान वह कुल 500 मीटर की दूरी तय करता। प्रज्ञान रोवर प्रति सेकेंड 1 सेंटीमीटर की स्पीड से आगे बढ़ सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.