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    विज्ञापन में नहीं चलेंगे भ्रामक ऑनलाइन डिजाइन पैटर्न, निपटने के लिए ASCI ने जारी किए दिशानिर्देश

    By Anand PandeyEdited By: Anand Pandey
    Updated: Mon, 19 Jun 2023 07:18 PM (IST)

    एडवर्टाइजिंग स्‍टैण्‍डर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने ‘विज्ञापन में ऑनलाइन भ्रामक डिजाइन पैटर्न’ के लिए नए और व्‍यापक दिशानिर्देश जारी किया है। जारी किए गए नए दिशानिर्देश में ग्राहकों की हितों का ध्यान रखा गया है। आइए इसके बारे में आपको डिटेल से बताते हैं। (फोटो-जागरण)

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    ASCI issues guidelines to combat deceptive design patterns in advertising online

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। एडवर्टाइजिंग स्‍टैण्‍डर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने ‘विज्ञापन में ऑनलाइन भ्रामक डिजाइन पैटर्न’ के लिए नए और व्‍यापक दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं ताकि यूजर्स केंद्रित अनुभव का निर्माण करने के लिए व्यवसायों, डिज़ाइनर्स, और हितधारकों को सशक्‍त बनाया जा सके। साथ ही डिजिटल परिदृश्य में पारदर्शिता, विश्वास, और नैतिक मानकों को बढ़ावा दिया जा सके।

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    डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर हावी हो रही हैं मार्केटिंग रणनीतियां

    जैसे-जैसे उपभोक्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर रहे हैं, वैसे वैसे इन प्लेटफॉर्म्स पर इस्तेमाल की जाने वाली मार्केटिंग रणनीतियां अधिक जटिल और व्‍यक्तिगत होती जा रही हैं। इनमें से कुछ प्रथाएं भ्रामक और लूटने वाली भी हो सकती हैं।

    यह चालाकी भरी प्रथाएं उपभोक्ता को समझदारी से फैसला करने के विकल्प में बाधा डालती हैं और इन्हें आम भाषा में डार्क पैटर्न कहा जाता है। इन प्रथाओं को इस तरह डिजाइन किया जाता है ताकि उपभोक्ताओं को ऐसे निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़े जो उनके हितों के साथ समझौता करें और विज्ञापनकर्ता के हितों के पक्ष में हों।

    DoCA ने गठित किया टास्क फोर्स

    हाल ही में मुंबई में इस विषय पर आयोजित हितधारक परामर्श में इन चिंताओं के बारे में चर्चा की गई, जिसका आयोजन संयुक्त रूप से उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) और एएससीआई द्वारा किया गया था। नवंबर 2022 में एएससीआई ने डार्क पैटर्न्‍स- उपभोक्ता संरक्षण के लिए नया खतरा’ नामक एक व्‍यापक चर्चा पत्र प्रकाशित किया था, जिनमें ऑनलाइन विज्ञापनों में पाए जाने वाले डार्क पैटर्न सहित विभिन्न भ्रामक पैटर्न की जांच की गई थी। इसके साथ ही इन विषयों की गहरी जांच के लिए एक बहु-हितधारक टास्क फोर्स भी गठित किया गया था।

    ASCI कोड को अपडेट करने पर रखा प्रस्ताव

    करीब दो महीनों के लिए चर्चा पत्र को प्रतिक्रियाओं के लिए खुला रखा गया था। प्राप्त प्रतिक्रियाओं और टास्क फोर्स द्वारा की गई चर्चा के आधार पर, यह प्रस्ताव रखा गया था कि एएससीआई कोड को अपडेट किया जाए ताकि ड्रिप-प्राइसिंग (कीमतों संबंधी भ्रामक जानकारी), बेट-एंड-स्विच (लुभाकर बदलने वाली नीति), झूठी अत्यावश्यकता और छिपाए गए विज्ञापन जैसे ऑनलाइन भ्रामक पैटर्न से संबंधित विज्ञापनों से जुड़ी चिंताओं को शामिल किया जा सके।

    यह दिशानिर्देश बिजनेस के लिए एक रूपरेखा की तरह काम करेंगे ताकि वे यूजर्स के लिए ऐसा नैविगेशन और इंटरफेस डिजाइन कर उसे लागू करें जिसमें जानकारी आधारित निर्णय और स्पष्ट सहमति को प्राथमिकता मिले।

    नए दिशा निर्देशों में इन चीजों को किया गया शामिल

    ड्रिप प्राइसिंग: ड्रिप प्राइसिंग का मतलब एक ऐसी प्रणाली से है जिसमें कीमतों से जुड़े सभी चीजों का खुलासा पहले नहीं किया जाता है, और कुल कीमत का खुलासा खरीद प्रक्रिया के अंत में या खरीदारी के बारे में पुष्टि देने के बाद किया जाता है। इससे अंतिम कीमत को लेकर यूजर कन्फूज रहता है।

    दिशानिर्देशों के अनुसार विज्ञापनों और ई-कॉमर्स वेबसाइट पर दी जाने वाली कीमतों के लिए यह आवश्यक होगा कि वे उन गैर-वैकल्पिक टैक्स, शुल्क, फीस को भी शामिल करें जो सभी खरीदरों पर लागू होते हैं। अग्रिम तौर पर अधूरी कीमतों की जानकारी रखना भ्रामक माना जाएगा।

    बेट एंड स्विच: जब कोई विज्ञापन या विज्ञापन का कोई तत्व प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता के कार्य का एक परिणाम लागू करता है, लेकिन इसके बजाय कोई दूसरा परिणाम पेश करता है, तो यह भ्रामक है।

    झूठी अनिवार्यता: यह बताना या संकेत देना कि किसी उत्पाद या सेवा की मात्रा जितनी वास्तविक है उसकी तुलना में अधिक सीमित है, तो इसे भ्रामक माना जाएगा। शिकायत के मामले में विज्ञापनदाता के लिए यह प्रदर्शित करना आवश्यक होगा कि सीमित मात्रा वाला मैसेज प्रस्तुत होने के समय पर माल की स्थिति एक ऐसे स्तर पर थी जहाँ बताई गई अत्यावश्यकता को भ्रामक नहीं माना जा सकता है।

    जानकारी छिपाने वाले विज्ञापन: ऐसे विज्ञापन के लिए, जो एक संपादकीय (एडिटोरियल) या ऑर्गेनिक कंटेंट के  के समान हैं, स्पष्ट रूप से यह खुलासा करना होगा कि यह एक विज्ञापन है। इसके उदाहरण हैं- इन्फ्लुएंसर के पोस्ट, पेड रिव्यूज, और इस तरह प्रस्तुत किए गए विज्ञापन जो संपादकीय कंटेंट की तरह दिखाई दें।

    यह अपडेट्स, विज्ञापन उद्योग के स्वयं-नियामक के रूप में एएससीआई की स्थापित भूमिका के अनुरूप हैं। यह अपडेट्स सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, क्रिप्टोकरंसी और रियल मनी गेमिंग के लिए दिशानिर्देश जैसे ऑनलाइन स्पेस में उपभोक्ता हितों की सुरक्षा करने के लिए एएससीआई द्वारा व्यापक तौर पर किए गए उपायों का एक हिस्सा हैं।

    ASCI की सीईओ एवं सेक्रेटरी जनरल ने कही ये बात

    मनीषा कपूर, सीईओ एवं सेक्रेटरी जनरल, एएससीआई ने कहा, “सरकार और उद्योग द्वारा स्व-विनियमन में उनका भरोसा दोहराने के साथ, हमारा मानना है कि आज हमने जिन दिशा निर्देशों को जारी किया है वे एक अधिक नैतिक और भरोसे के योग्य एडवर्टाइज़िंग ईकोसिस्टम को बढ़ावा देने और उपभोक्ता के भरोसे की रक्षा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगें। इन दिशानिर्देशों से व्यवसायों के लिए ऐसी जानकारी और प्रणाली का निर्माण करना आवश्यक होगा जो यूजर्स की निर्णय का सम्मान करें, पारदर्शिता में सुधार लाएं।''

    रोहित कुमार सिंह, सचिव, उपभोक्ता मामलों का विभाग, ने कहा, “हम विज्ञापन से संबंधित एएससीआई के नए दिशानिर्देशों का स्वागत करते हैं। भ्रामक ऑनलाइन पैटर्न उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का भी एक उल्लंघन है। ऑनलाइन भ्रामक पैटर्न पर एक बड़े फ्रेमवर्क के लिए एक मज़बूत स्व-विनियामक तंत्र का समर्थन करने के लिए हम एएससीआई और उद्योग के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करते हैं। ”

    नोट: ये दिशानिर्देश 1 सितंबर 2023 से लागू होंगे, ताकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को समय दिया जा सके जिससे वे उनके सिस्टम और इंटरफेस डिज़ाइन में जरूरी बदलाव कर सकें।