Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत में लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामले, हर दिन यूजर को मिलते हैं स्कैम से जुड़े 12 मैसेज

    By Shivani KotnalaEdited By: Shivani Kotnala
    Updated: Thu, 09 Nov 2023 10:58 AM (IST)

    scam messages भारत में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। एंटीवायरस मोबाइल सिक्योरिटी और आइडेंटिफाई मॉनिटरिंग कंपनी McAfee की साइबर फ्रॉड को लेकर एक ताजा रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इंटरनेट यूजर को हर दिन 12 फेक मैसेज मिलते हैं। स्कैम से जुड़े ये मैसेज यूजर को इमेल टैक्स्ट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मिलते हैं।

    Hero Image
    भारत में लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामले, AI भी बन रहा वजह

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारत में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। एंटीवायरस, मोबाइल सिक्योरिटी और आइडेंटिफाई मॉनिटरिंग कंपनी McAfee की साइबर फ्रॉड को लेकर एक ताजा रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इंटरनेट यूजर को हर दिन 12 फेक मैसेज मिलते हैं। स्कैम से जुड़े ये मैसेज यूजर को इमेल, टैक्स्ट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मिलते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जॉब के झूठे झांसे में फंसते हैं यूजर

    मैकफी की इस रिपोर्ट की मानें तो भारतीयों को मिलने वाले ज्यादातर स्कैम मैसेज फेक जॉब नोटिफिकेशन से जुड़े होते हैं। इसके अलावा, इंटरनेट यूजर्स को कई फेक बैंक अलर्ट मैसेज भी मिलते हैं।

    रिपोर्ट की मानें तो सर्वे के दौरान सामने आया कि 64 प्रतिशत यूजर्स इन जॉब स्कैम के चंगुल में फंस कर रह जाते हैं। वहीं 52 प्रतिशत यूजर ऐसे रहे जो बैंक अलर्ट स्कैम के विक्टिम बने।

    ये भी पढ़ेंः OnePlus 12: 64MP पेरिस्कोप जूम कैमरा के साथ आ रहा वनप्लस का नया फोन, 9 नवंबर को हो रहा खास इवेंट

    मुश्किल है स्कैम वाले मैसेज की पहचान

    साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों की वजह भी सामने आई है। मैकफी की इस रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के स्कैम में फंसने वाले यूजर स्कैम मैसेज की पहचान करने में असफल रहे।

    सर्वे में शामिल करीब 60 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागियों ने माना कि स्कैम मैसेज की पहचान कर पाना असल में मुश्किल होता है, क्योंकि इन मैसेज को कुछ इस तरह से तैयार किया जाता है, जिससे यह बैंक और कंपनियों के ऑफिशियल मैसेज ही लगते हैं।

    एआई भी मानी जा रही एक वजह

    सर्वे में शामिल प्रतिभागियों ने बताया कि फेक और स्कैम से जुड़े मैसेज की पहचान टाइपो या किसी तरह का एरर होता है। लेकिन, आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के बाद से ही फेक मैसेज ऑफिशियल मैसेज जैसे ही तैयार किए जा रहे हैं।

    मैकफी की इस स्टडी से सामने आया है कि एक एवरेज भारतीय हर हफ्ते 105 मिनट केवल इसी तरह के मैसेज को रिव्यू, वेरिफाई करने में लग जाता है कि मैसेज रियल है या फेक।