AI और Super Apps मिलकर हुए और भी पावरफुल, आपको किन बातों का रखना चाहिए ध्यान
आज हर काम के लिए ऐप है यही नहीं कई कार्यों को एक साथ कराने वाले ऐप्स भी हैं जिन्हें सुपर ऐप कहते हैं। इनका प्रयोग वैसे तो वर्षों से हो रहा है लेकिन एआई से अब तरीका बदल रहा है। पेटीएम फोनपे टाटा नियू और ओला जैसे सुपर ऐप्स कई सुविधाएं दे रहे हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारत में आज 85 प्रतिशत से अधिक परिवारों के पास स्मार्टफोन पहुंच चुका है। भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय का एक सर्वे बताता है कि 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के 99 प्रतिशत स्मार्टफोन यूजर यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं। स्मार्टफोन, 5जी कनेक्टिविटी और यूपीआई के अभूतपूर्व विस्तार ने लगभग पूरे देश में फूड डिलीवरी, ग्रॉसरी और वित्तीय लेनदेन का तौर-तरीका ही बदल दिया है। यही कारण है कि आज आपके स्मार्टफोन में कई सारे ऐप्स की भरमार है।
हाल के वर्षों में कुछ सुपर ऐप्स काफी लोकप्रिय हुए हैं, जो एक ही यूजर इंटरफेस पर कई सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। बिल पेमेंट के साथ शुरू हुए पेटीएम और फोनपे जैसे ऐप्स पर अब ई-कॉमर्स, ट्रेवल बुकिंग, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस, गेमिंग जैसी अनेक सुविधाएं मिल रही हैं। इसी तरह टाटा नियू, ओला, जोमाटो किसी एक सर्विस तक सीमित ना होकर अनेक सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।
डिजिटल दुनिया का प्रवेश द्वार
सुपर ऐप केवल ट्रेंड भर नहीं हैं, बल्कि ये 'मोबाइल फर्स्ट इकोनॉमी' का इन्फ्रास्ट्रक्चर बनने की ओर अग्रसर हैं। दक्षिण- पूर्वी एशिया, लैटिन अमेरिका और दक्षिण एशिया में सुपर ऐप्स ग्राहकोंकी हर डिजिटल जरूरत की राह बना रहे हैं। एक ही ऐप पर कॉमर्स, पेमेंट और संपर्क के साधनों का प्रयोग करने से लोगों को सहजता हो रही है।
सुपर ऐप का उद्देश्य ही यही है कि एक ही ऐप के भीतर यूजर को चैट करने से लेकर कैब बुक करने, मूवी टिकट खरीदने और शॉपिंग करने तक सभी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएं।
तीन स्तरों पर टिकी है सुपर एप्स की सफलता
- 1. एक सामान्य यूजर भी लेनदेन में सहजता, रिवार्ड्स और निजी डेटा को लेकर जागरूक हो रहा है।
- 2. कारोबारी और व्यवसायी वर्ग डिजिटल प्रारूप में डाटा का विश्लेषण, इंटीग्रेटेड कॉमर्स, आसान और सुरक्षित फाइनेंस का महत्व समझ रहा है।
- 3. नियामक संस्थाएं अब डाटा निजता, अविश्वास और प्रतिस्पर्धा पर चौकसी बढ़ा रही हैं। दो वर्षों में आधी दुनिया में होगा लोकप्रिय सुपर एप की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण चीनी एप्स वीचैट और अली-पे हैं।
अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में इस तरह के ऐप्स का चलन अभी शुरुआती स्टेज में है। डेलायट का अनुमान है कि वर्ष 2025 इस मामले में सबसे परिवर्तनकारी वर्ष होने जा रहा है। गार्टनर की एक रिपोर्ट की मानें तो 2027 तक दुनिया की आधे से अधिक आबादी सुपर ऐप्स का प्रयोग करने लगेगी। वर्तमान में वीचैट जैसे सुपर ऐप अपना इकोसिस्टम बना चुके हैं, जहां कारोबारी अपने बिजनेस को ऑनलाइन मैनेज कर रहे हैं।
क्यों चर्चा में हैं सुपर ऐप्स
बीते दिनों अमेरिका में एपल के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया गया, जिसमें ऐपल पर आरोप लगा कि वह इस तरह के ऐप के विकास में अवरोध पैदा कर रहा है। कई कंपनियों ने सुपरऐप्स के विकास में रुचि दिखाई है। एलन मस्क ने एक ऐसे 'एवरीथिंग ऐप' के विकास की बात कही थी, जिसमें पेमेंट, मैसेजिंग से लेकर वीडियो कॉलिंग तक की सुविधाएं होंगी।
2022 में मेटा ने भारतीय रिटेलर जियोमार्ट के साथ साझेदारी की घोषणा की थी। हाल के महीनों में वॉट्सऐप पर मैसेजिंग के अलावा पेमेंट जैसी कई सुविधाएं जोड़ी गई हैं।
सुविधा के साथ सार्थकता जरूरी
पेटोनिक एआई के सीईओ और को फाउंडर यशराज भारद्वाज का कहना है कि सुपर ऐप्स का प्रयोग बढ़ने के साथ हमारे दैनिक जीवन से जुड़े कार्यों जैसे पेमेंट, ट्रेवल, हेल्थकेयर और कम्युनिकेशन आदि में सहजता बढ़ रही है।
यह भी पढ़ें- RailOne Super App: टिकट बुकिंग के लिए रेलवे लाया नया ऐप, जनरल और प्लेटफॉर्म टिकट पर मिलेगी छूट
इससे यूजर्स के साथ-साथ व्यवसायों को भी लाभ मिल रहा है। हालांकि, सुविधा के साथ इन प्लेटफार्म के प्रयोग में सावधानी बरतने की भी जरूरत होती है। एक यूजर के तौर पर हमें ऐप्स को परमिशन देने, डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी अपडेट को लेकर सतर्क होने की जरूरत होती है।
लेखक - ब्रह्मानंद मिश्रा
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।