क्या होता है Refresh rate? डिवाइस के इस्तेमाल में यूजर के एक्सपीरियंस को कैसे बनाता है बेहतर ?
रिफ्रेश रेट स्मार्टफोन लैपटोप टैबलेट और टेलीविजन जैसे डिवाइस के डिस्प्ले से जुड़ा है। यूजर के लिए ज्यादा रिफ्रेश रेट डिवाइस की खरीदारी में मायने रखता है। इसलिए यूजर डिवाइस की खरीदारी से पहले डिस्प्ले से जुड़ी जानकारियों को जानना पसंद करते हैं। फोटो- जागरण
नई दिल्ली, टेक डेस्क। रिफ्रेश रेट का नाम आपने डिस्प्ले को लेकर सुना होगा। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की खरीदारी करते हैं तो उनके फीचर हमारे लिए कई मायनों में जरूरी होते हैं। फिर चाहे खरीदारी एक मिड बजट स्मार्टफोन की हो बडे़ एलसीडी टीवी की हो।
इस आर्टिकल में आपको रिफ्रेश रेट के बारे में बताने जा रहे हैं। आपको बताएंगे कि आखिर स्मार्टफोन, लैपटॉप, पैड, टैबलेट, टेलीविजन जैसे डिवाइस में रिफ्रेश रेट की क्या भूमिका होती है।
क्या है रिफ्रेश रेट
आसान भाषा में रिफ्रेश रेट को समझने की कोशिश करें तो यह रेट डिवाइस की स्क्रीन पर हर सेकंड प्ले होने वाले इमेज से जुड़ा है। एक सेकंड में डिस्प्ले द्वारा ड्रॉ किए जाने वाले नए इमेज की संख्या को रिफ्रेश रेट कहते हैं। डिस्प्ले पर रिफ्रेश रेट को हर्ट्ज (Hz) में मापा जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। अगर किसी डिवाइस के डिस्प्ले को लेकर दावा किया जाता है कि यह 60 हर्ट्ज का रिफ्रेश रेट जेनेरेट करता है तो इसका मतलब है कि स्क्रीन को एक सेकंड में 60 बार नए इमेज से अपडेट किया जाएगा। वहीं एक इमेज से दूसरे इमेज के बीच के समय को मिलिसेकंडस में मापा जाता है।
रिफ्रेश रेट के फायदे
इसी के साथ ये समझना जरूरी है कि ज्यादा रिफ्रेश रेट मतलब डिस्प्ले को लेकर ज्यादा बेहतर एक्सपीरियंस। किसी भी डिवाइस में रिफ्रेश रेट ज्यादा होना मतलब ज्यादा स्मूद एक्सपीरियंस मिलना है।
रिफ्रेश रेट खासकर गेमिंग एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए मायने रखता है। गेम में फास्ट मूविंग एक्शन के लिए जरूरी है कि डिस्प्ले पर स्मूद एक्सपीरियंस मिले। इसके अलावा, स्मूद मोशन का बेहतर एक्सपीरियंस वेब ब्राउजिंग के लिए भी जरूरी है। इसी तरह डिवाइस पर डिजिटल पेन का इस्तेमाल लिखने और कुछ ड्रॉ करने के लिए भी रिफ्रेश रेट का हाई होना मायने रखता है।
रिफ्रेश रेट के नुकसान
हालांकि, एक यूजर के लिए डिवाइस के इस्तेमाल में रिफ्रेश रेट सिर्फ फायदों से ही नहीं जुड़ा है। इसका एक नुकसान डिवाइस की बैटरी को लेकर भी देखा जाता है। रिफ्रेश रेट का ज्यादा होना डिवाइस की बैटरी लाइफ को कम करता है, क्योंकि ज्यादा रिफ्रेश रेट के लिए ज्यादा पावर का इस्तेमाल होता है।
जानकारों द्वारा सलाह दी जाती है कि लैपटॉप और टैबलेट का इस्तेमाल लंबे समय तक करने के लिए रिफ्रेश रेट को कम करने की सलाह दी जाती है। रिफ्रेश रेट को कम कर डिवाइस की बैटरी सेव की जा सकती है।
सबसे कम और सबसे ज्यादा रिफ्रेश रेट
बैटरी सेव करने के लिए कई कंपनियां अपने डिवाइस में रिफ्रेश रेट को 120Hz से 1Hz तक का ऑप्शन देती हैं। वहीं लोअर रिफ्रेश रेट के लिए 10Hz, 24Hz, 30Hz, 60Hz को कॉमन माना जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक कंपनी सैमसंग के अपने Galaxy S22 और S22 Plus जैसे स्मार्टफोन में 48Hz तक का रिफ्रेश घटाने का ऑप्शन देती है। वहीं हाईर रिफ्रेश रेट को अब तक 500Hz में मापा गया है। यह रेट दुनिया के फास्ट आईपीएस गेमिंग मॉनिटर में मिलता है।