Tech Explained: कोई मजाक नहीं ATM को लूटना, टेक्नोलॉजी के इतने लेयर के घेरे में रहती है खुले-आम रखी मशीन
ATM मशीनें खुले-आम रखी होती हैं। इसे बाजारों में सड़कों पर और पार्किंग एरिया से लेकर दुकानों तक में रखा जाता है। ऐसे में आपने भी कई बार सोचा होगा कि इतने सारे मशीन में खुले-आम कैसे छोड़ दिए जाते हैं। इनकी सुरक्षा कैसे होती है। ऐसे में हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे ATM मशीन की सुरक्षा टेक्नोलॉजी के कई घेरों में की जाती है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। ATM मशीनें मार्केट्स में, सड़कों पर और यहां तक कि दुकानों के अंदर यानी लगभग हर जगह लगी होती हैं । ये लोगो को कभी भी पैसे निकालने की आसानी देती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ATM को लूटना या इसे तोड़ कर पैसा निकाल कर भागना इतना मुश्किल क्यों होता है। कैसे पैसे से भरी हुई एक मशीन को खुलेखाम यूंही छोड़ दिया जाता है। इसकी सुरक्षा कैसे पुख्ता की जाती है। आपको बता दें कि इसकी सुरक्षा सिर्फ इसकी स्ट्रॉन्ग मेटल बॉडी की वजह से नहीं होती हैं, इसमें कई स्मार्ट टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल होता है, जो इसे चोरी से प्रोटेक्ट करती हैं। आइए जानते हैं इन सुरक्षा के घेरों के बारे में।
मोटे और मजबूत मेटल
सबसे पहले, ATM मशीनें बहुत मोटे और मजबूत मेटल से बनी होती हैं। इन्हें हथौड़े, कटर या यहां तक कि ड्रिल जैसे टूल्स से तोड़ना बहुत मुश्किल और शोर वाला होता है, जो जल्दी ही सबका ध्यान खींच लेता है।
अलार्म सिस्टम
ATM के अंदर, अलार्म सिस्टम्स हैं। अगर कोई मशीन को जबरदस्ती तोड़ने या खोलने की कोशिश करता है, तो तेज अलार्म तुरंत बज जाते हैं। ये अलार्म पास की पुलिस स्टेशन्स या सिक्योरिटी कंपनियों से जुड़े होते हैं, जो जल्दी एक्ट कर सकते हैं।
GPS ट्रैकिंग
एक और स्मार्ट तकनीक है GPS ट्रैकिंग। कई ATM मशीनों में कैश बॉक्स के अंदर हिडन GPS डिवाइसेज होते हैं। अगर चोर किसी तरह कैश बॉक्स को ले भी भागते हैं, तो पुलिस इसकी सटीक लोकेशन ट्रैक कर सकती है और उन्हें आसानी से पकड़ सकती है।
डाई पैक्स
एक और सिक्योरिटी फीचर है डाई पैक्स। ये स्पेशल पैकेट्स हैं जो रंगीन इंक से भरे होते हैं। इन्हें कैश बॉक्स के अंदर रखा जाता है। अगर ATM चोरी डिटेक्ट करता है, तो ये पैक्स अपने आप फट जाते हैं और सारे कैश को ब्राइट और परमानेंट कलर से कवर कर देते हैं। इससे चोरी का पैसा बेकार हो जाता है, क्योंकि रंगीले नोट्स हर जगह रिजेक्ट हो जाते हैं।
कैमरा मॉनिटरिंग
इसके अलावा, ज्यादातर ATM में अंदर और बाहर कैमरे प्लेस्ड होते हैं। ये कैमरे सब कुछ रिकॉर्ड करते हैं। अगर चोर अपने चेहरे छिपाने की कोशिश भी करें, तो उनकी हरकतें और टूल्स वीडियो में कैप्चर हो जाते हैं, जो बाद में पुलिस को मदद करता है। साथ ही यहां आग लगने और बाढ़ जैसी स्थितियों के लिए IoT-बेस्ड मॉनिटरिंग भी की जाती है।
बैंकिंग सिस्टम्स से ट्रैकिंग
इनके अलावा, ATM बैंकिंग सिस्टम्स से भी जुड़े होते हैं जो कोई भी अनयूज़ुअल एक्टिविटीज़ जैसे बार-बार गलत पासवर्ड डालना या लंबे समय तक छेड़छाड़ को मॉनिटर करते हैं। अगर कोई शक वाली एक्टिविटी मिलती है, तो मशीन अपने आप लॉक हो सकती है और ऑथराइज्ड पर्सन के चेक करने तक काम करना बंद कर देती है।
वाइब्रेशन सेंसर
कुछ एडवांस्ड ATM में वाइब्रेशन सेंसर भी होते हैं। ये ड्रिलिंग या हिलने जैसी एक्टिविटी को डिटेक्ट करते हैं। अगर ऐसी हरकतें मिलती हैं, तो ये तुरंत अलार्म ट्रिगर करते हैं और सिक्योरिटी टीम्स को अलर्ट्स भेजते हैं।
इन सबके अलावा यहां डेटा एन्क्रिप्शन, फेशियल रिकॉग्निशन, टू-लेवल एन्क्रिप्शन, GSM टेक्नोलॉजी बेस्ड सिक्योरिटी और स्किमिंग प्रिवेंशन जैसे कई और उपाय भी किए जाते हैं।
यानी कुलमिलाकर ATM को लूटन फिल्मों जितना आसान नहीं होता। मजबूत मेटल, अलार्म, GPS, डाई पैक्स, कैमरे और स्मार्ट सेंसर इसे लगभग असंभव बनाते हैं। यही कारण है कि बैंक और सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ATM टेक्नोलॉजी को हर साल इंप्रूव करते हैं इन्हें और सेफ और स्मार्ट बनाते हैं।
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