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    Jio-Airtel ने क्यों की SpaceX से डील, स्टारलिंक के भारत आने से क्या बदल जाएगा; जानें सबकुछ

    Updated: Wed, 12 Mar 2025 03:48 PM (IST)

    भारत के दो सबसे बड़े टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ एक डील साइन की है ताकि भारत में अपने कस्टमर्स को स्टारलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विसेज ऑफर कर सकें। इस बीच हम यहां आपको यहां आपके हर सवाल का जवाब देने जा रहे हैं। यहां आप संभावित कीमत स्पीड और इसके भविष्य तक बहुत कुछ जान पाएंगे।

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    भारतीय टेलीकॉम कंपनियां जियो और एयरटेल ने SpaceX के साथ साझेदारी की है।

     टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। एयरटेल ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ स्टारलिंक को भारत में लाने के लिए एक डील साइन की है। इसके ठीक बाद बुधवार सुबह जियो ने भी ऐसा ही ऐलान कर दिया। एयरटेल और जियो, दोनों SpaceX के साथ मिलकर स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को भारत में ला रहे हैं, जिससे वे देश के सबसे दूरदराज इलाकों में अपनी सर्विसेज दे सकेंगे। खास बात ये है कि एयरटेल और जियो दोनों की डील स्पेसएक्स को भारत में स्टारलिंक बेचने की जरूरी मंजूरी मिलने पर निर्भर है। अगर यह मंजूरी मिल जाती है, तो जियो और एयरटेल अपने स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए स्टारलिंक सर्विसेज और इक्विपमेंट ऑफर करेंगे। आइए जानते हैं स्टारलिंक और डील के बारे में विस्तार से।

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    ये रोलआउट कब होगा?

    जियो और एयरटेल ने स्पेसएक्स के साथ डील 11 और 12 मार्च 2025 को साइन की है। लेकिन, रोलआउट की तारीख तब तक कंफर्म नहीं होगी, जब तक SpaceX को भारत सरकार से जरूरी लाइसेंस और सिक्योरिटी क्लियरेंस नहीं मिल जाता। इसके अलावा, भारत में डेटा लोकलाइजेशन और नेशनल सिक्योरिटी प्रोटोकॉल्स जैसे नियमों का पालन करना भी स्टारलिंक के लिए जरूरी है। अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ, तो 2025 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) तक स्टारलिंक की सर्विस शुरू होने की संभावना है। लेकिन देरी की स्थिति में यह तारीख आगे भी खिसक सकती है।

    स्टारलिंक के बारे में समझें:

    क्या है स्टारलिंक?

    Starlink एक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस है, जिसे एलन मस्क की स्वामित्व वाली कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) कंपनी ने डेवलप किया है। ये सर्विस लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में मौजूद हजारों सैटेलाइट्स के एक नेटवर्क यानी कॉन्स्टलेशन के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराती है। इसका मकसद उन रिमोट और ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट पहुंचाना है, जहां ट्रेडिशनल केबल या फाइबर इंटरनेट नहीं पहुंच पाता।

    स्टारलिंक यूजर्स को एक छोटा सैटेलाइट डिश (जिसे 'Dishy McFlatface' भी कहा जाता है) और एक राउटर देता है, जो सैटेलाइट्स से सिग्नल रिसीव करके इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोवाइड करता है। इसके अलावा, स्टारलिंक अब डायरेक्ट-टू-सेल सर्विस पर भी काम कर रहा है, जिससे मोबाइल फोन्स को बिना किसी बदलाव के सैटेलाइट से कनेक्ट किया जा सकेगा। स्टारलिंक का नेटवर्क दुनिया भर में फैला हुआ है और यह 100 से ज्यादा देशों में सर्विस दे रहा है।

    ये कैसे दूसरों से अलग है?

    Jio और Airtel जैसी कंपनियां फाइबर ऑप्टिक्स और मोबाइल टावर से इंटरनेट देती हैं। जबकि, स्टारलिंक सैटेलाइट नेटवर्क पर बेस्ड है। ये छोटे सैटेलाइट्स, ग्राउंड स्टेशन और यूजर टर्मिनल के जरिए काम करती है।

    क्या इसकी स्पीड ज्यादा होती है?

    स्टारलिंक के सैटेलाइट ट्रेडिशनल सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के मुकाबले धरती के करीब (550KM) हैं। इसी वजह से नेटवर्क की लेटेंसी बेहतर है। दावे के मुताबिक स्टारलिंक के जरिए 150MBPS तक की स्पीड मिलती है। जोकि फाइबर ब्रॉडबैंड से कम है। लेकिन, ट्रेडिशनल सैटेलाइट इंटरनेट से बेहतर।

    भारत में क्या बदलाव देखने को मिलेगा?

    फिलहाल देश के हर कोने में इंटरनेट की पहुंच नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2024 तक ग्रामीण टेली-डेंसिटी 59.1% थी। स्टारलिंक की सर्विस इन एरियाज के गेम-चेंजर साबित हो सकती है। इससे दूर-दराज के इलाकों में भी एजुकेशन और ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। साथ ही बाढ़ या भूकंप की स्थिति में ग्राउंड नेटवर्क डैमेज होने से इसकी सर्विस को इस्तेमाल किया जा सकता है।

    क्या स्टारलिंक से मौजूदा कंपनियों को चुनौती मिलेगी?

    स्टारलिंक और दूसरी सैटकॉम सर्विसेज ट्रेडिशनल इंटरनेट कंपनियों के लिए कंपटीशन नहीं बल्कि इनकी पूरक सर्विस हैं। हालांकि, इसकी कॉस्ट ज्यादा है। स्टारलिंक के प्लान्स मौजूदा ब्रॉडबैंड प्लान्स के मुकाबले 7 से 18 गुना तक महंगे हैं। वैसे सरकार चाहे तो डिजिटल इंडिया योजना में यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड का इस्तेमाल करके कीमतें कम करने में मदद कर सकती हैं।

    स्टारलिंक प्लान्स और स्पीड: भारत क्या उम्मीद कर सकता है?

    फिलहाल स्टारलिंक के भारत के लिए प्लान्स अभी तक ऑफिशियली अनाउंस नहीं किए गए हैं। लेकिन, हम भूटान के प्राइसिंग और स्पीड मॉडल्स को रेफरेंस के तौर पर देख सकते हैं कि भारत में क्या उम्मीद की जा सकती है।

    भूटान के स्टारलिंक प्लान्स:

    • Residential Lite Plan – Nu 3,000 (लगभग 3,001 रुपये) प्रति माह
    • स्पीड: 23 Mbps से 100 Mbps
    • उपयोग: कैजुअल ब्राउजिंग, सोशल मीडिया और वीडियो स्ट्रीमिंग के लिए सूटेबल।
    • Standard Residential Plan – Nu 4,200 (लगभग 4,201 रुपये) प्रति माह
    • स्पीड: 25 Mbps से 110 Mbps
    • फीचर: गेमिंग, HD स्ट्रीमिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अनलिमिटेड डेटा ऑफर करता है।

    अगर स्टारलिंक भारत में लॉन्च होता है, तो इसके प्राइसिंग और स्पीड Bharti-बैक्ड OneWeb और Jio-SES जैसे दूसरे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड प्रोवाइडर्स के साथ कॉम्पिटिटिव हो सकते हैं। भारत में विदेशी डिजिटल सर्विसेज पर 30% ज्यादा टैक्स को देखते हुए, स्टारलिंक के प्लान्स भूटान की तुलना में थोड़े महंगे हो सकते हैं, जो संभवतः 3,500 रुपये से 4,500 रुपये प्रति माह से शुरू हो सकते हैं।

    कैसा है भविष्य?

    भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। KPMG की 2024 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक ये बाजार साल 2028 तक 1.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। हालांकि, सरकारी अप्रूवल, सुरक्षा की चिंताएं और टेलीकॉम कंपनियों का रूख स्टारलिंक के लिए एक बड़ी चुनौती है।

    SpaceX के साथ करार के बाद सुनील मित्तल का बयान

    एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ डील साइन करने के एक दिन बाद, भारती ग्रुप के फाउंडर सुनील मित्तल ने बुधवार को कहा कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजीज जैसे 4G, 5G, 6G के मिक्स को मजबूत करेगा और कस्टमर्स को अपने मोबाइल फोन्स को दुनिया के सबसे दूरदराज इलाकों में, यहां तक कि आसमान और समुद्र तक ले जाने में सक्षम बनाएगा।

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