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    AI से हाईटेक फ्रॉड: खतरे में डिजिटल पहचान, इमोशन्स और डेटा, ऐसे रखें खुद को सेफ

    Updated: Fri, 11 Apr 2025 06:00 AM (IST)

    निजी जीवन से लेकर अकादमिक और प्रोफेशनल करियर तक AI के इस्तेमाल की संभावनाएं बढ़ रही हैं तो वहीं इस ताकतवर तकनीक के बल पर साइबर अपराधी भी डिजिटल अपराध की एक नई दुनिया तैयार कर रहे हैं। एआई के इस्तेमाल और दुरुपयोग के बीच सतर्कता क्यों जरूरी हो गई है आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से बताएंगे।

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    खतरे में डिजिटल पहचान, इमोशन्स और डेटा

    टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। घिबली स्टाइल फोटो बनाने के बाद बीते कुछ दिनों से चैटजीपीटी से नकली आधार और पैन कार्ड भी बनाया जाने लगा है। इंटरनेट मीडिया पर लोग इस तरह के नकली आधार और पैन कार्ड बनाकर साझा भी कर रहे हैं। हालांकि, डिजिटल आइडेंटिटी में छेड़छाड़ के लिए पहले से ही स्कैमर्स के पास कई सारे टूल्स हैं, लेकिन जिस सहजता के साथ ये काम एआई से हो रहे हैं, उससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़नी स्वाभाविक हैं। इससे बचने के लिए हमें यह भी समझना होगा कि नए आधार और पैन कार्ड (पैन 2.0) दोनों में ही एंटी-फ्रॉड फीचर्स जोड़े गए हैं, जिससे कार्ड की फेक कॉपी बनाना या केवाइसी को बायपास करना आसान नहीं है।

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    दोनों में टैपर प्रूफ क्यूआर कोड, होलोग्राम, माइक्रो टेक्स्ट और नए लोगो जैसे फीचर्स एक्स्ट्रा सेफ्टी देते हैं। फिर भी, जेनरेटिव एआई टूल्स जिस तरह वास्तविक प्रतीत होने वाले फोटो, लोगो और डिजाइन बना रहे हैं, उससे साइबर ठगों के हाथ एक उपयोगी हथियार जरूर लग गया है। एआई के दुरुपयोग का मामला यहीं तक सीमित नहीं है। मैकेफी की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि एआई बेस्ड रोमांस स्कैम, फर्जी डेटिंग एप्स और डीपफेक वाली धोखाधड़ी में बेशुमार वृद्धि हुई है।

    फ्रॉड एक्टिविटीज में एआई का इस्तेमाल

    पहले और वर्तमान साइबर फ्रॉड में अंतर यही है कि अब साइबर अपराधियों के लिए समय और संसाधनों दोनों ही स्तरों पर एआई से फायदा मिल रहा है। कुछ कोडेड इंस्ट्रक्शन से ग्लोबल लेवल का फिशिंग कैंपेन तैयार करना आसान हुआ है। इसका आसानी से अनेक भाषाओं में मशीनी अनुवाद संभव हुआ है, ग्रामर और वर्तनी की त्रुटियों आसानी से खत्म कर फिशिंग स्कैम को वास्तविक प्रतीत होने वाले मैसेज में बदला जा सकता है।

    एआई ऐसे कर रहा मदद

    कुछ खास तरह के स्कैम में चैटबॉट का सक्सेस रेट 60 प्रतिशत अधिक रहता है। इसी तरह स्कैमर डेटा में पैटर्न की पहचान करने और व्यापक डेटा सेट्स में से संवेदन संवेदनशील जानकारियों को निकालने के लिए एआई की मदद ले सकते हैं। इससे सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड, डीपफेक स्कैम जैसे जोखिम काफी बढ़ गए हैं।

    एआई ने कैसे बढ़ाया खतरा

    जन सामान्य के बीच कंप्यूटर की शुरुआत के साथ ही डेटा सुरक्षा और साइबर अपराधियों के बीच एक अदृश्य युद्ध चल रहा है। यह संघर्ष समय के साथ व्यापक और जटिल भी हुआ है। साइबर क्राइम मैग्जीन की मानें तो साइबर अपराधों के चलते दुनियाभर में वर्ष 2025 के अंत तक 10 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। डेटा ब्रीच और हैक जैसे साइबर अटैक से 60 प्रतिशत छोटे बिजनेस छह महीने में ही दम तोड़ने लगते हैं।

    एआई की ताकत का इस्तेमाल

    आज की सबसे चर्चित तकनीक जहां हर संस्थान के लिए आईटी 'टूलबॉक्स' बन रही है, तो वहीं यह साइबर अपराधियों के लिए सबसे खतरनाक हथियार। एआई या मशीन लर्निंग एल्गोरिदम अपराधों में ऑटोमेशन और तीव्रता दे रहा है। अगर आपके साथ हाल के दिनों में स्कैम या फ्रॉड की कोशिशें हुई हैं तो पूरी संभावना है कि इसमें एआई की ताकत को जरूर परखा गया होगा।

    एआई बेस्ड स्कैम की आई बाढ़

    51% भारतीयों ने एक सर्वे में माना कि चैटबॉट द्वारा वास्तविक इंसान का भ्रम पैदा करने, फेक प्रोफाइल बनाने और भावनात्मक संदेशों के जरिए उन्हें फंसाने का प्रयास हुआ। एक तरह से कहे तो टेक्स्ट, आडियो, वीडियो, इमेज, ईमेल, हर तरह के एआई बेस्ड स्कैम की बाढ़ सी आ गई है।

    सतर्क और तैयार होने की जरूरत

    हमारे दैनिक जीवन में एआई की दखल बढ़ रही है। संवेदनशील फाइनेंशियल ऐप्स में भी अब लोग सवालों का जवाब चैटजीपीटी से पूछने लगे हैं। मौजूद एआई की सुविधाएं बजट प्लानिंग और बचत करने में सुझाव देने लगी हैं। वहीं जिस तरह एआई टेक्नोलॉजी साइबर अपराधियों के हाथ में पहुंच रही है, उससे डिजिटल फ्रॉड की एक दुनिया तैयार हो गई है, इससे निपटने के लिए हमें सतर्क और तैयार होने की आवश्यकता है।

    • 60% छोटे बिजनेस डेटा ब्रीच और हैक जैसे साइबर हमलों से होने वाले भारी नुकसान के चलते छह महीने में ही तोड़ने लगते हैं दम
    • 2025 के अंत तक साइबर अपराधों के चलते वैश्विक स्तर पर 10 ट्रिलियन डॉलर तक नुकसान अनुमानित

    किस तरह के हैं संभावित खतरे?

    क्रिडेंशियल स्टफिंग: एआई पावर्ड बॉट कई सारे प्लेटफॉर्म से क्रिडेंशियल को आसानी से कॉपी कर सकते हैं। अवैध तरीके से एक्सेस प्राप्त करने के बाद वे री-यूज पासवर्ड का प्रयोग कर सकते हैं।

    एडवांस फिशिंग अटैक: पारंपरिक स्पैम फिल्टर को पास करके एआई यूजर के बर्ताव का विश्लेषण कर सकता है और आकर्षक ईमेल या मैसेज तैयार कर सकता है।

    डीपफेकः एआई से ऑडियो और वीडियो कंटेंट में आसानी से छेड़छाड़ संभव है। यहां तक कि फर्जी कंटेंट को लगभग वास्तविक जैसा बनाया जा सकता है। इसे एआई के जरिए वायरल करके संदेह और अनिश्चितता पैदा की जा सकती है।

    डेटा से छेड़छाड़: हैकर्स एआई एल्गोरिदम में 'गलत' या दुर्भावनापूर्ण डेटा को फीड कर नकारात्मक आउटपुट जेनरेट कर सकते हैं।

    प्रिडिक्टिव अटैक: एआई यूजर के बिहेवियर में पैटर्न की पहचान कर सकता है, जिससे साइबर हमले की टाइमिंग, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन या निजी डेटा में सेंध को आसान बनाया जा सकता है।

    आटोमेटेड सोशल इंजीनियरिंगः इंटरने मीडिया प्लेटफार्म और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का विश्लेषण कर एआई सोशल इंजीनियरिंग कैंपेन तैयार करने में मदद कर सकता है।

    AI बेस्ड फ्रॉड से कैसे बचें?

    इंसानों से मिलने वाले धोखे को लेकर जैसे हम सतर्क होते हैं। वैसी ही सतर्कता AI स्कैम में भी होनी चाहिए। बैंक अकाउंट के लिए मल्टीफैक्टर आथेंटिकेशन, क्रेडिट रिपोर्ट की मॉनिटरिंग और आइडेंडिटी थेफ्ट प्रोटेक्शन को लेकर हमें अलर्ट होना होगा।

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