भारत पाकिस्तान तनाव: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा Video फर्जी तो नहीं? ऐसे लगाएं पता
भारत-पाक तनाव के बीच सोशल मीडिया पर सैन्य गतिविधियों ड्रोन हमलों और सरकारी अलर्ट्स के दावे वाले वीडियो वायरल हो रहे हैं। ज्यादातर वीडियो एडिटेड संदर्भहीन या पूरी तरह से फर्जी हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे पाकिस्तान-प्रायोजित प्रोपेगेंडा के खिलाफ चेतावनी दी है जो भारत में अराजकता फैलाने का प्रयास करते हैं। ऐसे में हम यहां फेक वीडियो को वेरिफाई करने का तरीका बताने जा रहे हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के साथ, सोशल मीडिया पर वीडियो कई वीडियो सर्कुलेट किए जा रहे हैं, जो रियल-टाइम सैन्य गतिविधियों, ड्रोन स्ट्राइक्स और सरकारी अलर्ट्स दिखाने का दावा करते हैं। ज्यादातर वीडियो या तो एडिटेड हैं, संदर्भ से बाहर हैं या पूरी तरह से फर्जी हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे कंटेंट के खिलाफ चेतावनी दी है, क्योंकि ये अक्सर पाकिस्तान-प्रायोजित प्रोपेगेंडा का हिस्सा होते हैं, जो भारत में अराजकता और दहशत फैलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि आप कैसे पहचान सकते हैं कि वायरल वीडियो फर्जी है या नहीं।
वीडियो का ओरिजिन चेक करें
हमेशा में ये दिमाग में रखें कि इस वीडियो को सबसे पहले किसने पोस्ट किया होगा? अगर ये किसी अननोन अकाउंट से है या WhatsApp पर बिना क्रेडिबल सोर्स के फॉरवर्ड हुआ है, तो शक करें। सीमा तनाव जैसे संवेदनशील समय के दौरान ऑफिशियल न्यूज सोर्सेज या सरकारी संस्थान हमेशा पुष्ट विजुअल्स जारी करते हैं।
रिवर्स सर्च टूल्स का इस्तेमाल करें
InVID या Google Reverse Image Search जैसे फ्री ऑनलाइन टूल्स आपको वीडियो के स्क्रीनशॉट अपलोड करने और ये पता लगाने की सुविधा देते हैं कि ये मूल रूप से कहां से आया। फिलहाल जंगी मैदान के नाम पर फैलाए जा रहे ज्यादातर वीडियो पुराने हैं, जो दूसरे देशों या पुरानी घटनाओं के हैं, लेकिन इन्हें हालिया बताकर दिखाया जा रहा है।
फैक्ट-चेकिंग अलर्ट्स सर्च करें
PIB Fact Check जैसी सरकारी एजेंसियां और स्वतंत्र संगठन भारत-पाकिस्तान संघर्ष से जुड़े फर्जी वीडियो को खारिज करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। आप उनकी वेबसाइट्स पर जाकर वेरिफाई कर सकते हैं और संदिग्ध कंटेंट को PIB Fact Check के WhatsApp नंबर +91 8799711259 पर रिपोर्ट कर सकते हैं।
भ्रामक हेडलाइन्स से सावधान रहें
कई बार, फर्जी वीडियो को सही कैप्शन्स के साथ जोड़ा जाता है। एक सैन्य ड्रिल या परेड का फुटेज को 'लाइव विजुअल्स' के रूप में पर गलत तरीके से पेश किया जा सकता है। ऐसे में कैप्शन को क्रेडिबल न्यूज रिपोर्ट्स से मिलाकर जांचें।
अनवेरिफाइड वीडियो शेयर न करें
युद्ध के दौरान, अनवेरिफाइड वीडियो शेयर करना दहशत और गलत सूचना फैलाता है। अगर आपको यकीन नहीं कि वीडियो सही है, तो इसे शेयर न करें।
सतर्क रहकर और सूचनाओं की फैक्ट-चेकिंग करके, नागरिक फेक न्यूज के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और तनाव के समय में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।