Vayavya Kon: घर के इस कोण से जुड़ी है आपकी उन्नति, जानें इसके वास्तु महत्व के बारे में
Vayavya Kon वास्तु शास्त्र में उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण के रूप में भी जाना जाता है। यह दिशा बेहद महत्वपूर्ण है। वायव्य कोण उत्तर और पश्चिम के बीच स्थित होता है। चंद्रमा वायव्य दिशा का स्वामी ग्रह है और वायु देव इस दिशा के अधिपति हैं।
Vayavya Kon: वास्तु शास्त्र में उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण के रूप में भी जाना जाता है। यह दिशा बेहद महत्वपूर्ण है। वायव्य कोण उत्तर और पश्चिम के बीच स्थित होता है। चंद्रमा वायव्य दिशा का स्वामी ग्रह है और वायु देव इस दिशा के अधिपति हैं। यह दिशा वायु के प्रवेश के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यह एक प्रकार से गर्म और ठंडे क्षेत्रों का मिलन बिंदु है। वास्तु के अनुसार यह दिशा विशेष तौर पर महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। आपके घर में अगर वायव्य कोण वास्तु सम्मत है तो यह आपकी उन्नति के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। आइये जानते हैं वास्तुकार संजय कुड़ी से वायव्य कोण के लिए वास्तु और आप पर पड़ने वाले उसके शुभ-अशुभ प्रभाव।
1. वायव्य में रसोई
वायव्य में रसोई घर का निर्माण किया जा सकता है, चूंकि आग्नेय के समान वायव्य भी रजस गुण से संबंधित दिशा है, अतः यह रसोई बनाने के लिए दूसरी सबसे अच्छी दिशा है। इसके अलावा वायव्य में खाद्यान्नों का भण्डारण भी किया जा सकता है। इस स्थान पर भंडार किया गया अनाज अधिक वक्त तक शुद्ध रहता है।
2. वायव्य में अतिथि कक्ष
सभी दिशाओं में वायव्य दिशा अतिथि कक्ष बनाने के लिए एक बेहतरीन दिशा है। वायव्य दिशा वायु की दिशा है और वायु का गुण है- बहना। यह निरंतर चलती रहती है, इसीलिए यहां पर अतिथि कक्ष बनाया जा सकता है क्योंकि वे भी अधिक वक्त तक नहीं रुकते हैं। इसके अलावा यहां मनोरंजन कक्ष या फैमिली रूम भी बनाया जा सकता है।
3. वायव्य में बेडरूम
इस दिशा में विवाह योग्य युवतियों के लिए शयन कक्ष बनाया जा सकता है। इस दिशा में सोने से विवाह में होने वाली देरी नहीं होती है। इसके अलावा नव-विवाहितों के लिए उतरी वायव्य में बना बेडरूम उत्तम माना जाता है।
ध्यान रखने योग्य कुछ बातें-
1- यदि आपके घर का वायव्य कटा हुआ है, तो यह वायु तत्व की कमी का कारण बनता है। इसके फलस्वरूप सिरदर्द, चक्कर आना व एनर्जी की कमी जैसी समस्याओं से आपको दो-चार होना पड़ सकता है।
2- वायव्य का दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा से ऊंचा होना भी वायु तत्व में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न कर देता है। इससे व्यक्ति अपना अधिकांश वक्त व्यर्थ की और अनावश्यक बातों को सोचने में खर्च कर देता है।
3- विदेश जाने के इच्छुक लोगों के लिए वायव्य दिशा बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिशा का वास्तु सम्मत होना और इस स्थान पर स्थित बेडरूम में सोना व्यक्ति को अपने पैतृक स्थान से दूर जाने में सहायक होता है।
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