Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Vastu Tips : घर पर स्वास्तिक बनाते समय रखें इन बातों का ध्यान, वास्तु दोष भी होगा दूर

    By Pradeep ChauhanEdited By:
    Updated: Mon, 06 Jun 2022 07:15 PM (IST)

    swastik sign At Home कहा जाता है कि यह चार वेदों के अलावा चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म अर्थ काम मोक्ष शामिल है का प्रतीक हैं। सिर्फ हिंदू धर्म ही क्यों स्वास्तिक का उपयोग आपको बौद्ध जैन धर्म और हड़प्पा सभ्यता तक में भी देखने को मिलेगा।

    Hero Image
    swastik sign At Home: स्वस्तिक का चिन्ह भगवान बुद्ध के हृदय, हथेली और पैरों में देखने को मिल जायेगा।

    नई दिल्ली। swastik sign At Home: हिंदू धर्म में स्वास्तिक का अपना ही महत्व है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें ‘सु’ का अर्थ है शुभ और ‘अस्ति’ से तात्पर्य है होना। अर्थात स्वास्तिक का मौलिक अर्थ है ‘शुभ हो’ यानी कल्याण हो’। इसीलिए किसी भी मांगलिक या शुभ कार्य के अवसर पर स्वास्तिक बनाने की परंपरा सदियों से हिंदू धर्म में चली आ रही है। कहा जाता है कि स्वास्तिक बनाने के दौरान उसकी चार भुजाएं समानांतर रहती हैं और इन चारों भुजाओं का बड़ा धार्मिक महत्व है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वस्तुतः इन्हें चार दिशाओं का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि यह चार वेदों के अलावा, चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष शामिल है, का प्रतीक हैं। सिर्फ हिंदू धर्म ही क्यों स्वास्तिक का उपयोग आपको बौद्ध, जैन धर्म और हड़प्पा सभ्यता तक में भी देखने को मिलेगा। बौद्ध धर्म में स्वास्तिक को "बेहद शुभ हो" और "अच्छे कर्म" का प्रतीक माना जाता है।

    स्वस्तिक का चिन्ह भगवान बुद्ध के हृदय, हथेली और पैरों में देखने को मिल जायेगा। इसके अलावा जैन धर्म की बात करें, तो जैन धर्म में यह सातवां जिन का प्रतीक है, जिसे तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के नाम से भी जानते हैं। श्वेताम्बर जैनी स्वास्तिक को अष्ट मंगल का मुख्य प्रतीक मानते हैं। इसी प्रकार कहा जाता है कि हड़प्पा सभ्यता की खुदाई की गई तो वहां से भी स्वास्तिक का चिन्ह निकला था। 

    माना जाता है कि सही समय पर सही जगह बनाया गया स्वास्तिक बेहद शुभ होता है। वास्तु शास्त्र में भी स्वास्तिक को घर के मुख्य द्वार पर बनाना अच्छा माना गया है। आइए जानें, मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाते समय किस बात का ध्यान रखें। 

    • मुख्य द्वार पर स्वास्तिक हमेशा सिंदूर से ही बनाए। सिंदूर से बना स्वास्तिक घर में सुख और समृद्धि का मार्ग खोलता है।
    • जब भी मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि दरवाजा धूल मिट्टी से गंदा ना हो।
    • मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि वहां आसपास जूते चप्पलों का ढेर भी ना लगने दें।
    • स्वास्तिक बनाते समय उसक आकार भी ध्यान रखना जरूरी होता है।
    • माना जाता है कि वास्तु दोषों को कम करने या मिटाने के लिए नौ उंगली लंबा और चौड़ा स्वास्तिक बनाना अच्छा होता है।
    • अगर घर के सामने कोई पेड़ या खंभा नजर आता है तो ये नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है. उसके होने वाले अशुभ प्रभावों को रोकने के लिए मुख्य द्वार पर रोज स्वास्तिक बनाना शुभ मानते हैं।
    • मुख्य द्वार के अलावा आप घर के आंगन के बीचोंबीच भी स्वास्तिक बना सकते हैं। माना जाता है कि इससे आंगन में पितृ निवास करते हैं और आशीष बनाकर रखते हैं।
    • मुख्य द्वार पर बने स्वास्तिक के आसपास पीपल, आम या अशोक के पत्तों की माला बांधे. ऐसा करना बहुत ही शुभ होता है।

     स्वास्तिक से दूर करें 'वास्तु दोष'

    अगर आपको लगता है कि आपके घर में वास्तु दोष आ गया है, तो वास्तुशास्त्री स्वास्तिक के चिन्ह से इसके दोष निवारण की विधि बताते हैं। कहा जाता है कि स्वस्तिक की चारों भुजाएं चारों दिशाओं की प्रतीक होती हैं और इसीलिए वास्तु का चिन्ह बना कर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।