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    काम-वासना हावी क्यों हो जाती है?

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 09 Apr 2015 10:53 AM (IST)

    जीवन में हम तमाम चीजों से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसके लिए अक्सर हम जोर जबरदस्ती का रास्ता चुनते हैं, जिससे चीजें छूटने की बजाय और बड़ी समस्याओं का रूप ले लेती हैं। किसी भी चीज को छोडऩे का सही तरीका क्या है, इसी बारे में बता रहे हैं।

    काम-वासना हावी क्यों हो जाती है?

    जीवन में हम तमाम चीजों से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसके लिए अक्सर हम जोर जबरदस्ती का रास्ता चुनते हैं, जिससे चीजें छूटने की बजाय और बड़ी समस्याओं का रूप ले लेती हैं। किसी भी चीज को छोडऩे का सही तरीका क्या है, इसी बारे में बता रहे हैं।

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    सद्गुरु-

    प्रश्न- मैं अपनी काम-वासना की तीव्र इच्छा से कैसे छुटकारा पाऊं?

    सद्गुरु- हम लोग अक्सर किसी न किसी चीज से छुटकारा पाने के बारे में सोचते रहते हैं। आप जोर जबरदस्ती करके किसी चीज से छुटकारा नहीं पा सकते। अगर आप जबरदस्ती किसी चीज को छोडऩा चाहें, तो यह किसी और रूप में उभर कर सामने आ जाएगी, और आपके भीतर कोई दूसरा विकार पैदा कर देगी। अगर आप किसी चीज को छोडऩे की कोशिश करेंगे, तो वह चीज पूरी तरह से आपके दिमाग व चेतना पर हावी होने लगेगी। लेकिन उस चीज की तुलना में अगर आप कुछ ज्यादा महत्वपूर्ण चीज को पा लेते हैं, तो पुरानी चीज कम महत्व की बन जाती है। महत्व काम होने से वह खुद-ब-खुद आपसे छूटने लगती है। क्या आपने कभी गौर किया है कि जो लोग बौद्धिककार्यों में ज्यादा डूबे रहते हैं, वे सेक्स करने की बजाय कोई किताब पढऩा ज्यादा पसंद करते हैं।

    जब आप बच्चे थे, तब जिन चीजों से आप खेलते थे, जो चीजें आपके लिए बेशकीमती होतीं थीं वे बड़े होने पर आपसे छूट गईं, क्योंकि उम्र के साथ आपने जीवन में कुछ ऐसी चीजें पाईं, जिन्हें आप ज्यादा बड़ा समझने लगे। आज आपकी जानकारी में काम-सुख ही सबसे बड़ा सुख है। आपकी काम-वासना के तीव्र होने का यही कारण है , है न ? अगर कोई आपसे कहता है कि 'यह बुरी चीज है, इसे छोड़ दो।Ó तो क्या वाकई आप इसे छोड़ पाएंगे? लेकिन अगर आप इससे भी बड़ी चीज का स्वाद चख लें, तब यह अपने आप आपसे छूट जाएगी। फिर इसे छोडऩे के लिए आपसे किसी को कुछ कहना नहीं पड़ेगा। इसके लिए आपको अपने जीवन का थोड़ा समय ऐसी दिशा में लगाना होगा, जिससे कि एक बड़ा आनंद आपके जीवन का हिस्सा बन सके। अगर आपको जीवन में अपेक्षाकृत ज्यादा आनंदित करने वाली चीज मिल जाए, तो जाहिर है कि छोटे सुख की इच्छा अपने आप ही मिट जाएगी। सबसे अच्छी बात यह होगी, कि छोटे सुख की चाहत आपके कोशिश करने से नहीं मिटी, बल्कि रुचि कम हो जाने से आपने छोटे सुख को चाहना बंद कर दिया है। आपकी रूचि इसलिए कम हो गयी, क्योंकि अब आपने कोई बड़ी चीज खोज ली है। बस इतनी सी बात है। जब आप बच्चे थे, तब जो चीजें आपके लिए बेशकीमती होतीं थीं, वे बड़े होने पर आपसे छूट गईं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उम्र के साथ आपने जीवन में कुछ ऐसी चीजें पाईं, जिन्हें आप ज्यादा बड़ा समझने लगे। अब भी यही बात लागू होती है। अगर आपको जीवन में ज्यादा तीव्रता वाली, ज्यादा गहरा सुख और आनन्द देने वाली चीज मिल जाए, तो जाहिर है कि ये चीजें अपने आप आपसे छूट जाएंगी।

    जानवर हर वक्त इस बारे में ही नहीं सोचते रहते। जब उनमें कामोत्तेजना पैदा होती है, तभी वे इसके बारे में सोचते हैं, अन्यथा वे हर समय नहीं सोचते रहते कि कौन नर है, कौन मादा!कामवासना आपके व्यक्तित्व का बस एक छोटा सा हिस्सा है। बेवकूफी भरी नैतिकता और इसे जबरदस्ती छोडऩे की कोशिशों में पड़ कर लोग और ज्यादा कामुक हो गए हैं। आप जिसे मर्द या औरत कहते हैं वह, बस एक छोटे से शारीरिक अंतर की बात है, जो एक खास प्राकृतिक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए है। आखिर हमने शरीर के एक अंग को इतना अधिक महत्व क्यों दे रखा है? शरीर का कोई भी अंग इतना ज्यादा महत्व दिए जाने योग्य नहीं है। अगर शरीर के किसी अंग को इतना अधिक महत्व देना ही हो, तो महत्व दिमाग को देना चाहिए, न कि जननांग को।

    दुर्भाग्यवश, हर तरफ से मिलने वाली कुछ बेवकुफी भरी सीख जैसे- 'आपको पवित्र रहना चाहिए, आपको इसके बारे में नहीं सोचना चाहिएÓ ने मामले को उल्टा कर दिया है, लोग सिर्फ इसी के बारे में सोचने लग गए हैं। अगर आप जीवन को वैसे ही देखें, जैसा कि यह वास्तव में है, तो कामवासना आपके जीवन में बस उतनी ही छोटी जगह पाएगी, जितनी उसे मिलनी चाहिए। तब यह आपके जीवन में इतनी बड़ी चीज नहीं रहेगी, और होना भी यही चाहिए। जगत के सभी जीवों के साथ ऐसा ही होता है। जानवर हर वक्त इस बारे में ही नहीं सोचते रहते। जब उनमें कामोत्तेजना पैदा होती है, तभी वे इसके बारे में सोचते हैं, अन्यथा वे हर समय नहीं सोचते रहते कि कौन नर है कौन मादा! सिर्फ इंसान ही ऐसा जीव है, जो इस सोच में हर वक्त अटका हुआ है। एक पल के लिए भी इसे न भूल पाने की वजह, उसमें भरी हुई वे मूखर्तापूर्ण सीखें और नैतिकता के पाठ हैं, जिनका जीवन से कोई लेना देना नहीं हैं।

    अगर लोग जीवन को वैसे ही देखें, जैसा कि यह वास्तव में है, तो अधिकतर लोग बहुत थोड़े समय में ही कामवासना से बाहर आ जाएंगे। बहुत से लोग इसमें पड़े बिना ही इससे बाहर आ जाएंगे। बात सिर्फ इतनी है कि जीवन का फोकस ठीक न होने की वजह से हर चीज बिगड़ गई है, और बढ़ा-चढ़ा दी गई है। वरना आप देखते, कि ज्यादातर लोगों की इसमें कोई खास रुचि हीं नहीं होती, या फिर इसमें उनकी रुचि सिर्फ उतनी होती जितनी जरुरी है।

    साभार: सद्गुरु (ईशा हिंदी ब्लॉग)