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क्या है आध्यात्मिकता

लोग आध्यात्मिकता को जीवन-विरोधी या जीवन से पलायन मानते है। लोगों में भ्रामक धारणा है कि आध्यात्मिक जीवन में आनंद लेना वर्जित है और कष्ट झेलना जरूरी है। जबकि सच्चाई यह है कि आध्यात्मिक होने के लिए आपके बाहरी जीवन से कोई लेना-देना नहीं है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2015 12:43 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2015 12:51 PM (IST)
क्या है  आध्यात्मिकता

लोग आध्यात्मिकता को जीवन-विरोधी या जीवन से पलायन मानते है। लोगों में भ्रामक धारणा है कि आध्यात्मिक जीवन में आनंद लेना वर्जित है और कष्ट झेलना जरूरी है। जबकि सच्चाई यह है कि आध्यात्मिक होने के लिए आपके बाहरी जीवन से कोई लेना-देना नहीं है।

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आध्यात्मिकता का किसी धर्म, संप्रदाय या मत से कोई संबंध नहीं है। आप अपने अंदर से कैसे हैं, आध्यात्मिकता इसके बारे में है। आध्यात्मिक होने का मतलब है, भौतिकता से परे जीवन का अनुभव कर पाना। अगर आप सृष्टि के सभी प्राणियों में भी उसी परम-सत्ता के अंश को देखते हैं, जो आपमें है, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आपको बोध है कि आपके दुख, आपके क्रोध, आपके क्लेश के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है, बल्कि आप खुद इनके निर्माता हैं, तो आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं। आप जो भी कार्य करते हैं, अगर उसमें सभी की भलाई निहित है, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आप अपने अहंकार, क्रोध, नाराजगी, लालच, ईष्र्या और पूर्वाग्रहों को गला चुके हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं। बाहरी परिस्थितियां चाहे जैसी हों, उनके बावजूद भी अगर आप अपने अंदर से हमेशा प्रसन्न और आनंद में रहते हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आपको इस सृष्टि की विशालता के सामने खुद की स्थिति का एहसास बना रहता है तो आप आध्यात्मिक हैं। आपके अंदर अगर सृष्टि के सभी प्राणियों के लिए करुणा फूट रही है, तो आप आध्यात्मिक हैं।

आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपने अनुभव के धरातल पर जानते हैं कि मैं स्वयं ही अपने आनंद का स्रोत हूं। आध्यात्मिकता मंदिर, मस्जिद या चर्च में नहीं, बल्कि आपके अंदर ही घटित हो सकती है। यह अपने अंदर तलाशने के बारे में है। यह तो खुद के रूपांतरण के लिए है। यह उनके लिए है, जो जीवन के हर आयाम को पूरी जीवंतता के साथ जीना चाहते हैं। अस्तित्व में एकात्मकता व एकरूपता है और हर इंसान अपने आप में अनूठा है। इसे पहचानना और इसका आनंद लेना आध्यात्मिकता का सार है।

अगर आप किसी भी काम में पूरी तन्मयता से डूब जाते हैं, तो आध्यात्मिक प्रक्रिया शुरू हो जाती है, चाहे वह काम झाड़ू लगाना ही क्यों न हो। किसी भी चीज को गहराई तक जानना आध्यात्मिकता है।


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